दोनों बहनों की कामकथा – 2
#1
“दोनों बहनों की कामकथा – 1” से आगे की कहानी …
दोस्तों फिर थोड़ी देर में माँ, पापा मार्केट से आ गये और माँ ने आते ही मुझे पूरी दोपहर सोने के लिए डांट लगाई, फिर माँ ने पूछा आईना कहाँ है तो मैंने कहा कि रूम में है माँ ने कहा कि देखो हम लोग तो डिनर करके आये है और तुम्हारा डिनर पैक करा लाये है। अब तुम लोग देख लो कहाँ खाना है या तो अपने रूम में ले जाकर खा लो, या यहीं खा लो, तुम्हारी मर्ज़ी। हम लोग बहुत थक गये है और सोने जा रहे है मैंने कहा ठीक है।
फिर मैंने सारा डिनर प्लेट में लगाया और आईना को आवाज़ दी, लेकिन वो नहीं आई तो में समझ गई अब ऊपर जाकर ही उसे मनाना पड़ेगा। फिर में डिनर प्लेट में लगाकर ऊपर ही ले गई आईना एक कोने में गुस्सा होकर बैठी थी और उसने अभी तक कुछ नहीं पहना था। मैंने उससे बोला पागल ऐसे गुस्सा नहीं होते और कुछ पहन ले माँ, पापा आ गये है, वो गुस्से में बोली ना मुझे कुछ खाना है और ना ही में कुछ पहनूंगी। मैंने मज़ाक करते हुए कहा तो तू सारी ज़िंदगी ऐसे ही नंगी रहेगी, वो मुँह फेर कर बैठ गई में उसके पास गई और उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोली, जो तू सोच रही है वो कभी नहीं हो सकता है आईना बहुत ज्यादा कठिन काम है तो इस बात पर वो गुस्सा हो कर बोली रिस्की माई फुट। में भी उसे समझा समझा कर हार गई थी। मैंने थक हार कर कहा चल कल देखते है उसके होठों पर मुस्कान आ गई और वो तुरंत मुझसे लिपट गई और बोली सच कल चलेगी तू, मैंने कहा हाँ देखते है कल चल सकते है कि नहीं।
फिर वो बोली कि नहीं कल पक्का चलेंगे और अगर वो ही बस मिल गई तो अन्दर चल के मज़े लेंगे और तू चिंता मत कर हमें कुछ नहीं होगा। मैंने बोला चल ठीक है चल तू अब कुछ पहन ले और फिर डिनर करते है उसने टॉप और शॉर्ट्स पहन लिया और फिर हम लोगों ने डिनर किया और फिर उसने कहा चल डिनर के बाद बाहर एक राउंड घूम कर आते है तो में बोली माँ, पापा नहीं जाने देंगे तो वो बोली अरे अपनी कॉलोनी में क्या डर? यहाँ तो घूम ही सकते है। फिर मैंने कहा चल में पूछती हूँ और फिर में पूछने माँ के रूम में गई तो देखा कि गेट हल्का सा खुला था। मैंने गेट और दरवाज़े के बीच की हल्की सी दरार से अंदर देखा तो काफ़ी अंधेरा दिखा तो मैंने सोचा शायद पापा, माँ सो गये है तो मैंने हल्के से दरवाज़ा बंद किया और आईना को नीचे आने का इशारा किया।
फिर आईना नीचे आ गई उसने सफ़ेद कलर का टॉप और नीचे शॉर्ट्स पहन रखा था। मैंने भी गुलाबी टॉप और नीचे लाल कलर का पायजामा पहन रखा था। मैंने आईना को देखा कि वो शॉर्ट्स में ही उतरकर आ रही है तो मैंने उससे धीरे से बोला पागल है क्या तू? वो बोली क्यों? मैंने कहा शॉर्ट्स में ही बाहर चलेगी क्या? उस पर वो हंसी और फिर बोली हाँ। मैंने उसकी और देखा और फिर बोली इतने छोटे शॉर्ट्स पहनकर बाहर निकलेगी तो सड़क पर सब तुझे ही देखेंगे, तुझे शर्म नहीं आयेंगी? वो बोली अरे यार इतनी रात को बाहर कोई नहीं होगा और ऊपर से कोई देख भी लेगा तो क्या? मैंने उसकी और देखा और उसके बेफिक्र चेहरे पर चुदने की इच्छा को देखकर में मुस्कुरा दी और उसके चूतड़ों पर हल्का सा थप्पड़ मारा और बोली तू तो बिल्कुल रंडी हो गई है। उसने मेरी और देखा और मुस्कुराते हुए मेरे चूतड़ पर हल्का सा ज़ोर का थप्पड़ मारा और बोली आख़िर हूँ तो तेरी छोटी बहन ही ना। फिर हम दोनों एक दूसरे की तरफ हंस पड़े और मैंने मेन गेट खोला और हम दोनों बाहर आ गये और बाहर रोड़ बिल्कुल खाली था और हमारे घर से हर 20 मीटर के अंतराल में एक रोड़ लाईट थी।
रोड़ पर 5 स्ट्रीट लाईट लगी हुई थी। फिर उसके बाद तो पूरे रोड़ पर अंधेरा था। फिर एक दूसरे के साथ मज़ाक करते हुए हम दोनों उसी रोड़ पर चल दिए और धीरे धीरे हम सारी स्ट्रीट लाईट पार कर गये और फिर अंधेरे वाला रोड़ देखकर मैंने आईना से कहा कि चल लौट चलते है तो इस पर वो बोली अरे लाईट में घूमने का क्या मज़ा? अंधेरे में घूमते है मज़ा आयेगा। तो मैंने फिर आईना को देखा और मुस्कुरा दी और फिर हमने घूमना जारी रखा और अंधेरे में चलते चले गये। फिर बात करते करते आईना अपना टॉप उतारने लगी और में देखती रह गई कि वो क्या पागलपन कर रही है? और में जब तक कुछ बोलती उससे पहले उसने अपने बूब्स बिल्कुल नंगे कर दिए। मैंने उसे धीरे से कहा कि क्या पागलपन कर रही है? आईना तू मरवायेगी क्या? कोई देख लेगा तुझे ऐसे तो? तो वो बोली अरे रोड़ पर कोई नहीं है और अपने बदन को ताजी हवा खिला रही हूँ। मैंने कहा पागल हो गई है तू तो वो बोली तू भी उतारकर देख, बड़ा अच्छा सा महसूस हो रहा है। मैंने कहा नहीं, में तेरी तरह पागल नहीं हूँ।
फिर उसने अपने शॉर्ट्स भी उतार दिए और बिल्कुल नंगी हो गई। अब में क्या बोलती? वो तो बिल्कुल पागलपन कर रही थी। मैंने गुस्से में आईना से बोला क्या पागलपन कर रही है तू? अरे किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तुझे कोई नहीं बचा पायेगा, लेकिन उसे तो किसी बात का डर ही नहीं था, वो बोली अरे इस रोड़ पर कोई नहीं आता आईशा कुछ नहीं होगा। मैंने कहा तू पागल है और यह कहकर मैंने उससे उसके कपड़े लिए और ज़बरदस्ती उसे कपड़े पहनाने लगी, लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी, वो मुझसे दूर भागने लगी में उसके पीछे कपड़े लेकर भाग रही थी और वो आगे आगे नंगी भाग रही थी। में आख़िरकार थक कर बोली कि रुक आईना पागलपन मत कर मेरे लिए कपड़े पहन ले, वो बोली तू पागल है में नहीं पहन रही तो तुझे क्या और देख रोड़ पर अब तक कोई नहीं आया और तू फालतू में परेशान हो रही है।
फिर मैंने भी देखा कि रोड़ सुनसान ही था, यह देख कर मेरी थोड़ी हिम्मत बड़ी तभी आईना ने पीछे से आ कर मेरा पजामा नीचे कर दिया और मेरा पजामा नीचे होते ही में पेंटी में आ गई, लेकिन अगले ही सेकेंड उसने मेरी पेंटी भी नीचे खींच दी। फिर में पीछ मूडी और पेंटी और पजामा ऊपर करते हुए आईना को मारने भागी, लेकिन फिर मैंने भी सोचा कि ट्राई करते है शायद बाहर नंगा होने का अलग ही मज़ा हो यह सोचकर मैंने अपना पजामा और पेंटी उतारकर अपने कंधे पर रख लिए और फिर में अपना टॉप उतारकर बिल्कुल नंगी हो गई और यह देख आईना मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और बोली कि देख आया ना मज़ा। मैंने उसे ऊपर से नीचे देखा और उसे देख मुस्कुरा दी और बोली हाँ मज़ा तो आ रहा है, लेकिन बस कोई देख ना ले। फिर आईना बोली कि तू पागल है, यहाँ पर कोई नहीं आता है और वो मुझे पूरी सड़क दिखाने लगी।
फिर हम नंगे ही घूमने लगे, पूरे बदन पर ठंडी ठंडी हवा महसूस हो रही थी और जब मेरे चूतड़ और चूत पर हवा का स्पर्श होता तो पूरा बदन सरसरा उठता, घबराहट तो थी कि कोई देख ना ले, लेकिन उससे ज्यादा अब उत्तेजना होने लगी थी। फिर आईना जानबूझ कर धीरे धीरे चलने लगी और में उससे आगे हो गई और फिर वो मेरे पीछे चलती हुई बोली कि हाय तेरी क्या ग़ज़ब चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी। फिर मैंने कहा अच्छा और फिर में आईना के पीछे गई और बोली कि नहीं तेरी चाल है बिल्कुल मॉडल्स जैसी और फिर उसके कूल्हों को हल्का सा नोचा और मेरे नोचते ही उसके मुँह से हल्की सी आहह निकली और वो जैसे ही मेरी तरफ मुड़ी तो मैंने उसे कसकर अपनी और खींचा और फिर उसका स्मूच ले लिया। वो पहले तो पीछे हटने की कोशिश करने लगी, लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और में स्मूच करते हुये उसके चूतड़ों को मसलने लगी। फिर उसने भी पंजे उठाकर अपनी चूत मेरी चूत से बिल्कुल चिपका दी और हम दोनों ऐसे ही 1-2 मिनट तक स्मूच करते रहे, तभी मुझे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी, में एकदम डर गई और आईना से दूर हट गई।
फिर मैंने रोड़ के किनारे लगे एक पेड़ के पीछे उसे खींच लिया और फिर आहट तेज होती गई, उधर मेरे दिल की धड़कन भी तेज होती जा रही थी। आईना भी यह सोच रही थी कि पता नहीं कौन है और चिंता उसके चेहरे पर भी साफ़ दिख रही थी, वो चौकीदार था वो हमारी परछाई देखकर शायद यहाँ आ गया था और फिर वो देखने लगा कि कौन है। में बुरी तरह डर गई थी और आईना को बिल्कुल अपनी बाहों में जकड़ लिया था और पेड़ में कम से कम जगह में हम दोनों सिमटने की कोशिश करने लगी, जिससे कि हम पेड़ के पीछे छुप जाये और वो हमें देख ना पाये। आईना के बूब्स पेड़ के तने से सट गये और में बिल्कुल आईना के पीछे उसकी गांड से अपनी चूत सटा कर खड़ी हो गई। कुछ देर उसने देखा, लेकिन कोई नहीं दिखने पर वो जाने लगा तब मेरी जान में जान आई, लेकिन पता नहीं क्या सोचकर वो वापस मुड़ा और फिर वापस हमारे पेड़ की तरफ आने लगा, मेरी धड़कन से फिर से तेज हो गई और आईना को भी डर लग रहा था।
उस समय में यह उसके बदन के थरथराने से महसूस कर सकती थी और चौकीदार हमारे पेड़ के आगे आकर खड़ा हो गया तो मुझे लगा कि अब बस हम पकड़े गये तो यह अब हमारे साथ सेक्स करके ही हमें छोड़ेगा या हमारे पापा, मम्मी को सब बता देगा। यह सोच मैंने अपनी आँखें बंद कर बस बचने की मन्नत करने लगी। फिर तभी मुझे चैन खुलने की आवाज़ आई, मैंने और आईना ने पेड़ के पीछे से देखा तो चौकीदार ने अपनी पेंट की चैन खोली हुई थी और अपनी पेंट का बटन खोलकर अपनी चड्डी नीचे सरका रहा था। फिर उसने जैसे ही अपनी चड्डी नीचे सरकाई तो उसका कम से कम 7 इंच बड़ा लंड झूलता हुआ बाहर आ गया और हम दोनों का मुँह फटा का फटा रह गया और जब उसका लंड बाहर आया था तो खड़ा था।
फिर उसके लंड से पेशाब बाहर आने लगा, जैसे ही पेशाब गिरने की मात्रा कम हुई वैसे वैसे उसके लंड का आकार भी छोटा होता गया और फिर आख़िरी में उसने अपने लंड को हिला कर अपनी बची हुई दो चार बूँद भी गिरा दी। में यह देख अपना डर तो भूल गई थी ऊपर से गर्म भी हो गई थी। आईना बिल्कुल पेड़ के तने से सटकर खड़ी थी और उससे बिल्कुल चिपककर में खड़ी थी। मेरी चूत उसकी गांड से चिपकी हुई थी और मेरे बूब्स उसके कंधे को टच कर रहे थे और लंड देखकर मेरा हाथ अपने आप आईना की चूत को सहलाने लगा, लेकिन आईना का ध्यान चौकीदार के लंड पर ही था। फिर चौकीदार ने अपनी चड्डी वापस पहनी और पेंट ऊपर की और वो वापस चला गया। फिर तब आईना को मेरे हाथ का स्पर्श अपनी चूत पर होने का पता चला, वो मेरी और मूडी और फिर हमने एक दूसरे के होंठ से होंठ मिला दिए और वो मेरे होठों को चूसने लगी। फिर मैंने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी कमर पर टिका ली, जिससे मुझे उसकी चूत के दरवाजे का आसानी से रास्ता मिल गया।
फिर में उसकी चूत को तेज़ी से रगड़ने लगी और रगड़ते-रगड़ते वो झड़ने की कगार पर आ गई, लेकिन में उसकी चूत को और तेज़ी से सहलाने लगी, वो मेरे बूब्स को मसलने लगी। फिर मैंने उसके होंठ चूसना छोड़ा और हल्का सा नीचे झुककर उसके निपल्स को चूमा, फिर धीरे धीरे उसके निपल्स को चूसना शुरू कर दिया और दूसरी और उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगी। हम दोनों अभी तक वर्जिन थे इसलिये उसकी चूत बड़ी टाईट थी और उंगली ज्यादा अंदर तक नहीं जा रही थी, लेकिन मैंने भी अधिक कोशिश ना करते हुए जितनी उंगली अंदर गई थी उसे ही अंदर-बाहर करने लगी। उसको हल्का सा दर्द तो हुआ, लेकिन बाद में उसे मज़ा आने लगा। फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मज़े में खो गई और में उसके निपल को चूसने के बाद धीरे धीरे उसकी नाभि को चूसते हुए उसकी चूत तक पहुँच गई।
फिर मैंने आईना को अपने पैर छोड़ने को कहा और उसने मेरे दोनों पैर छोड़ दिए और में उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गई और फिर मैंने उसकी चूत के होठों से अपने होंठ मिला दिए और दो चार बार उनको चूमा और फिर मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। वहां ऐसे बैठने से मेरी गांड खुल गई थी और उसमें ताज़ी ताज़ी हवा लग रही थी। आईना की चूत को चूसते चूसते बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ की दरार को फैलाया और फिर अपनी उंगली से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगी, वो सिसकारियां भरने लगी। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी, मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही वो थरथरा उठी और चूत में अंदर कुछ देर तक जीभ फेरने के बाद, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और दो चार बार फिर से चूत को चूमा और फिर उसकी कमर पकड़ कर, मैंने उसको पलट दिया। जिससे अब उसकी गांड मेरे सामने थी।
फिर मैंने उसे पंजो पर खड़ा होने को कहा, उसने वैसा ही किया और मैंने उसकी चूत से लेकर गांड के छेद पर दो चार बार जीभ फेरी। वो पागल हो उठी और फिर मैंने उसकी गांड के छेद को चूसना शुरू कर दिया, वो कुछ ही देर में झड़ गई और उसकी चूत बिल्कुल गीली हो गई और पेड़ से लिपटते हुए ज़मीन पर चूतड़ों के बल बैठ गई उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। फिर में भी उसके बगल में बैठकर उसके बूब्स को सहलाने लगी, वो कुछ देर में नॉर्मल हो गई और फिर उसने मुझसे उसके ऊपर खड़े होने को कहा में खड़ी हो गई और वो मेरे पैरों के बीच में बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी। में भी उसके होठों का स्पर्श अपनी चूत पर होने की वजह से पागल हो गई और में उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत से उसके मुँह को सटा दिया। फिर कुछ देर तक, वो मेरी चूत चूसती रही और में अपने हाथों से अपने ही बूब्स को सहलाती रही। फिर उसने मेरी चूत को चूसते चूसते मेरी चूत में उंगली डाल दी। उंगली डालते ही में हल्का सा उछल पड़ी। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर वो अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी तो मुझे भी मज़ा आने लगा और वो अपने मुँह को मेरी गांड के छेद के ऊपर ले गई और अपने दोनों होठों को मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूसने लगी। इस तरह कुछ देर में ही में झड़ गई और आईना के ऊपर ही गिर गई और उसके होठों को चूमने लगी और वो भी मेरे होठों को चूमने लगी और कुछ देर में आईना के ऊपर ही पड़ी रही। फिर हम दोनों उठे और आईना ने मुझसे पूछा कि बाहर सेक्स करने में कैसा मज़ा आया तो मैंने कहा यार तू सही थी, बहुत मज़ा आया और फिर हम दोनों नंगे ही रोड़ पर चल दिए और वॉक करते हुये मेरी गांड में ताज़ी ताज़ी हवा लग रही थीज बड़ा मज़ा आ रहा था और चलते चलते कभी में आईना के चूतड़ को मसल देती तो कभी वो मेरी चूत मसल देती।
फिर हम एक दूसरे को नंगे देखकर हंस रहे थे। तभी पता नहीं कब हम लाईट के उजाले में आ गये और हमने ध्यान नहीं दिया कि हम अब सबको नज़र आ सकते है और जब हम अपने पड़ोसी के घर के सामने थे और जब हमने उनके गेट खोलने की आवाज़ सुनी तो हमें होश आया और हम सीधे अपने घर की और भागे, लेकिन इतने में उनका गेट खुला और श्रीमती चटवाला जो कि हमारे पड़ोसी है, वो बाहर आई, लेकिन वो हमारा चेहरा देख पाती उससे पहले हम भाग गये और उनको लगा शायद कोई जानवर होगा। फिर हम भागते भागते अपने घर में घुस गये और फिर आईना ने मेन गेट बंद किया, लेकिन दरवाजा लगाने में हल्की सी आवाज़ हो गई तो मैंने उससे कहा कि धीरे धीरे नहीं तो मम्मी पापा जाग जायेंगे और अगर उन्होंने हमें ऐसे देख लिया तो पता नहीं क्या होगा? फिर हम गेट को लॉक करके ऊपर अपने रूम में भाग गये और अपना रूम लॉक कर हम एक दूसरे को देखकर इतना हँसे कि पेट में दर्द ही होने लग गया। फिर आईना ने अपने कपड़े एक तरफ फेंके और बेड पर कूद गई।
फिर मैंने कहा कपड़े नहीं पहनेगी तो वो बोली जब बाहर नहीं पहने तो अंदर रूम में क्यों पहने? आज ऐसे ही नंगे सोते है। मैंने कहा और जब सुबह माँ आयेंगी तो चूतड़ों पर डंडे देंगी तो वो बोली अरे माँ नॉक करके आयेंगी ना और रूम तो लॉक है जब तू खोलने जाये तो मुझे जगा देना तभी कपड़े पहन लेंगे और माँ भी जानती है दिल्ली की गर्मी को, तो कुछ नहीं बोलेगी। मैंने भी सोचा कि आईना सही कह रही है और मैंने भी अपने कपड़े एक तरफ फेंके और अपने बेड पर लेट गई। फिर आईना बोली मेरे बेड पर ही आ जाना, रात भर मज़े करेंगे, में बोली नहीं में अब थक गई हूँ अब में सोने जा रही हूँ और कितने मज़े करेगी तू, तो वो बोली तू पूरे दिन तो सोई है तुझे अब रात में नींद कहाँ से आयेगी। फिर में अपने बेड से उठी और आईना के बगल में जाकर लेट गई, उसने अपना एक हाथ फिर से मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत की दरार में अपनी हल्की सी उंगली अन्दर कर दी और चूत को अपनी उंगली से सहलाने लगी। मैंने भी उसे जो कर रही थी करने दिया। फिर उसने मेरी और देखा और पूछा फिर कल कब चलेगी तू? मैंने कहा यार तू भी? वो बोली क्या तू भी?
फिर मैंने कहा हम मज़े ले तो रहे है इतना रिस्क लेने की क्या जरूरत है तो वो बोली यार वो मज़ा अलग ही होगा, उसके आगे यह सब तो कुछ नहीं है, वो तो अपने लिए मस्त माहोल होगा। मैंने कहा ठीक है चल कल शाम को देखते है, वो बोली ठीक है फिर उसने लाईट ऑफ कर दी और थोड़ी देर बाद ऐसे ही चिपके चिपके हम कब सो गये पता ही नहीं चला। सुबह माँ आई और उन्होंने गेट नॉक किया और हमें नहा धो कर ब्रेकफास्ट के लिए नीचे बुला लिया। फिर हम दोनों एक साथ उठे और हम दोनों ने एक साथ बाथ लिया और ब्रेकफास्ट के लिए नीचे चले गये और ब्रेकफास्ट करते करते मैंने माँ से धीरे से पूछा कि माँ हम आज शाम को बाहर जा सकते है। माँ ने मेरी और देखा और फिर पूछा कि क्या काम है? मैंने कहा माँ हमें कुछ शॉपिंग करनी है। माँ बोली तो अपने सामान पापा को लिखवा दो, वो ले आयेंगे। तभी आईना बोल पड़ी नहीं माँ, हम ले आयेंगे, पापा नहीं ला पायेंगे, तभी माँ समझ गई कि हमारे सामान पापा नहीं ला सकते है।
फिर उन्होंने थोड़ी देर सोचा और बोली अच्छा चलो मुझे लिख कर दे दो, में ले आउंगी। हम दोनों के मुँह से एक साथ निकल गया नहीं, माँ चौक गई और पूछा क्यों नहीं? मैंने आईना के हाथ पर हाथ रख उसे शांत रहने को कहा और फिर में बोली नहीं माँ हम ले आयेंगे आप चिंता मत करो। तो वो बोली तुम दोनों पिछली बात को भूल गई हो, जो अब फिर अकेले बाहर जाने की जिद कर रही हो। फिर में बोली माँ अब पिछली बार जो हुआ वो सोचकर हम दोनों पूरी लाईफ तो डरकर घर नहीं बैठ सकते और फिर अब हम दोनों अपने उसी डर को मिटाने के लिए तो बाहर जाना चाहते है। माँ ने सोचा और फिर बोली आईशा बात तो सही है, लेकिन में अब रिस्क नहीं ले सकती हूँ, अब में भी तुम्हारे साथ चलूंगी। मैंने कहा माँ आप बेकार की टेंशन ले रही हो।
फिर मैंने झूठ बोला कि हमारे साथ हमारी दिल्ली की दो चार फ्रेंड्स भी आ रही है। माँ हल्का सा चौंक गई और बोली तुम दोनों की दिल्ली में कौनसी फ्रेंड्स है। मैंने कहा अरे है मुंबई में मेरी फ्रेंड विभा थी ना, उसकी कज़िन दिल्ली में है, में जानती थी कि माँ विभा को अच्छे से जानती थी और उसकी कज़िन भी थी दिल्ली में है, यह भी वो जानती थी। फिर उन्होंने पूछा कि वो तुम्हें कहा मिलेगी। मैंने कहा वो हमें अगली रेड लाईट से पिक कर लेगी। फिर माँ ने कहा चलो ठीक है, लेकिन पिछली बार की तरह ज्यादा रात मत करना और उनसे कहना कि वो तुम्हें यही ड्रॉप कर दे और मोबाइल चालू रखना, ठीक है। मैंने कहा ठीक है। फिर यह सुनकर आईना बहुत खुश हो गई और फिर वो रूम में चली गई और जैसे ही में रूम में आई तो आईना ने मेरे होंठ चूम लिए और बोली अरे तू तो कमाल के बहाने लगाती है। हमें रोकने के लिए माँ के पास कोई जवाब ही नहीं बचा। मैंने कहा चल ठीक है, लेकिन इतना खुश मत हो, बस यह सोच कि रात को कुछ गड़बड़ ना हो तो वो बोली कुछ गड़बड़ नहीं होगी। तू देखना बहुत मज़ा आने वाला है। फिर शाम होते ही मैंने ऊपर एक ग्रे कलर की टी-शर्ट डाल ली जो मेरे पेट को आधा ढक रही थी और मैंने नीचे नीले कलर की लेगी पहन ली, लेगी इतनी टाईट थी की उसमें से मेरे चूतड़ साफ़ दिखाई दे रहे थे और आईना ने गुलाबी कलर का टॉप और नीले कलर की स्कर्ट पहन ली।
फिर मैंने माँ से पूछा हम जायें तो माँ हमें बाहर तक छोड़ने आई और हमें समझाती रही कि कोई भी प्रोब्लम हो तो हम तुरंत उन्हें या पापा को फोन करें। फिर मैंने उनसे कहा हमें कुछ नहीं होगा और हम निकल गये। आईना बहुत खुश थी और वो उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था। में भी खुश तो थी कि हमारा प्लान काम कर गया, लेकिन मुझे थोड़ा डर भी था कि अब आगे बस में क्या होगा? हमने फिर मेट्रो पकड़ी और वहां से होते हुए हम पुराने किले पहुंचे और काफ़ी देर खड़े रहे और फिर बस का इंतज़ार करते रहे। आज वहां पर बहुत लोग थे हमने सोचा कि शाम होते ही सब चले जायेंगे फिर एक बस आई पूरी भरी हुई उसमें हम चढ़ गये, लेकिन अगले दो स्टॉप तक हमें किसी ने हाथ तक नहीं लगाया। आईना ने निराश होकर बोला यहाँ कुछ नहीं होगा, ऊतर जाते है और अगली बस देखते है।
फिर हम ऊतर गये और फिर हम दूसरी बस का इंतज़ार करने लगे और फिर कई बसे आई, लेकिन किसी में कुछ नहीं हुआ और ऐसा करते करते अंधेरा होने लगा और उधर माँ के फोन आने लगे कि कब तक वापस आओगी और फिर हम दोनों निराश हो गये। फिर मैंने आईना से कहा कि चल घर चलते है फिर कभी देखेंगे, वो भी झट से मान गई और फिर हम दोनों ने एक बस पकड़ी और घर जाने के लिए और उसमें चढ़ गये, उसमें सारी सीट भरी थी और उसमें बस खड़े होने की जगह थी। ऊपर से उसमें सब बड़े लोग थे और ज्यादातर औरते थी। आईना और निराश हो गई और हम दोनों एक 40-45 साल की आंटी की सीट के पास आकर खड़े हो गये, वो और उनकी एक लड़की थी जो हमसे कुछ छोटी होगी, वो वहां बैठी थी। उनके पति हमारे पास में खड़े थे।
आईना का मुँह लटका हुआ था, में भी थोड़ी निराश थी उधर में माँ से फोन पर बात करके बता रही थी कि हम कुछ देर में वापस आ जायेंगे। तभी मुझे अपने चूतड़ पर कुछ महसूस हुआ, मैंने नीचे देखा तो वो आंटी के पति अंकल का हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था, पता नहीं वो गलती से था या जानबुझ कर, लेकिन उनका हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था। मैंने भी सोचा कि देखते है यह क्या है? और यह सोचकर में वैसे ही चुपचाप खड़ी रही। फिर धीरे-धीरे जब अंकल ने देखा कि में कुछ नहीं कह रही हूँ और ना ही में दूर हटकर खड़ी हुई तो उनकी हिम्मत बड़ गई और उन्होंने अपनी पूरी हथेली मेरे चूतड़ पर रखकर मेरे चूतड़ को सहलाना शुरू कर दिया में चुपचाप खड़ी रही। तभी मैंने देखा कि वो आंटी भी आईना की जांघों को अपनी कोहनी से रगड़ रही है, लेकिन आईना इतनी दुखी थी कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने आईना को इशारा किया और हल्का सा अपनी जगह से आईना के पास जाने के लिए गई तो अंकल ने तुरंत मेरी इस हरकत पर अपना हाथ हटा लिया। में आईना के पास गई और उसके कान में बोला कि मुझे लगता है कि यह अंकल और आंटी ठरकी है और यह तेरी ख्वाइश पूरी कर सकते है।
तब उसका ध्यान आंटी के हाथ पर गया, वो मेरी बात सुन कर मुस्कुराई और बोली कि उसे अंकल के पास आने दे। मैंने भी कुछ नहीं कहा और हम दोनों ने एक दूसरे की जगह बदल ली, लेकिन अब एक प्रोब्लम थी कि अंकल इतना घबरा गये थे कि अब वो आईना से थोड़े दूर हटकर ही खड़े हो गये, लेकिन उनकी पत्नी ने हिम्मत दिखाते हुए आईना की जगह मेरी जांघों को कोहनी से टच करना शुरू कर दिया। में भी वैसे ही खड़ी रही, उनकी हिम्मत थोड़ी खुली और धीरे धीरे उनकी कोहनी की जगह अब वो अपनी उंगलियों से मेरी जांघें सहलाने लगी और धीरे धीरे उनका पूरा हाथ मेरी जांघों को सहलाने लग गया। फिर धीरे धीरे उनका हाथ मेरे चूतड़ों तक पहुंचा तो मैंने उनकी और देखा तो उनकी भावना से भरा हुआ चेहरा और ठरकीपन को देखकर मेरे मुँह पर मुस्कुराहट आ गई।
यह देख वो भी मुस्कुरा दी और मुझसे बोली बेटा तुम मेरी बगल की सीट पर बैठ जाओ। मैंने कहा नहीं आंटी ठीक है और आपके बगल की सीट पर तो आपकी बेटी बैठी है ना, इस पर वो बोली इसे तो में अपनी गोद में बिठा लूँगी। तुम इधर आ जाओ। फिर उनके एक इशारे पर उनकी बेटी उठी और उनकी गोद में बैठ गई, वो लड़की हमसे कुछ ही छोटी होगी और उसका वजन लगभग आईना से थोड़ा ही कम होगा, लेकिन आंटी ने तो उसे ऐसे गोद में बैठा लिया जैसे कोई बच्ची हो और वो भी आंटी की गोद में बच्चों की तरह बैठ गई और फिर में कुछ ना कह पाई और उनके बगल की सीट पर जा कर बैठ गई। फिर धीरे धीरे उनका हाथ वापस मेरी जांघों को सहलाने लगा और में उनका साथ दे रही थी। यह देख अंकल को भी थोड़ी हिम्मत आई और उन्होंने आईना की जांघों को अपनी उंगलियों से टच करना शुरू कर दिया और आईना ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी तो वो भी समझ गये कि हम दोनों क्या चाहते है? फिर अंकल ने धीरे धीरे आईना की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसकी स्कर्ट के अंदर तक हाथ को ले जाने लगे, लेकिन फिर भी वो वैसे ही खड़ी रही। फिर उसने हल्का सा अंकल की और देखा, लेकिन वो उसकी जांघों में इतने मस्त थे कि उन्होंने आईना को देखते हुए भी नहीं देखा और फिर धीरे धीरे उनका हाथ आईना के चूतड़ों पर चला गया और वो हल्के हल्के उन्हें उसकी स्कर्ट पर से ही सहलाने लगे। आईना को भी मज़ा आ रहा था उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था। फिर धीरे धीरे बस भी खाली होती गई और फिर बस में हम दोनों के अलावा आंटी की फेमिली और एक आदमी और बैठा था और कंडक्टर और ड्राइवर ही बस में रह गये, लेकिन आईना और अंकल वहीं खड़े रहे। इधर आंटी मेरी जांघो को सहलाते हुये टी-शर्ट के अंदर जाकर मेरी लेगी के ऊपर से मेरी चूत पर टच कर रही थी। में भी बस की खिड़की के बाहर देख रही थी, मेरे कुछ ना बोलने से उनको और हिम्मत आ गई, अब उनकी बेटी ने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए थे।
मैंने जब अपने बूब्स पर उसके हाथ देखे तो में समझ गई कि पूरी फेमिली ही ठरकी है। उधर आईना की स्कर्ट के अंदर लगभग अंकल का हाथ जाने लग गया था और कुछ ना बोलने की वजह से अंकल ने अपना पूरा हाथ एकदम से आईना की स्कर्ट के अंदर डाल दिया और पेंटी के ऊपर से उसके चूतड़ों को मसलने लग गये। उनके एकदम से इतना कामुक होने पर आईना भी थोड़ी हैरान हुई, लेकिन फिर वो कुछ ना बोली। यह देखकर अंकल की और हिम्मत बड़ गई और वो आईना की पेंटी पकड़कर खींचने लगे, लेकिन आईना ने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन आईना कुछ बोल नहीं रही थी तो अंकल जानते थे कि वो क्या चाह रही है? तभी दूसरी और से एक आदमी उठा और उसने आईना का हाथ पकड़ लिया जिससे अंकल फ्री हो गये और उन्होंने तुरंत उसकी पेंटी नीचे खींच दी, अब वो सिर्फ़ स्कर्ट में थी और उसके नीचे वो बिल्कुल नंगी थी।
अब आईना के पीछे दो आदमी थे, अंकल और वो दूसरा आदमी और दोनों अब आईना की स्कर्ट उठाकर उसके चूतड़ों को मसलने लग गये। उधर आंटी और उनकी बेटी मेरे बूब्स और चूत को सहलाते हुये मसलने लग गये थे। आंटी ने मेरी टी-शर्ट को मेरी नाभि तक ऊपर उठा दिया और मेरी लेगी को उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका, लेकिन उनकी बेटी ने तुरंत मेरे हाथ पकड़ लिए। फिर आंटी मेरी लेगी को नीचे करने लगी, लेकिन मैंने भी अपने चूतड़ नहीं उठाये तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड के नीचे लगाया और मुझे हल्का सा उठा दिया और फिर मेरी लेगी को पंजो तक पूरी नीचे ऊतार दिया। अब मेरे नीचे सिर्फ़ पेंटी बची थी और आंटी वापस मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चूत को रगड़ने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स मसलने लगी और दूसरी और वहाँ अंकल और वो दूसरा आदमी आईना के नंगे चूतड़ों को बुरी तरह मसलने में लगे थे।
फिर अंकल ने अपना हाथ आगे किया और आईना की दोनों टाँगो के बीच उसकी चूत को टटोलने लगे। आईना ने भी अपने पैर हल्के से फैला लिए और दूसरा आदमी उसकी गांड और गोरे-गोरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा। अब अंकल अपने एक हाथ से आईना की चूत सहलाने लगे और दूसरे हाथ से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स को मसलने लगे। आईना को बड़ा मज़ा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी। अब बस का कंडक्टर भी आईना के पास आ गया और आते ही उसके बूब्स को दबाने लगा। फिर अंकल आईना की टी-शर्ट को उतारने लगे। आईना ने पहले तो अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट को दबाया, लेकिन अंकल कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने उसके हाथ ज़बरदस्ती ऊपर किए और उसकी टी-शर्ट ऊतार दी, अब वो सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी। इधर आंटी की बेटी ने भी मेरी टी-शर्ट ऊतार दी थी और मेरी ब्रा पर से मेरे बूब्स से खेल रही थी। फिर मैंने अपनी खिड़की बंद कर दी और उस पर पर्दा डाल दिया था जिससे कि बाहर का कोई अंदर ना देख सके, फिर आंटी ने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्रा रह गई, कुछ ही देर में उनकी बेटी ने मेरी ब्रा को भी ऊतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया।
फिर आंटी सीट के नीचे बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स को चूसने लगी। मैंने पीछे मुड़कर आईना की हालत देखी तो उसके शरीर पर बस स्कर्ट ही बची थी। उसकी ब्रा कंडक्टर ने उतार दी थी और वो अब उसके बूब्स को चूस रहा था और स्कर्ट भी कुछ ही बची थी, उसे अंकल ने ऊपर उठा रखा था और वो भी उसकी चूत चूस रहे थे और पीछे खड़ा आदमी उसके चूतड़ को चूम रहा था। फिर आंटी अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर तक ले जा रही थी और मस्त तरह से मेरी चूत को चूस रही थी। फिर मैंने वहां उनकी बेटी को नंगा करना शुरू कर दिया था। आंटी ने जैसे ही ऊपर देखा तो उन्होंने अपनी बेटी को देखा और फिर मेरी और देखा और मुस्कुराई। फिर मेरी चूत को वापस चूसने लगी, फिर वहां आईना की स्कर्ट भी तीसरे आदमी ने उतार दी और फिर अपने कपड़े भी उतारने लगा।
आईना अभी भी वर्जिन थी तो मुझे डर था कि वो इतने लंड झेल पायेगी या नहीं और में यह सोच रही थी कि तीनों आदमीयों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे और थोड़ी ही देर में तीनों बिल्कुल नंगे हो गये। इधर मैंने आंटी की बेटी को भी पूरा नंगा कर दिया और उसके छोटे छोटे बूब्स चूसने लगी। अब बस वहां आंटी ही कपड़े पहनी थी। अंकल ने आईना को अपना लंड चूसने को कहा तो आईना का मन नहीं कर रहा था, लेकिन फिर वो किसी तरह घुटनों के बल बैठी तो तीनों ने अपने अपने लंड उसके मुँह के सामने रख दिए, लेकिन इतने में आंटी उठी और उन आदमियों से बोली अरे उस अकेली बेचारी को क्यों पकड़ रखा है और वैसे भी यह दोनों कुँवारी लड़कियाँ है। एक लंड से ज्यादा नहीं झेल पायेंगी। यहाँ तीन जवान लड़कीयां है एक एक आदमी एक लड़की को पकड़ लो।
[color=#606569][size=medium]इस पर अंकल तो वहीं रहे और कंडक्टर मेरे पास आ गया और वो तीसरा आदमी आंटी की बेटी को लेकर अगली सीट पर चला गया। आंटी ने अपने सारे कपड़े उतारे और ड्राइवर के पास चली गई। ड्राइवर ने भी अंधेरी जगह देखकर बस साईड में खड़ी कर दी और आंटी पर सवार हो गया। फिर कंडक्टर मेरे मुँह के सामने अपना लंड लेकर खड़ा हो गया। में जानती थी कि वो क्या चाहता है, लेकिन उसका काला लंड देखकर मेरा उसे मुँह में लेने का मन नहीं कर रहा था। उधर आईना ने अंकल के लंड को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी बॉल्स को चूमने लगी, अंकल का लंड पूरा तन गया और लगभग 7 इंच का हो गया। फिर आईना ने अब उनके सुपाड़े को दो चार बार चूमा और फिर उनका लंड अपने मुँह में ले लिया। यह देख मुझे भी जोश आया और मैंने अपनी आँखें बंद की और कंडक्टर के लंड को सीधे मुँह में डाल लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी। फिर बगल की सीट पर लेटी आंटी की बेटी की चुदाई शुरू हो गई थी, क्योंकि उसकी सिसकियाँ में साफ सुन सकती थी और आईना ने अंकल के लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और उसे बड़े मज़े लेकर चूसने लगी, जबकि मुझे कंडक्टर का लंड चूसने में ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन में क्या क
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