पार्क में मज़ा सेक्स कहानियाँ
#1
मेरा नाम सैम है। अनल्पाई.नेट में मेरी यह पहली कहानी है। यह कहानी तब की है जब मैं कॉलेज में था।

एक दिन जब मैं कॉलेज पंहुचा तो एक लड़की कॉलेज के बाहर खड़ी थी। मस्त माल थी ! उसके गजब के बूब्स थे जो उसकी ब्रा से निकले जा रहे थे। लेकिन उसका रंग काला था पर वो गजब की सेक्सी लग रही थी।

मैंने उससे उसका नाम पूछा।

वो बोली- जी पूनम ! मैं अपनी दोस्त से मिलने आई थी। लगता है कि वो आज नहीं आई है।

उसने मुझसे कहा- क्या आप मुझे बस-स्टैंड तक छोड़ देंगे?

मैं तो मौके की तलाश में था, जो मुझे मिल गया। मैं उसे अपनी बाइक पर लेकर निकल गया, उसके बूब्स मेरे पीठ पर लग रहे थे और मेरा लंड खड़ा हो जाता, उसके नुकीले निप्पल मुझे पागल कर रहे थे। स्टैंड पहुँच कर पता चला कि बस निकल गई है और अगली बस शाम को ६ बजे है। अभी तो सिर्फ़ १ बजा है, तो उसने कहा कि चलो घूम आते हैं, समय भी निकल जाएगा और पता भी नहीं चलेगा।

मैं उसे लेकर एक पार्क में गया। गर्मी के दिनों में वैसे भी कम लोग ही दिन को पार्क में होते हैं। एक पेड़ की नीचे हम दोनों बैठ गए। घास चारों तरफ थी, इसलिए हमें कोई दूसरा नहीं देख पा रहा था, और मेरी नज़र तो सिर्फ़ उसके बूब्स पर थी, बातों का सिलसिला चल रहा था, वो अपने बारे में बता रही थी और मैं अपने बारे में।

अचानक उसने कहा कि मैं लेटना चाहती हूँ ! क्या मैं अपना सर आपकी गोद में रख दूँ?

उसने अपना सर मेरी गोद में रख दिया और बातें करने लगी। मेरी नज़र तो उसकी छाती पर थी, उसके गोल गोल स्तन मैं साफ देख रहा था। जब वो साँस लेती तो उसकी छाती ऊपर नीचे होती, उसके स्तन कभी छोटे तो कभी बड़े हो जाते और मेरा लंड का तो बुरा हाल था। मैं तड़प रहा था उसे चोदने के लिए। मैं जानबूझ कर एक हाथ उसकी छाती पर ले गया और उसके बूब्स को छुआ लेकिन उसने कुछ कहा नहीं।

तब मैंने उससे पूछा कि कभी तुमने सेक्स किया है?

वो मेरे इस सवाल को सुनकर घबरा गई और शरमाते हुए बोली- नहीं !

मैंने तुंरत पूछा- ब्लू फ़िल्म देखी है कभी?

वो बोली- नहीं हाँ एक बार, अपने घर पर !

क्या देखा? - उससे मैंने पूछा।

मतलब- क्या?- क्या देखा?- एक लड़का एक लड़की को नंगा करके चोदे जा रहा है, और लड़की सिस सिस कर रही है।

अब वो मुझसे खुल कर बाते करने लगी। मैं अपना एक हाथ उसके स्तन पर ले गया अब वो भी मज़े लेने लगी, मैंने उसे जोरो से दबाया वो सी स सी सी ---- कर रही थी, और दूसरे हाथ उसकी जींस के अन्दर ले गया, पैंटी के नीचे स्वर्ग था जिसकी अनुभूति मुझे मिलने लगी, उसकी चूत पर बाल थे, जैसे ही मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा, वो तिलमिला गई।

मैं अपनी उंगली उसके चूत के अंदर ले गया, साली पहले भी चुदवाई हुई थी, एक बार में पूरी उंगली चली गई। उसके मुंह से अजीब सी आवाजें निकल रही थी।

उसने मेरी जिप खोली और मेरा लंड चूसने लग गई और मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा।

अब वो भी तड़प रही थी और मैं भी। मैंने उसकी जींस खोल दी, उसकी पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी चूत को चूसने लगा।

जोर से --- और जोर से चूसो ना मुझे ! आज मेरी चूत को पका दो मेरे राजा !

जैसे जैसे मैं उसकी चूत चूसता उसको मज़ा आता, अब उसने कहा- मादरचोद मुझे चोद ! चोद मादरचोद !

मैंने कहा- रंडी अभी चोदता हूँ तुझे, सच सच बता कितनी बार चुदाई है?

५ बार मेरे बॉय-फ्रेंड्स ने मुझे चोदा है और एक बार टीचर ने अपने मुझे घर पर !

अब मुझे चोद- उसके काले रंग पर उसकी चूत का रंग बहुत खिल रहा था। उसकी चूत लाल रंग और उसका सारा जिस्म काले रंग से ढका हुआ था।

उसके काले-काले स्तन और उस पर काले रंग के निप्पल मुझे पागल किए जा रहे थे।

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया, और मेरा पूरा लंड उसके चूत में समां गया, अब वो भी अपनी गाण्ड उठा उठा कर जबाब देने लगी और उसके मुँह से गन्दी गन्दी गलियाँ निकल रही थी।

बहनचोद ! चोद मुझे ! आज चोद मुझे ! उसके चूत की गोलाई कभी फैल जाती कभी सिकुड़ जाती।

रंडी की औलाद ! आज जी भर के चोदूँगा तुझे !

हाँ मेरे राजा ! ये चूत तो तुम्हारी है !

जोर से ! जोर से ! से..से सी.. सी... सी..... अ आई...... अ....अ...आह्ह .... ...या..... जोर .. जोर से मेरे रज्जा !

उई उई चोद दे ... जोर से... आज ....... सी ! मैं तो गई .... मैं ... मैं गयी........ और वो झड़ गई।

थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया, उसने मेरा लंड साफ किया और मैंने उसे चूत।

इसी तरह हमने चार बार चुदाई की।
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