संचीता मेडम को चुदते देखा
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हेल्लो दोस्तों, में दीपक और में मेरठ से हूँ। यह एक सच्ची कहानी है, मुझे आशा है कि आपको यह बहुत पसंद आयेगी। में दीपक उम्र 25 साल। दोस्तों ये एक आँखो देखी बिल्कुल सच्ची कहानी है, जो कि में आज बता रहा हूँ। में मेरठ में रहता हूँ, मेरठ में मेरे रिश्तेदार रहते है, जो यहाँ एक आर्मी ऑफिसर के यहा काम करते है और वो बिहार के रहने वाले है। वो अपनी फेमिली के साथ यहाँ पर रहते है। उन्हे एक क्वॉर्टर मिला हुआ है, जिसके पीछे एक गेस्ट रूम है, जो कि उन्होने मेरे रिश्तेदार को रहने के लिए दिया हुआ है। साहब की फेमिली में उनकी वाईफ और एक बेटी है, कुल तीन लोगों की फेमिली है। उनके साहब का नाम प्रणव चौधरी है और उम्र 36 या 37 साल होगी और मेडम की 33 या 34 और बेटी डोना अभी 4 साल की है। ये कहानी जो में बता रहा हूँ, वो मेडम की है, जो मैंने कई बार देखा है। मेडम का नाम संचीता चौधरी है और कोई 5 फीट की हाईट की होगी, बहुत गोरी और मांसल बॉडी की औरत है। उनका फिगर कोई 38-30-40 होगा। वो काफ़ी रंगीन मिज़ाज़ की औरत है और कई लोगों के साथ उनके शाररिक संबंध है, जो कि में चुपकर कई बार देख चुका हूँ। आज उन्ही में से पहली कहानी लिख रहा हूँ। ये पहली कहानी है, जो लगभग एक साल पुरानी है। 4 से 5 दिनों के लिये साहब अक्सर आर्मी के कैंप में मेरठ से बाहर जाते रहते है और तब संचीता मेडम सिर्फ़ अपनी बेटी के साथ अकेली ही घर में रहती है। मेरे रिश्तेदार उनसे काफ़ी नजदीक है और मेडम ने उन्हे अपने कई यारों के बारे में बता रखा है, जो कभी कभी मेरे रिश्तेदार मज़ाक में मेरे सामने भी बोलते है कि आज तो मेडम के मज़े होने वाले है। मेरे रूम से संचीता मेडम का क्वॉर्टर सटा हुआ है और एक विंडो है, जो कि संचीता मेडम के क्वॉर्टर के साईड में खुलती है, उन्हे जब भाभी को बुलाना होता है, तो वो उसी विंडो से आवाज़ दे देती है।
ये कहानी तब की है जब साहब कैंप में बाहर गये हुए थे और मेरे रिश्तेदार को किसी काम से मेरठ से बाहर जाना पड़ा। यहाँ पर सिर्फ़ में और मेरे रिश्तेदार का एक बेटा था, जो संचीता मेडम की बेटी के साथ खेलता था। एक दिन सुबह ही मुझे पेशाब लग गयी और मेरी नींद टूट गई, मेरे रूम में अटेच बाथरूम नहीं था, इसलिए मुझे रूम से बाहर निकलना पड़ा और बाहर में पेशाब करके वापस रूम में लौटने लगा कि संचीता मेडम की बेटी के रोने की आवाज़ सुनी।
पहले मैंने ध्यान नहीं दिया, क्योंकी मुझे नींद आ रही थी, लेकिन उसका रोना सुनकर सोचा कि संचीता मेडम से पूछ लूँ कि वो क्यों रो रही है और में विंडो के पास गया और मेडम को आवाज़ लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला। फिर में रूम से बाहर निकला और सोचा कि एक नज़र बाहर देख लेता हूँ। फिर मैंने बाहर जाकर भी देख लिया और मेन दरवाजा भी लॉक ही था। अब मुझे लगा कि संचीता मेडम कहाँ है और जब में लौटने लगा तब में बाहर से जो पहला रूम था, उसमे से किसी के बोलने की आवाज़ सुनी, तो में हैरान हो गया कि वहां कौन है? साहब तो अभी कैंप पर गये हुए है। मैंने उस रूम का दरवाजा खोलना चाहा पर डोर अंदर से लॉक था। फिर मैंने दरवाजे से कान लगाया और अंदर की आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगा, मुझे एक मर्द और एक औरत की आवाज़ सुनाई पड़ी। मर्द की आवाज़ कुछ पहचानी लगी और औरत की आवाज़ संचीता मेडम की थी। में सोच में पड़ गया कि अंदर संचीता मेडम के साथ कौन है और में अंदर देखने की कोशिश में दरवाजे में कोई छेद खोजने लगा, जो कि मिल भी गया।
मैंने उस होल से अंदर देखा तो मुझे मज़ा आ गया। अंदर संचीता मेडम बेड पर नाईटी में बैठी थी और एक 40-42 का जवान आदमी, जिसका नाम राकेश था और वो यहाँ ब्याज पर पैसा देने का काम करता है और बहुत अमीर आदमी है (ये में इसलिए जानता हूँ कि मेरे रिश्तेदार भी उससे कभी कभी उधार पैसा लेती है) वो अपनी पेंट पहन रहा था और संचीता मेडम से कुछ कुछ बोल रहा था, मेडम उसकी बात सुनकर मुस्करा रही थी। फिर बोली कि अब तुम निकलो जल्दी, राकेश पेंट पहनकर अपना कुर्ता पहना और बोला कि अब कब आऊंगा? मेडम बोली कि अब कल दिन में आना, लेकिन 12 बजे के बाद क्योंकि तब तक में अपना सारा काम ख़त्म कर लेती हूँ, ठीक है में आ जाऊंगा। फिर संचीता मेडम उठी, तो में भी वहां से हटा और अपने रूम में चला आया।
अगले दिन में सुबह ही संचीता मेडम से बोला कि में बाहर जा रहा हूँ, कुछ काम है तो में कर दूँ तो उन्होने बोला कि कुछ नहीं, आप जाओ, मैंने कहा कि में शाम को आकर सब्जी ला दूँगा और में निकल गया। संचीता मेडम भी सोच रही होगी कि अब में शाम को आऊंगा और वो बेफिक्र हो गई। में 12 बजे वापस चुपचाप अपने रूम पर आ गया, तो वहां देखा कि मेडम की बेटी मेरे रिश्तेदार के बेटे के साथ खेल रही है। फिर मैंने पूछा कि यहा क्यों खेल रहे हो, तो मेरे रिश्तेदार के बेटे ने बोला कि मेडम ने बोला है कि बेबी को अपने यहाँ ले जाकर खेलो और में समझ गया कि रात वाला आदमी राकेश आ रहा होगा, इसीलिए मेडम ने बेबी को वहां से यहाँ भेज दिया।
कुछ देर के बाद में उससे बोला कि जाओ देखकर आओ कि मेडम क्या कर रही है और बोलना कि क्या में बेबी को लेकर बाहर वाले रूम में आकर खेल लूँ। वो गया और कुछ देर बाद वापस आया और मुझसे बोला कि कोई साहब आये हुए है और मेडम बोली कि ठीक है, जब बेबी बोले तब ड्रॉइंग रूम में आकर खेलना, में डोर खुला छोड़ देती हूँ। में समझ गया कि अब संचीता मज़ा मार रही होगी और में उससे बोला कि तुम इधर ही बेबी के साथ खेलो और जब तक में ना आ जाऊं, बाहर मत निकलना। वो बोला ठीक है और में बाहर निकला और चुपके से मेडम के ड्रॉइंग रूम में गया। में जानता था कि मेडम बेडरूम में ही होगी, क्योंकि उधर ए.सी. लगा है। फिर में दबे पावं बेडरूम के दरवाजे पर पहुंचा और एक होल भी मुझे मिल गया। फिर मैंने आँख लगा दी और अंदर का नज़ारा देखा तो अंदर का सीन देखकर में मस्त हो गया। राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ा हुआ था और संचीता मेडम के होंठ को चूस रहा था और संचीता मेडम उसकी पीठ को सहला रही थी।
फिर राकेश उठा और अपना कुर्ता उतार फेंका। फिर पेंट भी उतार डाली। अब वो अंडरवियर में था और संचीता मेडम नाईटी में थी। फिर राकेश ने अपना अंडरवियर खोल दिया, उसका लंड साईज़ से काफ़ी बड़ा और मोटा था। मेरे हिसाब से 7 इंच से थोड़ा ज़्यादा ही होगा और एकदम तना हुआ था, उसने संचीता मेडम का हाथ पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया। संचीता उसका लंड हाथ में लेती हुई बोली कि आज ज़्यादा तमतमा रहा है ये। हाँ जानेमन जल्दी से अपनी चूत में इसको ले ले, दो राउंड मारने है ना हाहहहः। संचीता मेडम मस्ती से हँसती हुई बोली कि आज के बाद नहीं लेना है क्या? अरे संचीता तुझे तो जिंदगी भर भी पेलता रहूँ तो मेरे लंड की प्यास नहीं मिटने वाली। संचीता मेडम उसका लंड सहलाते हुए बोली कि ऐसा क्यों? अरे संचीता रानी तू चीज़ ही ऐसी है, जितना पेलता हूँ तो और पेलने का मन करता है और ये कहकर वो संचीता मेडम से बोला कि संचीता रानी एक राउंड पहले जल्दी से कर ले।
फिर तुझे आराम से चोदूंगा, चल तू घोड़ी बन और उसने संचीता को ज़मीन पर ही बिठा दिया। मेडम ज़मीन पर ही घोड़ी बन गई, तो वो मेडम के पीछे खड़ा होकर संचीता मेडम की नाईटी को उसकी गांड से ऊपर उठा दिया। संचीता मेडम ने अंदर कुछ नहीं पहना था। संचीता मेडम की गोरी गोरी मोटी गांड देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया। फिर वो संचीता मेडम के ऊपर झुका और चूत पर अपना लंड टिकाकर धक्का मारा तो संचीता मेडम हल्की सी चीखी, एक ही धक्के में लगभग पूरा लंड संचीता की चूत में घुस गया। फिर वो जोर जोर से धक्के मारने लगा।
संचीता मेडम भी मस्ती से सिसकारी लेने लगी, आआहह सीईीईसीईसी। वो संचीता मेडम को ज़मीन पर ही घोड़ी बनाकर कस कसकर पेल रहा था। संचीता मेडम की चूत गीली हो गई थी, इसलिये हर बार जब उसका लंड अंदर जाता था तो पच पच की आवाज़ होती थी। 5-7 मिनट तक संचीता मेडम को ज़मीन पर चोदने के बाद वो सीधा खड़ा हुआ और संचीता मेडम को भी खड़ा कर दिया और संचीता की गांड पर अपना लंड सटाकर संचीता को धकेलता हुआ दीवार से सटा दिया। अब संचीता मेडम का चेहरा दीवार से सटा हुआ था और उसने संचीता मेडम के पीछे खड़ा होकर लंड उसकी चूत में घुसा दिया। मेडम ने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका दिये और वो संचीता मेडम को खड़े खड़े पीछे से चोदने लगा और साथ साथ उसने संचीता मेडम की बड़ी बड़ी चूची को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और संचीता मेडम की चूची मसलते हुए संचीता मेडम को चोद रहा था। संचीता दीवार पर हाथ टिकाकर कामुक सिसकारी लेती हुई उसको ज़ोर ज़ोर से चोदने को बोल रही थी, आहह कसकर चोद सीइसस्स्स्स्ससी उउउ। इसी तरह 5-6 मिनट चोदने के बाद उसने कहा कि पानी कहा डालूँ? तब संचीता मेडम बोली कि पलंग पर चलो।
राकेश ने लंड मेडम की चूत से खींचा और संचीता मेडम पलंग पर आकर पैर फैलाकर लेट गई। अब में संचीता मेडम की चूत देख रहा था। संचीता की चूत मोटी मोटी थी और चूत पर बहुत बाल थे और चुदाई की वज़ह से चूत लाल हो गई थी। राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ा और लंड संचीता मेडम की चूत में डालकर ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगा। संचीता मेडम भी अपनी गांड उठा उठाकर उसके हर धक्के का जबाब दे रही थी। दोनों एक दूसरे के मुँह में मुँह घुसाये हुए थे। 20-22 धक्के लगाकर राकेश संचीता मेडम से ज़ोर से चिपक गया। उसका पानी निकल रहा था, अहहाः मेडम में तो गया, जा पी मेरे माल को साली मेरे लंड को निचोड़ ले, आ मेरी संचीता। मेडम भी अपने पैर को उसकी कमर पर लपेटकर उससे कसकर लिपट गई, शायद उसका भी पानी निकल रहा था, मेरा भी हो गया। हाँ मेरा भी पानी निकल गया, दोनों झड़ते हुए एक दूसरे का मुँह चूस रहे थे।
फिर दोनों शांत हो गये। थोड़ी देर के बाद राकेश ने संचीता मेडम की चूत से अपना लंड बाहर खींच लिया और संचीता के पैरों के बीच बैठकर संचीता मेडम की नाईटी से उसकी चूत साफ करने लगा। संचीता की चूत को देखते हुए मैंने भी अपना पानी निकाल दिया। फिर संचीता मेडम बोली कि अब छोड़ो, में अभी बाथरूम से आती हूँ। फिर संचीता मेडम उठी और नंगी ही रूम से अटेच बाथरूम में चली गई, शायद वो पेशाब करने के लिए बाथरूम में गई थी।
उनके वापस आने के बाद राकेश भी उठा और बाथरूम में गया और पेशाब करके वापस आया और बिस्तर पर नंगा ही पड़ गया। तभी संचीता मेडम का मोबाईल रिंग करने लगा और उसने 5 मिनट तक किसी से बात की और बात करके वो मोबाईल वहीं टेबल पर रखकर उस आदमी से बोली कि क्यों क्या हुआ? वो बोला मतलब क्या वहीं खड़ी रहने के लिए मुझे इधर बुलाया है। संचीता मेडम हंसती हुई बोली और क्या? पास आकर क्या करना है? ये सुनकर राकेश अपना लंड हिलाता हुआ बोला कि इसको नहीं लेना है क्या? मेडम बोली कि वो तो अभी तक सोया पड़ा है, उसको कैसे लूँगी। तो वो आदमी बोला कि रानी पास आओ, अभी खड़ा हो जायेगा और संचीता मेडम पलंग के पास जाकर खड़ी हो गई। फिर उसने संचीता मेडम का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा।
संचीता मेडम अब उसके बराबर ही बिस्तर पर लेट चुकी थी। सच कहता हूँ संचीता एक साल से तुझे चोद रहा हूँ, लेकिन हर बार जब तेरे को चोदता हूँ, तो ऐसा लगता है कि पहली बार चोद रहा हूँ। साली तेरी जैसी चुदक्कड़ औरत नहीं देखी मैंने। संचीता मेडम उसकी बात पर हँसते हुए बोली कि 2 बजने वाली है और आप 4 बजे तक चले जाना, समझे।
राकेश ने अब संचीता मेडम की गांड और पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। संचीता मेडम उसको चूम रही थी और वो भी संचीता मेडम के होठों को अपने होठों से दबा रहा था और मेरी तरफ मेडम की गांड थी, जिस पर में राकेश का हाथ देख रहा था, वो संचीता की गांड को हाथ से दबा रहा था और कभी संचीता मेडम की पीठ को सहला रहा था, मेडम भी उसकी गांड को कसकर मुट्ठी में दबाने लगी, उसने उत्तेजित होकर संचीता मेडम को ज़ोर से अपनी बाहो में जकड़ लिया, आह्ह्ह्ह संचीता मेडम के मुँह से आवाज़ निकल गई। फिर राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ गया और संचीता मेडम ने उसको ज़ोर से पकड़ लिया।
राकेश अब मेडम को ज़ोर ज़ोर से चूम रहा था। संचीता मेडम भी उसका पूरा सहयोग कर रही थी। फिर राकेश संचीता की बड़ी बड़ी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ने लगा। उसका निप्पल 1 इंच का होगा, एकदम ब्राउन। वो मेडम की एक चूची को मुँह में लेकर चूसता तो दूसरे को हाथ से मसलता। संचीता मेडम अपने एक हाथ से उसकी गांड सहला रही थी और दूसरे हाथ को अपने और उसकी बॉडी के बीच घुसा रखा था। शायद वो उसके लंड को पकड़े हुए थी, क्योंकि उसका हाथ आगे पीछे हो रहा था। कुछ देर तक संचीता मेडम की चूचियों को चूसने के बाद राकेश संचीता के होठों को चूसने लगा, उसने मेडम के मुँह में अपनी जीभ घुसाना शुरू किया तो मेडम भी अपनी जीभ उसकी जीभ से टच करने लगी और साथ ही वो एक हाथ से उसकी गांड पकड़े हुए थी और दूसरे से उसका लंड। इतना करते करते राकेश संचीता के ऊपर से उतर के बगल में हो गया।
मेडम ने उसकी तरफ मुँह किया, तो मुझे उसकी गोरी और बड़ी गांड दिखी, जो कि एकदम चिकनी थी और एक भी बाल नहीं था। वो मेडम की गांड को एक हाथ से पकड़कर दबा रहा था, तो कभी सहला रहा था। संचीता मेडम उसका लंड अपने हाथ में लेकर दबा रही थी। इस तरह से काफ़ी देर तक दोनों फोर प्ले करते रहे। उसका लंड पूरा टाईट होकर संचीता मेडम की मुट्टी में फंसा हुआ था और मेडम भी शायद पूरी चुदसी हो चुकी थी, क्योंकि अब वो उसको अपने ऊपर खींचने लगी थी। संचीता मेडम तभी बोली कि आ जाओ अब, उसकी आवाज़ काफ़ी भारी हो गई थी, शायद चुदसी की वजह से। अब मेडम पीठ के बल सीधी लेट गयी और राकेश मेडम के पैर के बीच आकर बैठा। उसका काला लंबा मोटा लंड फंनफना रहा था, जैसे ही वो संचीता मेडम के पैर के बीच में बैठा, तो संचीता उसका लंड पकड़कर चूत पर रख लिया और उसने थोड़ा दवाब दिया, तो उसका पूरा लंड संचीता की बालों से भरी चूत में चला गया। राकेश लंड डालकर संचीता के ऊपर लेट गया और धक्का मारना शुरू कर दिया। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
मेडम उसकी पीठ पर अपने दोनों हाथ रखे हुए थी और आँख बंद करके लंड का मज़ा ले रही थी। वो नॉर्मल स्पीड से संचीता की चूत में लंड आगे पीछे कर रहा था। कुछ देर तक इसी तरह से चोदने के बाद उसने करवट बदल ली और संचीता मेडम को अपनी तरफ मुँह करने को बोला। फिर मैंने देखा कि उसका काला लंड एकदम चमक रहा था, शायद संचीता की चूत का पानी उस पर लगा था। संचीता उसकी तरफ हो गई, तो उसने मेडम का एक पैर अपनी कमर पर रख लिया और अपना लंड उसकी चूत में डालकर आगे पीछे करने लगा। मेडम की गांड मेरी तरफ थी और में उसकी चूत में उसके लंड को आते जाते साफ देख रहा था।
राकेश संचीता की गांड को हाथ से पकड़कर दबाते हुए उसको पेले जा रहा था, संचीता मेडम के मुँह से मज़े के कारण आहहहईई की आवाज़ निकल रही थी। वो भी अब लंड के धक्के का जबाब देते हुए अपनी कमर उसकी कमर से टकरा रही थी। इस स्टाईल में वो संचीता को करीब 10 मिनट तक चोदता रहा। फिर वो मेडम को वापस सीधा करके उसके ऊपर चड़कर उसको चोदने लगा। राकेश ने पूछा कि मज़ा आ रहा है जानू, संचीता ने उसकी गांड पर अपने दोनों हाथ रखे हुये बोली कि ज़ोर से धक्का मारोगे तब मज़ा आयेगा। धीरे चोदने में मज़ा नहीं मिलता मुझे, ज़ोर के धक्के का मज़ा ही कुछ और है। वो बोला  अच्छा तो ये लो मेडम जी, संचीता सिसक पड़ी और वो ताव में आ गया था और मेडम को खूब ज़ोर से धक्का मारा। मेडम बोली कि हाँ इसी तरह करो, अब अच्छा लगा ना। संचीता मेडम उसको जोश में लाते हुए बोली कि अब ज़ोर ज़ोर से पेलो।
उसकी ज़ोरदार चुदाई से संचीता भी अपनी गांड हिलाने लगी, वो उसके हर धक्के पर नीचे से अपनी गांड उठाने लगी थी और साथ ही उसके मुँह से मस्ती भरी आवाज़ निकलने लगी थी। 5-6 मिनट लगातार कस कसकर धक्के मारने के बाद वो धक्के लगाना बंद करके संचीता के ऊपर लेट गया। उसके हांफने की आवाज़ मुझ तक पहुँच रही थी। संचीता की भी हालत वैसी ही थी और वो भी हांफ रही थी। 1-2 मिनट रुककर वो उठा और मेडम से बोला कि संचीता अब पीछे से आ जाओ, तो वो उठी और बिस्तर पर कुत्तिया बन गई और वो खड़ा होकर मेडम की गांड पर झुका और संचीता की चूत में लंड घुसा दिया। में उसको साईड से देख रहा था तो मुझे मेडम की चूत में लंड आता जाता नहीं दिख रहा था। वो झुककर मेडम की गांड पर हाथ जमाकर धक्के लगाने लगा।
इस बार जब जब लंड संचीता की चूत में अंदर जाता तो मुझे पच पच की आवाज़ सुनाई देने लगी, वो जब धक्का देता तो मेडम की बड़ी बड़ी चूची आगे पीछे हो रही थी। संचीता मेडम मस्ती से आँख बंद कर सिसकारी लेती हुई उससे कुछ बोलती थी, जो कि मुझे सुनाई नहीं दे रहा था। राकेश अब थोड़ा और संचीता के ऊपर झुक गया था और मेडम की लटकी हुई चूची को पकड़कर उसको चोदता रहा। जब उसका बेलेन्स समाप्त होने लगा तो वो संचीता की गांड के पीछे कुत्ता बनकर बैठ गया और दोनों हाथ से मेडम की गांड को साईड से पकड़कर उसकी चूत चोदता रहा। संचीता को कुत्तिया बनाकर राकेश बहुत देर तक चोदता रहा। फिर अचानक से वो बोला कि मेडम अब आपकी गांड मारूँगा।
इतना सुनते ही मेडम उससे अलग हो गई और बोली नहीं बहुत दर्द होता है संचीता इनकार करते हुए बोली कि आपका लंड ज़्यादा मोटा है, तो वो बोला कि हाँ मेरे जैसा लंड बहुत कम लोगों का ही होता है। फिर संचीता बोली कि तभी तो आपको जब उस दिन पेशाब करते देखा और आपका लंड देखा, तो में हैरान रह गई थी कि हमारे यहाँ भी मर्दो का सामान ऐसा होता है और मैंने उसी दिन सोच लिया था कि एक दिन इस सामान से मज़ा ज़रूर लूँगी। अच्छा कोई बात नहीं संचीता रानी, किसी और दिन गांड मार लूँगा, अभी चूत तो मारने दो, मेडम बोली कि तो मारो ना जितना मार सकते है मारो, उसके लिए में हमेशा तैयार हूँ। यह कहती हुई मेडम सीधी लेट गई और उसने मेडम के पैर को खोलकर लंड डालकर उसकी चूची को पकड़ा और दबाते हुए मेडम की चूत पेलने लगा। संचीता उुउऊहह आआईईईइ हहाई आपके जैसा मज़ा किसी ने नहीं दिया मुझे आज तक अहह्ह्ह चोदो मुझे, ज़ोर ज़ोर से चोदो, मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दीजिये, आहह बड़ा मज़ा रहा है।
अब वो शायद लास्ट स्टेज में आ चुका था। राकेश अब संचीता मेडम के ऊपर लेटा और दोनों हाथ मेडम की गांड के नीचे रखकर नीचे से मेडम की गांड को पकड़ लिया। उसके ऐसा करते ही संचीता मेडम ने अपने दोनों पैर उठाकर हवा में खोल दिये। राकेश संचीता की चूची को मुँह से रगड़ते हुए घोड़े जैसी स्पीड से संचीता को पेलने लगा। मेडम उससे कसकर लिपटी हुई थी, आहह में झड़ने वाली हूँ। राकेश भी हाफते हुए बोला कि हाँ अब मेरा भी निकलेगा संचीता। उन दोनों को उस स्टाईल से चुदते देख मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे दो पहलवान कुश्ती लड़ रहे हो और एक दूसरे को हरा देना चाहते हो। तभी राकेश ने अपना हाथ संचीता मेडम की गांड के नीचे से निकाला और मेडम को कंधे से पकड़ लिया और जोर से धक्का मारने लगा और ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए मेडम से चिपक गया।
संचीता भी ज़ोर से सीसीयाई अहहहहहाः और राकेश को कसकर पकड़ लिया। दोनों एक साथ झड़ रहे थे और संचीता ने अभी भी अपने दोनों पैर हवा में उठा रखे थे, जिसको उसने कुछ देर के बाद बिस्तर पर रखे और लगभग दस मिनट तक दोनों एक दूसरे से उसी तरह लिपटे रहे। फिर संचीता मेडम उसकी गांड पर हाथ मारकर बोली कि उठो ना अब, राकेश उठा और संचीता भी उठकर बैठी हो गई और नाईटी से अपनी चूत साफ करने लगी। फिर उसने घड़ी देखी और बोली कि अब आप जाइये, 4 बजने वाले है।
मैंने भी टाईम देखा तो 3:40 हो रहा था। मतलब कि लगभग 1:30 घंटे तक चुदाई का खेल चला। राकेश कपड़े पहनने लगा और संचीता ने भी अपनी नाईटी पहन ली। राकेश बोला कि अब कब आना है? संचीता बोली कि में बाद में बता दूँगी, अब जल्दी से निकलो आप। फिर में वहां से हटा और अपने रूम में आ गया। मैंने भी संचीता मेडम को चुदते देखा तो मैंने भी अपना पानी निकाल डाला, जिससे में थक गया और चुपचाप सो गया ।।
धन्यवाद …
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