भोपाल के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स सेक्स कहानियाँ
#3
इस सब से माहौल और हल्का हो गया।

हाँ ! जितनी देर सिमरन कार से बाहर थी, इतनी देर में नताशा की जींस की ज़िप और बटन भी खुल चुकी थी, और वो मेरा सूमो भी मुँह में लेकर जीभ फिरा चुकी थी। साथ ही एक बार मैं भी उसकी जींस के ऊपर से ही उसकी पिंकी को किस कर चुका था। अब सिमरन के आने के बाद मेरा एक हाथ उसकी पिंकी और उसकी कड़ी कड़ी फेंसिंग से और कभी उसके बूब्स से खेल रहा था. और उसकी सिसकारियां फिर गूंजने लगी थीं। सिमरन फिर खिड़की के बाहर देख रही थी और पल्लवी और सनी के लिए हमारे पास टाइम ही नहीं था।

अब तक खाते पीते ऊँगली करते, बूब्स मसलते हम लोग पिपरिया पहुँच चुके थे। इसके आगे पचमढ़ी की घाटियाँ शुरू हो जाती हैं। सनी की ड्राइविंग बहुत अच्छी है। ऐसी जगह पर भी वो ५० की स्पीड पर गाड़ी चला रहा था. अब घुमाव पर गाड़ी में हम पूरे के पूरे दायें या बाएँ झुक जाते थे, मेरी तो ऐश थी, नताशा के साथ साथ अब मुझे सिमरन के बूब्स भी कोहनी से सहलाने का मौका मिल रहा था। अक्सर मैं उसकी तरफ गाड़ी मुड़ने पर उसकी जाँघों पर हाथ रख देता था और कोहनी खड़ी करके उसके बूब्स पर टिका देता था कभी वो संभलने के लिए मेरी जांघ पर।

अब नताशा तो पूरी तरह से तैयार थी अब मैं सिमरन पर पूरा ध्यान दे रहा था। उसके गालों की रंगत लाल होती जा रही थी, उसके होंठों पर एक अजीब सी नमी छाने लगी थी, अब मैंने नींद आने का बहाना कर के उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया था, उसके चेहरे के पास अपना चेहरा टिका कर अपनी सांसें उसके कान के पीछे और गर्दन पर छोड़ रहा था।

मैंने नींद का बहाना करके अपनी हथेली को उसकी पिंकी के ऊपर रख दिया, और अचानक उसकी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी। मुझे अचानक उसकी स्किन लाल और गरम महसूस होने लगी. उसका पूरा बदन थरथरा रहा था। पक्का था कि यह पहली बार थी जो किसी लड़के ने उसे छुआ भी था।

मैंने अचानक नींद से उठने का बहाना किया और सीधा उससे पूछा,"क्या हुआ?"

उसने आँखें उठाकर देखा उसकी हालत ऐसी कार की तरह हो रही थी जिसका ब्रेक और एक्सीलेटर एक साथ दबा कर रखा गया हो. उसका चेहरा तमतमाया हुआ था, उसके होंठ नम हो रहे थे, उसके बूब्स साँसों की वजह से ऊपर नीचे हो रहे थे, उसकी आँखें साफ़ कह रही थी कि वो अपने होशोहवास खो चुकी थी, और उसकी आँखें एकटक मुझे देख रही थी।

मैंने धीरे से उसके सर के पीछे हाथ रख कर उसके होंठों से होंठ सटा दिए, कैसे मुझे भी नहीं पता? दो मिनट बाद जब हम अलग हुए तो उसकी आंखों में आंसू थे, मैंने उसके कंधे से हाथ डाल कर उसे अपने सीने पर टिका लिया।

ऐसा लगा काश दुनिया ख़त्म हो जाए। बीच में मैं एक शानदार शरीर का मालिक, मेरे दायें हाथ में एक सांवली सलोनी लड़की जो ख़ुद मेरे सूमो को सहला रही थी और मेरा दायाँ हाथ उसकी टी शर्ट के अन्दर एप्पल जूस निकलने में लगा था। बाएँ हाथ में मेरे एक सरदारनी थी, अनछुई, कच्ची, गुलाबी और नाज़ुक लेकिन तैयार जो कैटरिना कैफ से भी शानदार थी। अचानक मैंने झुक कर सिमरन के गाल पर अपने होंठ सटा दिए. मेरे होंठ और आँखें दोनों भीग गयी, खुशी और किस्मत की देन पर।

धीरे से मैंने अपना हाथ सिमरन के एक बूब पर टी शर्ट के ऊपर ही टिका दिया। वो फिर थरथरा उठी और कस कर मेरे सीने से चिपक गई, मैंने हाथ फेरना शुरू कर दिया। उसके बूब्स तो बिल्कुल कड़क थे और नताशा के बूब्स से दोगुने थे. फेरते फेरते मैंने हाथ टी शर्ट के अन्दर डाल दिया।

मैंने उसके निप्प्ल को उँगलियों से दबाया तो उसके मुँह से सिसकारी निकल गई, और उसने अपने होंठ मेरे गाल पर सटा कर फुसफुसाई," प्लीज़ ! मत करो !"

अचानक मुझे अपने सूमो पर एक चिकोटी का एहसास हुआ, नताशा जिसे मैं भूल चुका था, चहक रही थी," सिमरन तू भी?" ज़माने भर की खुशी और शरारत उसके चेहरे पर थी।

वो कोट उठा कर अलग कर चुकी थी और मेरा सूमो खुली हवा में साँस ले रहा था। नताशा की जींस खुली हुई थी और उसकी पिंकी के ऊपर की सुनहरी फेंसिंग (बाल) साफ़ दिख रहे थे, यह सब देख कर सिमरन का मुँह खुला रह गया वो सन्न रह गई, मानो काटो तो खून नहीं। अचानक मैंने उसके निप्प्ल ज़ोर से उमेठ दिए, वो कराह उठी फिर शरमा गई और मेरे सीने में घुस गई. मेरा ध्यान आगे गया तो पल्लवी मुँह खोले आँखें फाड़े मेरे सूमो और नताशा की पिंकी को देख रही थी, उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे भूत देख लिया हो। नताशा ने उससे पूछ ही लिया "पल्लवी क्या देख रही हो?" वो बेचारी चुपचाप सामने मुड गई।

अब तो खुल कर खेल रहे थे हम सब, सिमरन की स्कर्ट घुटनों के ऊपर आ चुकी थी, मेरा हाथ कभी उसके शानदार कड़क बूब्स को मसलता कभी चूचुकों को उमेठता, कभी उसकी जाँघों पर सहलाता, वो भी मदमस्त हो चुकी थी, इतना गरम हो चुकी थी कि वो अपनी गर्दन मेरे होंठों पर रगड़ रही थी, उधर नताशा मेरे सूमो को झुक कर मुँह में ले चुकी थी और दूसरे हाथ से भी मैंने सिमरन के दूसरे बूब को भी थाम लिया था।

अब सिर्फ़ पूरी कार में हम तीनों की सिसकारियां गूँज रही थी। नताशा ने सिमरन का हाथ खींच कर उसे भी मेरा सूमो थमा दिया था, सिमरन अब होश में नहीं थी और मुझ पर पूरी तरह टिक कर मेरे सूमो को ज़बरदस्त तरीके से ऊपर नीचे कर रही थी। यह सब करते करते कब सनी ने गाड़ी रोक दी पता ही नहीं चला। अब गाड़ी खड़ी थी और सनी आराम से पलट कर हम तीनो को देख रहा था।अचानक मैंने आँखें खोली तो पाया कि सनी एकटक मुझे देख रहा है और गाड़ी जंगल के अन्दर सुनसान में खड़ी है।

अब मैंने आजू बाजू देखा तो नताशा की जींस और काली पैंटी उसके घुटनों के नीचे थी और उसकी टी-शर्ट ऊपर चढ़ी हुई थी घुटनों से लेकर सीने तक वो पूरी नग्न थी, और वो पूरी तरह से मेरे सूमो पर झुकी हुई थी।

उधर सिमरन तो मेरे सीने पर पूरी तरह टिकी हुई थी पीठ के बल और मेरा एक हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर और पैंटी के अन्दर डाला था और दूसरा हाथ उसके टी शर्ट के अन्दर बूब्स मसल रहा था। उसकी चिकनी मार्बल की तरह चमकती सुडौल जांघें ट्यूब लाइट की तरह दमक रही थी और उसकी स्कर्ट जाँघों के ऊपर चढ़ी हुई थी।

सनी का बस चलता तो जलन के मारे मेरा खून पी जाता।

मैंने उसे आँख मारी और पल्लवी कि तरफ़ इशारा किया।

उसने पल्लवी की बाहँ पकड़ कर पीछे देखने को कहा, पल्लवी ने पीछे देखा तो मैंने उसे आँख मार दी।

वो बेचारी बैठे बैठे काँप रही थी, इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वो कुछ देखे।

आगे की कहानी के लिए इन्तज़ार करें और पचमढ़ी ज़रूर घूम कर के आयें !

मैं प्रार्थना करता हूँ कि ऐसी यात्रा सबको मिले !
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RE: भोपाल के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स सेक्स कहानियाँ - by SexStories - 08-18-2016, 02:09 PM

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