छोटी बहन को चोदा सेक्स कहानियाँ
#1
मेरा नाम है मन्मथ मोहेर. मैं बीस साल का हूँ और मेडिकल कॉलेज के दूसरे वर्ष में पढ़ ता हूँ आज से एक साल पहले मैने एक लड़की को चोदा . वो थी मेरी मौसी की बेटी माधवी. चुदाई के बाद हम ने आपस में वचन दिया था की हमारी चुदाई का राझ हम किसी से नहीं कहेंगे. मैं तो चुप रहा, लेकिन दो महीनो पहले एक ऐसी घटना घटी जिस से मैं वचन से मुक्त हो गया. अब मैं आप से बयान कर सकूंगा की किस हालात में मैने माधवी को चोदा था और कैसे मैं मुक्त हुआ.

आगे कुछ कहूँ इस से पहले थोड़ा परिचय करवा दूं ? मेरी फेमिली में मैं हूँ माताज़ी है पिताजी है और सोलह साल की छोटी बहन है रिया. हम भाई बहन एक दूजे से बहुत प्यार कर ते हें और छेड़ छाड़ भी कर लेते हें. बचपन में हमें एक दूजे को नंगे भी देखे थे. जब रिया चौदह साल की हुई तब उस का बदन जवान होने लगा. उस के खिल ते हुए स्तन और भारी नितंब मेरी नज़रों से छुपे ना रहे थे. इन सब के अलावा रिया को चोद ने का ख़याल तक मेरे दिमाग़ में आया नहीं था.

अब ये जो माधवी है वो मेरी मौसी की बेटी है कई साल पहले मौसा ईस्ट आफ़्रीका चले गये थे. वहाँ उन्हों ने बहुत पैसे कमाए. उन के दो बच्चे परेश और माधवी वहीं जन्मे और बड़े हुए. वो दोनो एक रेसीड़ेनशियल स्कूल में पढ़े.

अचानक मौसा को स्वदेश वापस आना पड़ा. अपने गाँव में चार मज़ले का बड़ा मकान बनवाया उन्हों ने. गरमी क छुट्टियों में मौसी ने मुझे अपने गाँव बुलाया था. मैं दो हपता रहा. उस दौरान मैने माधवी को कस कर चोदा. ये राझ हम किसी को नहीं बताएँगे ऐसा वचन दिया लिया हम दोनो ने.

अभी एक महीने पहले रिया मौसी के घर गयी थी. माधवी ने कुछ व्रत रक्खा था. सात दिन रह कर रिया वापस आई तब रिया रिया नहीं रही थी, इतनी बदल गयी थी. एक तो वो मुझ से शरमा ने लगी थी. नखरें दिखती थी. जब मौक़ा मिले तब मुझे छू लिया करती थी. स्कूल में यूनिफ़ोर्म कंपलसरी था लेकिन घर में अब वो चोली, घाघरी और ओढनी डाल ने लगी थी. मेरे ख़याल से जब वो घर होती थी तब ब्रा नहीं पहनती थी. बड़े आम की साइझ की उस की चुचियाँ वैसे भी बड़ी लुभावनी थी, अब ज़्यादा हो गयी क्यूं की वो ओढनी का आँचल संभाल ती नहीं थी और चोली भी लो कट पहन ती थी. कई बार उस की गोरी गोरी चुचियाँ देख ने का मौक़ा मिला मुझे.

वैसे भी मैं माधवी की याद से परेशन तो था ही. उस की चूत मैं रोज़ सपनों में मार लिया कर ता था. दिन भर उस के रसीले होठ और कड़ी चुचियाँ याद आया करती थी. ऐसे में रिया अजीब सा वर्तन कर ने लगी पहली बार रिया को बाहों में भर कर उस के स्तन मसल देने की इच्छा हुई. फिर मैं संभाल गया. ये क्या ? रिया मेरी छोटी बहन है इस के बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकता था मैं ?

इस उलझन हल कर दी रिया ने, हुआ क्या की गाँव में एक संत पधारे सात दिन की कथा के लिए हर रोज़ शाम के चार से छे बजे तक कथा चलती थी. मताज़ी हर रोज़ कथा सुन ने जाया करती थी. एक दिन ------

मैं तीसरे मज़ले पर मेरे कमरे में बैठा पढ़ रहा था की रिया स्कूल से आ गयी कई देर तक छोटी बच्ची की तरह वो दरवाज़े पर खड़ी छुपा छुपी देखती रही. मैने कहा : कौन है ? आ जाओ अंदर.

दबे पाँव जैसे डरती हो, वो चली आई. हाथ मलती हुई नीची नज़र किए मेरे पास खड़ी हो गयी मैने पूछा : क्या बात है रिया ? परेशन क्यूं हो ?
रोती सूरत बना कर वो बोली : भैया, मुझे बहुत बेचैनी लग रही है
मैं : सेहत तो ठीक है ना ?
रिया : पता नहीं. सारा दिन दिल धक धक कर ता है अभी भी करता है देखिए ना
मैं कुछ कहूँ इस से पहले उस ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिया और दबा दिया. मेरे पन्जे में उस की दाइ चुचि पकड़ी गयी पल भर के लिए मुझे लगा की मैने माधवी की चुचि पकड़ ली है इसी लिए थोड़ी सी दबा भी ली. जब होश आया तब पता चला की रिया ने मेरा हाथ छोड़ दिया था फिर भी मेरा हाथ चुचि पर लगा रहा था. एक झटके से मैने हाथ हटा दिया.

शर्म से उस का चहेरा लाल लाल हो गया था और वो दाँतों से होठ काट रही थी. वो बोली : कैसी है मेरी चुचि ? पसंद आई ?
मैं : ग़लती हो गयी चली जा यहाँ से.
रिया : ऐसा भी क्या करते हें आप ? मैं आप को पसंद नहीं हूँ ?
मैं : पसंद क्यूं ना हो ? मेरी छोटी बहन जो हो.
रिया : बस इतना ही ? बहन से ज़्यादा कुछ नहीं ?
मैं : क्या मतलब?
रिया : अभी आप ने मेरी चुचि दबा देखी, पसंद आई ?
मैं : रिया, चली जा. हम भाई बहन हें, ऐसा नहीं करना चाहिए.
रिया : क्या कर लिया है हम ने? ज़रा सी चुचि दबा दी तो क्या आसमान गिर पड़ा ? लाइए आप का हाथ


उस ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर स्तन पर रख दिया. वो इतनी क़रीब आ गयी थी की उस की जाँघ मेरी जाँघ से लग रही थी. मुझे लगा की वो मुझ से अपना स्तन दबवाना चाहती थी. मुझे भी मीठा लग रहा था. मैने पन्जे में ले कर स्तन सहलाया और धीरे से दबाया. उधर मेरा लंड खड़ा हो ने लगा.

मैं हाथ हटा लूं इस से पहले वो ऐसे घूम गयी की मेरी गोद में बैठ गयी उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, मेरा दूसरा हाथ उस की कमर से लिपट गया. तब मुझे पता चला की वो रो रही थी. मैने उस के आँसू पोंछे और कहा : जो हुआ सो हुआ, रो मत
मेरे सीने में चहेरा छुपा कर वो बोली : भैया, मैं माधवी दीदी से कम हूँ ? उन में क्या है जो मुझ में नहीं है ?
मैं चोन्क पड़ा. मैने पूछा : ऐसा क्यूं कहती हो ? तू तो माधवी से कहीं ओर ज़्यादा ख़ूब सूरत हो.
रिया : बस ? मैं आप को ख़ूब सूरत ही नज़र आती हूँ ? ज़्यादा कुछ नहीं ?


सच कहूँ तो उस का कोमल बदन बाहों में भर लेना मुझे बहुत मीठा लगता था. मेरा हाथ स्तन सहला रहा था, दूसरा पीठ पर रेंग रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. रिया मुझे एक लड़की दिखाई देने लगी बहन नहीं.

मैने कहा : क्यूं नहीं ? तू बहुत सेक्सी लग रही हो.
रिया : सच ? मैं आप को सेक्सी लगती हूँ तो --- तो --- आप मेरे साथ वो करेंगे जो आप ने माधवी दीदी से किया था ?
मैं सुन्न रह गया, मैने पूछा : क्या कहती हो ? क्या किया है मैने माधवी के साथ ?
रिया : माधवी दीदी ने मुझे सब बता दिया है भैया, कहाँ, कब, कितनी बार सब. अब मेरे साथ भी कीजिए ना ? मैने दीदी से सुना है तब से बेचैन हो गयी हूँ
मैं : रिया, हम भाई बहन हें, आपस में ऐसा नहीं करते. माधवी की बात अलग है वो हमारी मौसी की लड़की है
रिया फिर रोने लगी बोली : आप चाहते हें की मैं ओर किसी के पास जा उन ?

मैने कहा : ना, ऐसा कर ने की ज़रूरत नहीं है ओह, रिया, तू कितनी प्यारी हो ? काश तू मेरी बहन ना होती.

रिया : बहन हूँ तो क्या हो गया ? मेरा मन करता है आप से चु --- चु ---
वो करवाने को और आप को भी दिल हो गया है . है ना ?

झूठ क्यूं बोलूं ? मेरा लंड फंफ़ना रहा था और रिया के साथ वो कर ने का दिल हो गया था. इस वक़्त उस ने एक साथ दो हरकत की. एक, उस ने चहेरा थोड़ा सा घुमया की हमारे मुँह से मुँह जुट गाये दूसरे, पाजामा के आरपार उस ने मेरा लंड टटोल लिया.

फिर क्या कह ना था ? उस ने तो मेरे होठ छुए ही थे लेकिन मैं इतना उत्तेजित हो गया था की मैने होठों से उस के नाज़ुक होठ रगड डाले. जीभ की नोक से मैने उस के होठ चाटे और खुले कर के जीभ उस के मुँह में डाल दी. वो कसमसाई लेकिन मैने उसे छोड़ा नहीं. आख़िर उस ने अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाई. मैने जब जीभ वापस ली तब उस ने अपनी जीभ निकल कर मेरे होठ चाटे.

पीठ वाले हाथ ने ब्रा का हूक खोल दिया था. मेरा दाहिना हाथ अब उसकी नंगी बाई चुचि को मल ने लगा था. छोटी सी नीपल सिर उठाए कड़ी हो गयी थी. मेरी उंगलियों ने जब नीपल चिपटि में ली तब रिया के मुँह से आह निकल पड़ी.

स्तन छोड़ कर मेरा हाथ अब उस की जाँघ पर रेंगने लगा. उस ने स्कूल की स्कर्ट पहनी हुई थी. स्कर्ट खिसका ते हुए मेरा हाथ पेंटी पर जा पहुँचा. मैने पेंटी से आरपार उस की पीकी को छुआ. पीकी ने भरमार रस बहाया था जिस से पेंटी गीली हो गयी थी और भोस से चिपक गयी थी.


मेरे भोस छूते ही उस ने जांघें ऐसी सिकूड ली की मेरा हाथ बीच में फ़स गया.
चुंबन छोड़ कर मैने कहा : रिया बेटी, मेरा हाथ निकाल ने दे.
उस ने जांघें खोली नहीं. मैने उस की जाँघ पर हलकी सी चुटकी भर ली.
तुरंत जांघें चौड़ी हो गयी अब की बार मैने कुछ देर तक दोनो जांघें सहलाई, बाद में फिर भोस को छुआ. इस वक़्त उस ने मुझे पेंटी से ढकी हुई भोस सहालाने दी. मैने पूरा पन्जा भोस पर रख कर मसल डाली. रिया का बदन शिथिल हो गया और वो ढल पड़ी.

बाहों में भर कर मैं उसे पलंग पर ले आया. एक एक कर के ब्लाऊझ के बटन खोल दिए खुली हुई ब्रा हटा कर मैने उसके स्तन नंगे किए. हाथों से उस ने अपना चहेरा ढक दिया.

रिया के स्तन मैने सोचा था इन से बड़े निकले. फिर भी वे पूरे विकसित नहीं थे. मेरी हथेलियों में आसानी से समा जाते थे. चमड़ी मुलायम और चिकानी थी. छोटी एरिओला के बीच छोटी सी कोमल कोमल नीपल थी. मेरी उंगलियों के छुने पर नीपल कड़ी हो गयी मैने पहले हलके स्पर्श से सारा स्तन सहलाया और नीपल चिपटि में ले कर मसली. एक बार ज़रा ज़ोर से स्तन दब गया तो रिया के मुँह से आह निकल पड़ी . वो बोली : भैया, ज़रा धीरे से दबाओ ना, दर्द होता है

उस की स्कर्ट कमर तक चड़ गयी थी. मैने हूक खोल कर स्कर्ट निकाल फैंकी. सफ़ेद पेंटी गीली हो गयी थी. पेंटी उपर से ही भोस सहला कर मैने उंगलया अंदर डाल ने का प्रयास क्या लेकिन पेंटी टाइट होने से एक उंगली भी अंदर जा ना सकी. तब मैने कमर पर से पेंटी उतार नी शुरू की. शर्म से रिया ने आँखें बंद कर दी लेकिन कुले उठा कर पेंटी उतार ने में सहकार दिया. पेंटी उतर ते ही उस ने अपनी जांघें सिकूड ली और हाथ से भोस ढक ली. थोड़ा ज़ोर लगा कर मैने उस के पाँव लंबे किए और झुक कर जाँघ पर किस की. गुदगुदी से वो छटपटाई और उस की जांघें थोड़ी सी खुल गयी मैने तुरंत बीच में हाथ डाल दिया.


रिया की जांघें इतनी भरी हुई नहीं थी जितनी माधवी की थी. पतली थी लेकिन गोल और चिकानी थी. घुटनो से ले कर भोस तक आपस में सटी हुई थी. किस कर ते हुए मैने जांघें सहलाई और चौड़ी कर दी. रिया की छोटी सी पीकी अब मैं देख सका.

वैसे तो मैं बचपन से उस की पीकी देखते आया था लेकि पिछले पाँच साल से देखी नहीं थी. अब तो पीकी पैर काले घुंघराले झांट निकल आए थे. बड़े होठ मोटे हो गये थे. कहाँ वो बच्ची की सपाट पीकी जिस के बड़े होठ पतले से थे और कहाँ ये पूरे खिले हुए गुलाब जैसी उभरी हुई भोस जिस के होठ रुई से भरे तकीये जैसे मोटे मोटे थे ? जाँवली रंग के छोटे होठ सूज गये थे और बड़े होठों के बीच से बाहर निकल आए थे. इस वक़्त सारी भोस काम रस से गीली हो गयी थी.


जब मैने भोस पर हाथ रख दिया तब रिया ने मेरी कलाई पकड़ ली. मैने पन्जा खोल कर भोस ढक दी. हथेली का हलका दबाव दे कर मैने हाथ गोल गोल घुमया. सारी भोस रगडी गयी ख़ास तौर से क्लैटोरिस. वैसे भी पीकी गीली तो थी, अब ज़्यादा गीली हो गयी पीकी से मस्त ख़ुश्बू भी आ रही थी. दो पाँच मिनिट तक भोस रगड ने के बाद मैने एक उंगली से दरार टटोली. भोस की ही लार उंगली पर लिए मैने उंगली क्लैटोरिस पर घुमाई. छोटी सी क्लैटोरिस लंड की तरह कड़ी हो गयी थी. रिया ज़्यादा सहन ना कर सकी. मेरा हाथ वहाँ से हटा कर वो बोली : वहाँ मत छुई ये भैया, मुझ से सहा नहीं जाता.

दरार सहलाते हुए मेरी उंगली अब चूत के मुँह पर जा पहुँची. मुँह सिकुड़ा था लेकिन भोस के चिक्ने पानी से गीली की हुई दो उंगलियाँ आसानी से चूत में जा पाई और योनी पटल आते रुक गयी मैने उंगलियाँ अंदर बाहर कर के चूत मारी और गोल गोल घुमा कर मुँह चौड़ा किया. जब तीन उंगलियाँ चूत में आने जाने लगी तब चूत में हलके हलके स्पंदन होने लगे. लंड पेल ने का समय आ गया था.

मैने फिर एक बाआर स्तन पर चुंबन किया और कहा : रिया, थोड़ा दर्द होगा, सब्र कर लेना.

रिया ने ख़ुद पाँव उठाए और चौड़े कर रक्खे. लंड की टोपी उतार कर मैने सुपारा ढक दिया. एक हाथ से भोस के होठ खुले किए और दूसरे हाथ में लंड पकड़ कर मत्था चूत के मुँह पर धर दिया. हलका सा दबाव दिया तब लंड का मत्था चूत में उतर ने लगा. टोपी साथ मत्था अंदर घुस पाया. झिल्ली पाते रुक गया. मैने दो पाँच छीछ्ऱे धक्के लगा कर रिया को चोदा. लंड की टोपी चूत में फसी रही और मत्था टोपी नीचे से अंदर बाहर हुआ, अब मैं रिया के बदन पर ढल गया, मुँह से मुँह चिपका दिया और उसे कमर से पकड़ कर एक ज़ोरों का धक्का ऐसा दिया की झिल्ली तोड़ कर लंड का मत्था चूत में घुस गया. रिया चीख उठी लेकिन उस की चीख मैने मेरे मुँह में झेल ली. योनी पटल से गुजरते वक़्त लंड की टोपी चड़ गयी और लंड का नंगा मत्था चूत में घुसा. आधा सा लंड पेल कर मैं रुक गया.

दर्द से रिया कसमसाई लेकिन मैने उसे बाहों में जकड़ रक्खा. जब वो शांत हुई तब मैने कहा : हो गया, अब थोड़ी देर सब्र कर, दर्द मिट जाएगा.
वो बोली : उतर जाइए ना भैया, बहुत दर्द हो रहा है
मैं : अभी कम हो जाएगा. देख, मैं हिलूंगा नहीं.

कुछ देर के लिए हम दोनो स्थिर रहे. गरमा गरम सीकुडी चूत में लंड डाले रख ना काफ़ी मुश्किल था. मैने लंड निकाल ने की सोच रहा था की र्य की चूत में हलका सा स्पंदन हुआ. मैने कहा : कैसा है अब ?
रिया : दर्द काम हो गया है
मैं : ज़रा छूट सिकोड कर देख ले तो.
अब ये बात रिया के लिए नयी थी, फिर भी उस ने चूत के स्नायु सिकोडे और बोली :
ऐसे ? ऐसे ?
मैं : हाँ, ऐसे ही. दर्द होता है ?
उस ने शरमा के ना कही. मैने पास पड़ा एक तकिया रिया के सिर नीचे रख दिया और कहा : मैं उपर उठता हूँ तू नीचे नज़र कर देख कैसे लंड चूत में जाता है

मैं हाथो के बल उठा. रिया ने अपनी भोस में फसा लंड देखा तो डर गयी वो बोली : भैया, ये तो बहार है डालो गे तब फिर दुखेगा ?
मैं : प्यारी, जो बाहर दिखाई दे रहा है वो तो आधा हिस्सा है आधा तो अंदर घुसा हुआ है मैं अभी निकाल कर दिखाता ह्न. और हाँ, अभी दर्द नहीं होगा.
वो देखती रही और मैने लंड बाहर खींचा. अकेला मत्था चूत के मुँह में रहा तब मैं रुका. भोस के पानी और झिल्ली के ख़ून से गिला लंड देख वो ताज्जुब सी रह गयी बोली : भैया, इतना तगड़ा ? कैसे अंदर जा पाया ?

मैने कहा :देख, ऐसे
मैने होले होले लंड फिर चूत में उतार दिया. मोन्स से मोन्स दब गयी तब उस के मुँह से आह निकाल पड़ी, लंड को चूत की गहराई में दबाए रख कर मैने मेरी मोन्स से कलीटोरिस रग़दी. तुरंत वो बोली : उस्सस्स, सीईईईई, ओह ह् भैया बहुत गुदगुदी होती है वहाँ ऐसा मत कीजिए.
मैने पूछा : कहाँ गुदगुदी होती है ?
रिया : वहाँ नीचे.
मैं : नीचे कहाँ ?
रिया ने चूत सीकुडी और कहा : यहाँ.
मैं : इस जगह को क्या कहते हें ?
रिया : मैं नहीं बोल सकती
मैं : लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? बोल तो, मझा आयगा. कहाँ गुदगुदी होती है ?
मैने फिर मोन्स से क्लैटोरिस रगडी. उस ने नितंब हिला दिए और बोली : उससस. भो भो भोस में.
ये सुन कर मेरा लंड ओर ज़्यादा टन गया. मैने कहा : शाबाश अब मैं चोद ना शुरू कर ता हूँ दर्द हॉवे तो बोल ना.

मैं रिया के बदन पर लेट गया. फ़्रेंच किस शुरू की और नीपल पकड़ ली. कमर हिला कर दो इंच सरिखा लंड चूत में अंदर बाहर कर ने लगा. चूत सीकुडी होने से लंड की टोपी चड़ गयी थी और नंगा मत्था चूत की दीवारों से घिस पाता था. हर धक्के के साथ लंड से बिजली का करंट निकल कर सारे बदन में फैल जाता था. लंड और भोस दोनो भर मार लार बहा रहे थे.

आठ दस धीरे और छीछरे डक्के बाद चूत में फटाके होने शुरू हुए. मैं अब आधा सा लंड इस्तेमाल कर ते हुए रिया को चोद ने लगा. वो अपने नितंब घुमा ने लगी धीरे धीरे धक्के की रफ़्तार बढ़ती चली, मैं पूरा लंड निकाल कर झटके से चूत में घुसेड देने लगा. अपनी कमर के झटके से रिया जवाब देने लगी उस की बाहों ने मुझे अपने सीने से जकड़ लिया. मैने कहा : रिया, ज़रा धीरे से कुले हिला, कहीं लग ना जाय.
वो बोली : सीईईईई,सीईईईईईई ..... भैया, उस्सस्स, मैं नहीं ...... ओह् ...... नहीं हिलाती. आह .... अपने आप ...... उनह उनह हिल जाते हें. आआआआ ह वहीं लंड घसिए .....

धना धन धक्के से मैने चोद ना जारी रक्खा. ख़ुद अपने पाँव मेरी कमर से लिपटा कर, नितंब उछाल उछाल कर वो लंड लेने लगी मैं झर ने के क़रीब आ पहुँचा था की रिया को ओर्गाझम हो गया. संकोचन कर के योनी लंड को नीचोड़ ने लगी उस के सारे बदन पर पसीना छा गया और रोएँ खड़े हो गये नाख़ून से उस ने मेरी पीठ खरॉंच डाली. इधर उधर सीना हिला कर अपने स्तन मेरे सीने से रगड दिए उस की कमर ने झटके पर झटका लगा कर चूत से लंड अंदर बाहर किया. मुझ से भी रहा नहीं गया. बेरहमी से मैं भोस मार ने लगा. उस के ओर्गाझम की फ़िक्र किए बिना माइं चोद ता चला. पाँच सात धक्के बाद पूरा लंड चूत में घुसेड कर मैं भी ज़ोर से झरा. वीर्य की पाँच सात पिचकारियाँ छूटी, रिया की योनी वीर्य से छलक गयी

आधी मिनिट बाद तूफ़ान शमा. चूत में आछे आछे फटाके होते रहे थे लेकिन रिया शिथिल हो कर ढल पड़ी थी. कई देर तक लंड भी कड़ा ही रहा. मुँह पर चुंबन कर के मैने पूछा : मझा आया ?
रिया फिर शरमा ने लगी अपना चहेरा मेरी गर्दन में छुपा कर सिर हिला कर उस ने हा कही.
मैं : ऐसे नहीं, मुँह से बोल, मझा आया ?
उस ने पाँव लंबे किए. मेरे कान में कहा : फिर से कीजिए ना, आप का वो तो अभी कड़ा है मुझे अभी भी गुदगुदी हो रही है
मैं : कहाँ हो रही है गुदगुदी ?
रिया : वहाँ नीचे. जहाँ आप का वो फसा है वहाँ
मैं : कहाँ फसा है मेरा वो ?
रिया : मुझ से बुलवाना चाहते हें आप ?
मैं : हाँ, बड़ी प्यारी लगती हो तू, जब गंदा बोलती हो.
खिचकती हुई वो बोली : आप का लंड फसा है वहाँ मेरी चूत में गुदगुदी हो रही है
मैने चुंबनों क बौछार बरसा दी और कहा : अभी तेरी चूत का घाव हरा है फिर से चोद ने से दर्द होगा और ख़ून निकलेगा. एक दिन ठहर जा, कल फिर चोदेन्गे.

दुसरी चुदाइ की मेरी भी इच्छा थी लेकिन मैं लंड निकाल कर उतर गया.
कथा से माताज़ी के आने का समय हो गया था. सफ़ाई कर के उस ने घाघरी ओढनी पहन लिए मेरे गले में बाहें डाल फिर गोद में बैठ गयी किस कर के मैने पूछा : बहुत दर्द हुआ था ?
रिया : हाँ, मुझे लगा की मेरी पीकी फटी जा रही है फिर से तो नहीं दुखेगा ना भैया ?
मैं : नहीं दुखेगा. अब ये बताओ की माधवी के साथ मैने क्या किया था और तुझे किस ने कहा.
रिया : भैया, माधवी दीदी ने ख़ुद ने मुझ से कहा था.
मैं : क्या कहा था ?
रिया : की आप ने उसे ..... उसे ...... चोदा था. सच भैया ? आप ने माधवी दीदी को चोदा था ?
मैं : पहले ये बताओ की ये चुदाइ की बात निकली कैसे.
रिया : सच्ची कहूँ ? ऐसा हुआ की .......


रिया और माधवी एक कमरे में सोया करती थी. एक रात सोने के समय वो बातें कर ने लगी रिया ने व्रत का सबब पूछा : दीदी, ये व्रत क्यूं किया तुम ने ?
माधवी : मन पसंद अच्छा पति पा ने के लिए ये व्रत किया जाता है . दो साल बाद मौसी तुझे भी करवाएगी.
रिया : अच्छा पति का क्या मतलब ? पढ़ा लिखा, पैसेदार, हट्टाकट्टा कैसा ? तुझे कैसा चाहिए ?
माधवी हस कर बोली : कहूँ ? मुझे तो तगड़े लंड वाला चाहिए जो रात भर चोद सके.
रिया : हाय हाय कितना गंदा बोलती हो तू ?
माधवी : जब हम अफ़्रीका से आए तब मैं ऐसा नहीं बोलती थी. लेकिन एक बार लंड की चाबी चूत के ताले में लगी की ज़बान का ताला भी खुल गया.
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#2
रिया को आश्चर्य हुआ. माधवी चुद गयी थी ? ऐसा हो तो उसे ढेर सारे सवालों के जवाब उस से मिल सकते थे. डर ते डर ते रिया ने सीधा पूछा : तुम ने चुदवाया है दीदी ?
माधवी : तू पहले सौगंध ले की हमारी खानगी बातें तू किसी से नहीं करेगी
रिया ने सौगंध ली और पूछा : अब बताओ, किस ने चोदा तुम्हे ?
माधवी : पहली बार गंगाधर भैया ने, बाद में परेश ने और मन्मथ ने.
रिया : हाय हाय, कैलाश भाभी जानती है ?
माधवी : हाँ, वो और परेश वहीं पर चोद रहे थे जब गंगाधर मुझे चोद ते थे.
रिया : तुझे शरम नहीं आती थी ?
माधवी : शुरू शुरू में आती थी . बाद में जब गंगाधर और कैलाश भाभी को चोद ते देखा तब शर्म टूट गयी
रिया : कहते हें की पहली बार बहुत दर्द होता है ? तुझे हुआ था ?
माधवी : हुआ तो था लेकिन गंगा भैया अच्छी टेकनिक जानते हें इसी लिए दर्द ज़्यादा ना रहा. थोड़े दीनो के बाद एक दोपहर मैने परेश को मुठ मार ता देखा. अब तू ही बता, घर में जब मेरी जैसी चूत मौजूद हो तो मुठ मार ने की क्या ज़रूरत ? शुरू शुरू में परेश ने नुना की. मैं भाई हूँ तू बहन है वग़ैरह. मैने कहा भाई बहन हें तो क्या हुआ ? तेरे पास लंड है और मेरे पास चूत. क्यूं ना उसे इस्तेमाल कर के आनंद लिया ना जाय ? भगवान ने चाहा होता की एक ही लंड एक ही चूत को चोदे तो उन दोनो को ताला कुंजी जैसे बना सकता था ना ?
रिया : मन्मथ भैया ने कब चोदा ?
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