भानू और मैंने काकी को चोदा
#1
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सन्नी है और में चोदन डॉट कॉम का बहुत बड़ा फैन हूँ। में 23 साल का हूँ, लेकिन जब ये घटना हुई तब में 19 साल का था। मेरी हाईट 5 फुट 10 इंच है और जिम बॉडी है। मेरा लंड 7 इंच लम्बा है। और मेरी फेमिली में पापा की उम्र 44 और मम्मी उम्र अभी 41 है। में अमीर फेमिली से हूँ और में बेंगलोर से हूँ और वहां हमारा बहुत बड़ा बिजनेस है और हमारे गावं में भी बहुत जमीन है। हम जमीन के सिलसिले में गावं आये हुए थे। दोस्तों मेरे पापा काकी को चोदते थे और एक बार मैंने काकी को चोदते हुए उनको देख लिया। मैंने उसी वक़्त मन बना लिया था कि में भी काकी को जरुर चोदूंगा। अब पापा– मम्मी 3 दिन के बाद वापस बेंगलोर जाने लगे तो मैंने कह दिया कि में 1 महीना गाँव रुक कर ही आऊंगा। फिर में गाँव ही रुक गया और 2-3 दिन तक तो में रोज़ चाचा के साथ खेत पर जाता और आता और उनके साथ ही घूमता फिरता। फिर 1 दिन खेत से घर जाते वक़्त मुझे काकी दिखी और मुझसे मेरा हालचाल पूछा और घर आने को भी निमंत्रण दिया। फिर में घर पहुँचा और खाना खाकर भानू के पास चला गया (भानू हमारा नौकर है) मैंने भानू से काकी को चोदने के बारे में बात की।
में : भानू क्या तुम भी काकी को चोदते हो?
भानू : नहीं हुकुम, नहीं कभी नहीं ठोका।
में : सच बोलो वरना तुम्हारी नौकरी गयी, तुम पापा और काकी को छुप-छुपकर चोदते हुए देखते हो और इतना सब देखने के बाद तुमने काकी को ना चोदा हो ये मानना मुश्किल है। पहले तो वो ना ना करता रहा फिर मेरे डराने पर उसने क़ुबूल कर लिया।
भानू : जी छोटे हुकुम, में भी कभी-कभी सेठानी को ठोक लेता हूँ।
में : तो अब कल तुम्हें उन्हें मेरे सामने चोदना होगा।
भानू : (डरते हुए) मतलब?
में : कल तुम्हें भी इसी रूम में काकी को चोदना पड़ेगा और फिर जब तुम उन्हें चोद रहे होंगे तो में बीच में आ जाऊंगा और तब वो मुझे मना नहीं कर पायेंगी और फिर उन्हें मुझे अपनी चूत देनी ही पड़ेगी।
भानू : (घबराते हुए) लेकिन छोटे हुकुम, में कभी उन्हें चोदने के लिए नहीं बुलाता बल्कि वही मुझे बताती है कि कब उन्हें चुदवाना है।
में : कोई बात नहीं, इस बार तुम उन्हें बुला लो।
भानू : लेकिन हुकुम?
में : बहस मत करो, में ना सुनने के मूड में नहीं हूँ। मुझे बस काकी को चोदना है और इसमें तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी, चाहे तुम्हें अच्छा लगे या ना लगे।
वो बेचारा क्या करता? उसे मेरी बात माननी ही पड़ी। फिर ये तय हुआ कि रात को वो काकी को मनाकर वहीं रूम पर लायेगा और चोदेगा और जब वो दोनों रूम के लिए निकलेंगे तो वो मेरे मोबाईल पर मिस कॉल देगा। में बेसब्री से उसके मिस कॉल का इंतज़ार करने लगा और रात के 12 बज गये थे। मुझे लगा इस बेवकूफ़ ने काम नहीं किया और में गुस्से में था। तभी उसने मेरे मोबाईल पर मिस कॉल दिया और में खुश होकर उस रूम की तरफ निकल पड़ा। फिर खेत में जाते जाते मुझे भानू और काकी रूम की तरफ जाते दिखे तो में रुक गया और धीरे धीरे उनके पीछे जाने लगा ताकि उन्हें पता ना चल जाए। फिर वो दोनों अंदर चले गये और में खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया। फिर 2 मिनट के बाद अंदर की लाईट जली और मैंने अंदर देखा तो काकी ने आज लाल रंग का लंहगा चोली पहना हुआ था और वो बहुत खूबसूरत लग रही थी और बाल बिखरे हुए थे। तब काकी 45 साल की थी और हाईट 5 फुट 5 इंच, अच्छी हट्टी कट्टी, बहुत ही गोरी बिल्कुल दूध जैसा रंग था और फिगर बिल्कुल परफेक्ट तो नहीं पता, लेकिन कुछ 38-34-38 था, वो थोड़ी सी मोटी थी।
काकी : तूने मुझे आज यहाँ क्यों बुलाया? मैंने कहा था ना कि मुरारी के बापू 2 दिन के बाद काम से शहर जा रहे है तो में 2 दिन के बाद आती हूँ।
भानू : सेठानी जब आपका मन होता है तो में कभी मना नहीं करता हूँ और जब कहते हो जिस वक़्त कहते हो तैयार रहता हूँ।
काकी : अब तू मुझे मना करेगा, तेरी इतनी हिम्मत हो गई।
भानू : नहीं सेठानी, में तो बस ये कह रहा था।
काकी : (हँसते हुए) अरे अरे डर मत, में तो मज़ाक कर रही थी। तू मेरा इतना ख्याल रखता है इसलिए तो में आज आ गयी।
फिर काकी ने भानू को पकड़ा और अपनी और खींचकर उसके होठों को चूमने लगी, वो दोनों एक दूसरे से चिपक गये और एक दूसरे को खूब चूमा। फिर उन दोनों ने करीब 5 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूमे और इस बीच भानू ने काकी की गांड लहंगे के ऊपर से दबानी शुरू कर दी। ये सब देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया और मैंने भी उसे हाथ में लेकर मूठ मारना शुरू कर दिया। अब उन दोनों ने किस करना छोड़ा और फिर काकी ने भानू का कुर्ता निकाल दिया, अब भानू केवल धोती में था। फिर काकी ने खुद अपना ब्लाउज खोला। काकी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थीऔर काकी बहुत ही ज़्यादा गोरी थी और उनके बूब्स भी बहुत बड़े थे। भानू उसे देखकर पागल हो गया और उन पर टूट पड़ा। उसने दोनों हाथों से काकी के बूब्स दबाने शुरू कर दिए। फिर वो काकी के बूब्स को चूसने लग गया और काकी उसके बालों में हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी, अहह उम्म्म्ममममम अहह अब, वो काकी के बूब्स चूसता रहा, फिर 10 मिनट तक वो कभी राईट वाला बूब्स तो कभी लेफ्ट वाला बूब्स चूसता रहा।
फिर उसने मुँह ऊपर उठाया और काकी को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसने एक हाथ से काकी के लहंगे का नाड़ा खोल दिया और लहंगे को हल्का सा नीचे खींचा तो काकी का लहंगा नीचे गिर गया। फिर काकी ने अपने पैरो से लहंगे को एक साईड में कर दिया, अब काकी केवल लाल रंग की पेंटी में थी और काकी का पेट थोड़ा बाहर निकला हुआ था और उनकी नाभि काफ़ी गहरी थी। फिर 2-3 मिनट तक एक दूसरे को चूमने के बाद काकी और भानू अलग हुए और फिर काकी नीचे हुई और भानू की धोती उतार दी। उसने बड़ा कच्छा पहना हुआ था जैसा अक्सर गाँव के लोग पहनते है। फिर काकी ने कच्छे के ऊपर से ही भानू का लंड दो तीन बार सहलाया और भानू ने आँखें बंद कर ली। फिर काकी ने एकदम से एक ही झटके में उसका कच्छा नीचे कर दिया और उसका लंड तनतनाता हुआ बाहर आ गया।
उसका लंड बड़ा था कम से कम 8 इंच का होगा, लेकिन पतला था फिर काकी ने उसका लंड सहलाया और वो आँखें बंद करके मज़े ले रहा था। फिर काकी ने उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। फिर 2-3 मिनट तक काकी खुद चुसती रही। फिर भानू अपने दोनों हाथ काकी के बालों पर ले गया और उन्हें सहलाने लगा और बीच बीच में उनके मुँह को आगे पीछे भी करता। फिर 10 मिनट तक लंड चूसने के बाद उसने काकी को खड़ा किया और फिर दोनों ने 2-3 लिप किस किए और वो काकी को गेहूँ की बोरीयों के ढेर के पास ले गया और उन्हें बोरीयों के सहारे खड़ा कर दिया। अब उन दोनों की पीठ मेरी तरफ थी और काकी बूब्स टिकाकर और बोरीयाँ पकड़ कर खड़ी थी। फिर उसने काकी की पेंटी घुटनो तक नीचे की और घुटनो के बल बैठकर उनकी गांड और चूत चाटने लगा। फिर वो उनकी चूत में उंगली करके उनकी चूत चाटता रहा। अब काकी भी अपनी आँखें बंद करके मस्त हो रही थी और आहें भर रही थी, आह अहह आ उम्म्म्मममममम आआहह, अब काकी ने अपनी गांड हिलानी चालू कर दी।
भानू : सेठानी आपकी चूत इतनी मीठी है कि इस पर से अपनी जीभ हटाने का मन ही नहीं करता है।
काकी : अया हहह्ह्ह्हह उम्म्म्ममम तो कौन कह रहा है कि जीभ हटा, बस तू तो चाटता जा।
भानू : सेठानी अभी हुकुम चोद कर गये है, तो अभी तो मेरा लंड आपको संतुष्ट कर ही नहीं पायेगा।
काकी : अरे तू उसकी बात छोड़, उउउम्म्म्मममम, वो किसी भी औरत की अहहहह जान निकाल सकता है। अंजू की भी क्या किस्मत है? (अंजू मेरी माँ का नाम है) रोज़ ऐसा तगड़ा लंड लेती होगी।
भानू : जब हुकुम आते है आप कौन सा मौका छोड़ते हो, अपनी गांड पेश कर देते हो।
काकी : तू, आआहह उउम्म्म्मम अपने काम पर ध्यान लगा, ये हमारे देवर भाभी के बीच की बात है।
दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
भानू अब खड़ा हो गया और अपना लंड काकी की चूत पर रगड़ने लगा। फिर काकी ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर लगा दिया। फिर भानू ने एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका लंड काकी की चूत में घुस गया। फिर 2 मिनट तक वैसे ही खड़े रहने के बाद और उनके कंधे और गर्दन पर चूमने के बाद, भानू ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। अब काकी ने भी आहें भरनी शुरू कर दी, लेकिन धीरे ही, आआअहह उफफफफफफफ्फ़ हुउूऊहह, वो धीरे-धीरे तेज़ धक्के मारने लगा और 3-4 मिनट में ही छूट गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया। मेरी तो हंसी निकल गयी कि इतना बड़ा लंड और 10-15 मिनट भी नहीं रुक पाया। अभी तो मेरा भी पानी नहीं निकला था। फिर काकी ने साईड में पड़ी अपनी चुन्नी उठाई और अपनी चूत में से उसका पानी साफ करने लगी। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी जल्दी झड़ जायेगा। फिर उसके बाद में एकदम से अन्दर गया तो काकी सामान्य थी और मुझे देखकर बोली कि आ गया मुझे चोदने। मेरे तो पैरों तले जमीन ही खिसक गई थी और में हैरान होकर काकी को देख रहा था। तभी काकी बोली कि चिंता मत कर, भानू ने मुझे सब कुछ पहले ही बता दिया है, चल अब नंगा हो जा और आ जा हमारे साथ। फिर मैंने अपने कपड़े खोले और काकी से लिपट गया।
फिर भानू बोला कि हुकुम मुझे माफ़ करना तो मैंने कहा कि कोई बात नहीं, मुझे तो काकी की चूत चाहिये थी और वो मुझे मिल गई। फिर काकी ने कहा कि अब ज्यादा देर मत करो और मुझे डबल लंड का मजा दो। फिर काकी ने मेरा लंड चूसा और मैंने उनकी चूत चाटी। फिर हम दोनों ने मिलकर काकी को चोदा। उस एक महीने में हम तीनों ने मिलकर बहुत मजे लिये ।।
धन्यवाद …
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