मेरी डायरी के कुछ पन्ने सेक्स कहानियाँ
#4
उनका दायाँ पैर ( मेरी तरफ वाला ) मुड़ा हुआ था और साडी घुटनों तक उठी हुई थी , दूसरा पैर बिलकुल सीधा था जो जांघो तक नंगी थी | मैंने तुरंत टॉर्च बंद कर दिया और लेट गया | लेकिन चिकनी जांघो के झलक मात्र से नींद मेरी आँखों से कोसो दूर जा चुकी थी , मुझे बुआ याद आ रही थी | फिर मै अपनी ममेरी बहन रागनी के बारे में सोचना शुरू किया | वो २२ साल की थी और ६ साल पहले उनकी शादी हुई थी |२ साल पहले उनका २ साल का एकमात्र लड़का बिमारी की वजह से मर गया था | जीजाजी तक़रीबन एक साल से गल्फ में नौकरी करने चले गए थे |मैंने अपनी घडी देखा उससमय रात का १:१० बजा था | थोड़ी देर बाद मै उठकर पेशाब करने बाहर निकला , आँगन में कई सारी औरते अस्त-व्यस्त हालत में सो रही थी | चांदनी रात की चांदनी में ढेर सारी नंगी चिकनी जांघे और पिंडलियाँ देखकर मेरा लंड फनफना उठा ,पर उतने सारे औरतो के बीच नंगी अधेड़ जवानियों को देखने के लिए टॉर्च जलाने की हिम्मत नहीं पड़ी | कमरे में आकर दरवाजा आहिस्ते से बंद किया एवं बाहर वाली खिड़की के पल्लो को सटा दिया और रागिनी दीदी के पैर के पास खड़ा हो गया | फिर मैंने टॉर्च के शीशे के ऊपर हाथ रखकर जलाया ताकि रौशनी कम हो और चारो तरफ न फैले और उसका फोकस दीदी के पैर के बीच कर दिया | उनका बायाँ पैर जो बिलकुल सीधा था तक़रीबन जाँघों तक बिलकुल नंगी था और दायाँ पैर जो मुड़ा हुआ था वहाँ से साडी के नीचे एक गैप बन रहा था | मैंने टॉर्च उस गैप में बिलकुल साडी के नीचे कर दिया और बिस्तर के साइड में जमीन पर घुटनों के बल बैठकर अन्दर झाकने लगा | आह .... क्या नजारा था ... दीदी ने तो पैंटी भी नहीं पहना था ,जांघो के जोड़ के पास नीचे चुतर का थोडा उभार था जो उनके चूतरों के भी सौलिड होने की चुगली कर रहा था और उसके ऊपर बुर की हलकी दरारें दिख रही थी ,बस पेटीकोट का आखरी हिस्सा ऊपर से लटककर बुर के खुले दर्शन में व्यवधान डाल रहा था | मुझे डर भी लग रहा था आखिर रिश्तेदारी वाली बात थी पर दीदी की बुर देखने का यह सुनहला मौका हाथ से जाने भी नहीं देना चाहता था | फिर मैंने साडी को पेटीकोट समेत थोडा ऊपर करने की कोशिश की लेकिन जैसे ही मैंने थोडा खींचा वैसे ही दीदी थोडा कुनमुनाई | डर से कलेजा मेरे मुह में आ गया , मैंने फट से टॉर्च बंद कर दिया और हाथ बाहर खींच लिया और वहीँ बैठकर अपनी भारी चल रही साँसों को व्यवस्थित करने लगा | थोड़ी देर बाद उठकर बिस्तर पर अपने जगह पर जाकर लेट गया और सोंचने लगा कि अब क्या करूँ ?
तभी मुझे एक उपाय सुझा , मैंने अपना बायाँ पैर मोड़कर दीदी के मुड़े दायें पैर से सटा दिया | सहारा पाते ही उनका पैर मेरे पैर पर लदने लगा | फिर मैंने धीरे-धीरे अपने सटे पैर को वहां से हटाने लगा जिससे उनका पैर मुड़े -मुड़े ही बिस्तर कि तरफ झुकने लगा , फिर मैंने धीरे से अपना पैर वहां से हटा लिया |अब दीदी का एक पैर सीधा , दूसरा मुड़ा हुआ बिस्तर से सटा था और घुटने पर फंसा हुआ पेटीकोट अब कमर तक खिसक गया था | मैंने अनुमान लगाया दीदी अब पूरी नंगी है और मुझे उनकी बुर देखने में कोई परेशानी नहीं होगी | फिर मै उठकर बैठ गया और फिर टॉर्च जलाया ... हे भगवान् ! क्या सीन था ... हलकी झांटो से भरी बुर बिलकुल नंगी थी और बुर के पपोटे थोड़े खुले हुए थे | वैसे बुआ की कमसिन बुर और दीदी की खेली खायी बुर में बाहर से ज्यादा अंतर नहीं दिखाई देता था पर हलकी झांटो से भरी दीदी की सलोनी बुर बड़ी प्यारी लग रही थी | काफी देर तक मै वैसे ही बुर को निहारता रहा और पगलाता रहा | अब मुझे कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा था , जी कर रहा था अभी दीदी के ऊपर चढ़ जाऊं और पेल दूँ | फिर हाथ बढाकर डरते डरते एक ऊँगली से बुर को छुआ ... जब कुछ नहीं हुआ तो हिम्मत करके ऊँगली को बुर की दरारों में फिराया | बुर मुझे काफी गरम लगी और ऊँगली में चिपचिपाहट का एहसास हुआ | टॉर्च से देखा तो बुर की दरारों से पानी निकल रहा था और रिसकर चूतरों की तरफ जा रहा था | हे भगवान् ! तो क्या दीदी जगी हुई है और मेरे क्रियाकलापों से उत्तेजित हो उठी है ,तभी तो चूत से पानी रिस रहा था | मैंने तुरंत टॉर्च को दीदी के चेहरे की तरफ जलाया | बंद आँखों में ही पलकों की हलकी मूवमेंट मैंने महसूस किया जैसे तेज रौशनी से जबरदस्ती आँखों को बंद कर रही हो | फिर ज़रा नीचे देखा , उनके ब्लाउज का ऊपर वाला हुक खुला था और गदराई बड़ी बड़ी चुंचियां आधी बाहर छलकी हुई थी और मस्त अंदाज में ऊपर नीचे हो रही थी | मैं कन्फर्म नहीं हो पाया की वो जगी या नहीं |मैंने टॉर्च बंद किया और सोंचने लगा की क्या करूँ क्योंकि अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था | फिर मै अपने स्थान पर लेट गया और दीदी की तरफ करवट लेकर अपना एक हाथ दीदी के पेट पर रख दिया जैसे मैं नींद में होऊं | सहलाने की बड़ी इच्छा थी पर मै वैसे ही लेटा रहा, बस अपना पैंट नीचे कर लंड बाहर निकालकर उनके जांघो से थोडा दूर हटकर मुठीयाने लगा |
 Reply

Forum Jump:

Users browsing this thread: 2 Guest(s)


Powered By Indian Forum,