मेरी डायरी के कुछ पन्ने सेक्स कहानियाँ
#7
अगले दिन दहेज़ के सामानों की नुमाइश शुरू हुई फिर सम्बन्धियों के कपडे की बारी आयी तो मेरे हिस्से में धोती और कुरते का कपड़ा आया | दीदी , मामी और भाभियाँ हंसने लगी और बोली कुरता तो सिलके तैयार होगा , धोती अभी पहनो | उनके काफी जिद करने पर मैंने धोती लुंगी की तरह लपेट लिया ,फिर मैंने महसूस किया की धोती में काफी आराम रहता है इसलिए मैंने फैसला किया की रात को अब धोती ही पहनकर सोऊँगा | अगली रात भी दीदी मेरे साथ ही सोयी और मैंने उस रात उनको चार बार चोदा |तीसरे दिन से मेहमान सारे जाने लगे और मैं दुखी होने लगा की आज शायद मुझे मौक़ा न मिले | दीदी सचमुच उस रात मेरे साथ नहीं सोयी लेकिन मैंने दरवाजा अन्दर से बंद नहीं किया था , वो देर रात को आयी और बोली – राजन ! जल्दी से चोद ले भाई !! मेरा पेट दुःख रहा है , मेरा मासिक कभी भी आ सकता है | उसके बाद मैंने तूफानी गति से दीदी को पेलना शुरू किया फिर भी मेरे पलते -पलते ही उनका मासिक शुरू हो गया ,जब झड़कर मैंने अपना लंड निकाला तो उसपर खून की बुँदे चमक रही थी |
अगले दिन सारे मेहमानों के चले जाने के बाद मैंने भी जाना चाह तो मामी ने दो चार दिन और रोक लिया | दीदी भी मेरे जाने के बारे में सुनकर उदास हो गयी | तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया की जीजाजी तो है नहीं , इसलिए दीदी को ससुराल जाने की कोई जल्दी तो नहीं है ,महीने दो महीने बाद जायेगी ,तो क्यों नहीं दीदी को भी साथ अपने घर माँ से मिलाने के बहाने ले चलूँ , वहाँ माँ के कालेज जाने के बाद हम दोनों घर में अकेले रहेंगे और जैसे चाहे मस्ती करेंगे | ये बात मैंने दीदी को बताया तो उनका उदास चेहरा खिल उठा | फिर वो मामी से मेरे साथ जाने की जिद करने लगी की पता नहीं बुआ ( मेरी माँ ) से फिर कब मुलाक़ात होगी | मामी के राजी होने के बाद तीसरे दिन दीदी चलने की तैयारी करने लगी | जाने से पहले वो कमरे में मेरे पास आयी और मेरे से फुसफुसाते हुए बोली –आज मेरा मासिक भी ख़त्म हो गया , मैंने फट से उनका गाल चुमते हुए साडी उठाकर अपना लंड उनके हलकी झांटो भरी बुर में पेलते हुए उनके कान में कहा – दीदी ! चूत चिकनी कर लो , चोदने में मजा आयेगा | वो मेरे लंड पर अपनी बुर ५-७ बार रगड़कर हटा लिया और फिर मेरा लंड उमेठते हुए बोली - हट बदमाश ! यहाँ नहीं वहीँ चिकना करुँगी | बस में मैंने उनसे पुचा -दीदी निरोध ले लूँ तो वो बोली – नहीं रे ! निरोध में मजा नहीं आता है , पुरे तीस दिन की गोलियां आती है , तू गोलियां ही खरीद लाना और एक हेयर रिमूवर भी ले आना |जब हम घर शाम को पहुंचे तो माँ दीदी को देखकर बहुत खुश हो गयी , फिर वो दोनों बात करने लगे और मै बाजार दीदी की चीजे खरीदने चल पड़ा |
बाजार से लौटते वक्त मेरा दोस्त समीर मिला ,हाल चाल जानने के बाद जब मै उससे पूछा कि वो आजकल क्या कर रहा है तो वो बोला – बस रिजल्ट का इन्तजार है , उसके बाद कालेज में एडमिशन लूंगा , आजकल सभी कि छुट्टियां है इसलिए वहां लौज (जहां ढेर सारे स्टुडेंट किराए पर रहते है ) में खूब धमाचौकारी होती है , हफ्ते में एक रात बी एफ आता है , आज भी आया है , इसी सब में मन लग जाता है | मैंने पूछा –यार ये बी फ क्या होता है ? वो मेरी ओर आश्चर्य से देखता हुआ बोला - यार बी एफ यानी ब्लू फिल्म .. तुम्हे नहीं पता ? उसमे बिलकुल नंगे होकर लड़का लड़की को चोदते हुए दिखाया जाता है | मुझे उसके कहे पर विश्वास नहीं हुआ कि बिलकुल नंगा कैसे दिखा सकता है , इसलिए पूछा – सच में ? उसने कहा – और नहीं तो क्या ? तुम्हे देखना है तो चल मेरे साथ मेरे लौज | मै आश्चर्य ओर कौतुहल के कारण उसके साथ चल पडा | वहां सचमुच वी सी आर आया हुआ था ओर सब लोग खाना खा रहे थे , उसके बाद बी एफ का प्रोग्राम होने वाला था , मै तब तक समीर के रूम में बैठ गया ओर वो खाना खाने चला गया , तभी मेरी नजर तकिये के नीचे एक पतली सी मैगजीन पर पडी , तकिया हटा कर देखा तो मैगजीन के साथ दो मटमैले रंग कि किताब भी पडा था जिसका शीर्षक था – मचलती जवानी ओर भींगा बदन , उसके लेखक के नाम पर मस्तराम लिखा था | पहले मैंने मैगजीन देखा जिसमे नंगे अंग्रेज लड़के लड़कियों कि तस्वीर थी , जैसे ही मैंने पन्ने पल्टे तो मै दंग रह गया – एक लड़की दो लड़कों के साथ मजे ले रही थी , एक उसे चोद रहा था दूसरा उसे अपना लंड चूसा रहा था , मुझे रोमांच हो रहा था साथ ही घिन भी आ रहा था कि पेशाब करने वाला लंड क्या चूसने कि चीज है ..छि.. छि! फिर मैंने कहानी कि किताब को पलटा –उसमे पहली कहानी एक रिक्शावाला का एक मेमसाब के साथ चुदाई का था और उसमे निरंतरता नहीं था क्योंकि अगले कुछ पन्नो में एक पठान एक गाँव कि छोरी को पेल रहा था लेकिन अगली कहानी एक भाई बहन कि चुदाई कि थी जिसे पढते पढते मेरा लौड़ा तनकर खडा हो गया फिर दुसरी किताब देखा जिसमे एक माँ बेटे का और दूसरी कहानी एक बहु का अपने ससुर के साथ चुदाई का था | मै सनसनाहट से भरता जा रहा था कि तभी समीर खाना खा कर कमरे में आया ओर मेरे हांथो में किताबे देखकर हँसने लगा | मैंने सकुचाते हुए किताबों को बिस्तर पर रख दिया ओर बोला – यार इसमें तो खुल्लम -खुल्ला लिखा है , मेरा तो खडा हो गया , तुम्हारा खडा होता है तो तुम क्या करते हो ? मुठ मारता हूँ और क्या ? फिर उसने मुझे मुठ मारना बताया और फिर मुझे बी एफ दिखाने ले गया | फिल्म में जैसा उसने बताया था वैसे ही बिलकुल नंगे लड़के लडकियां खुलेआम चुदाई कर रहे थे अंग्रेज लड़की लड़के का लंड चूसती तो लड़का भी अपनी जीभ निकालकर लड़की का बुर चूसता बल्कि एक सीन में तो तीन लड़के एक ही लड़की को पेल रहे थे …एक चूत चोद रहा था , दुसरा गांड मार रहा था और तीसरा अपना लंड चूसा रहा था | मुझे पहली बार एहसास हुआ कि औरतों कि गांड भी मारी जा सकती है ..मेरे मन ने कल्पना में उड़ान भरी कि मै तो इस सुख से अभी तक वंचित हूँ ..आज ही रात को दीदी कि गांड जरुर मारूंगा , मेरा मोटा है तो क्या हुआ मेरे जैसे ही मोटे मोटे लंडो को फिल्म में लड़की बड़ी आसानी से अपने कमसिन गांड में लील रही थी और दीदी कि गांड तो फिर भी चौड़ी है | फिल्म देखते देखते एक घंटे में ही मेरी हालत खराब होने लगी ..मुझे चूत कि तुरंत आवश्यकता महसूस हो रही थी इसलिए मैंने समीर को बुलाकर कहा –यार मै चलता हूँ , घर पर बोलकर नहीं आया हूँ और हाँ मुझे पढ़ने के लिए वो मस्तराम वाली किताबे और पिक्चर वाली बुक दे दो | उससे किताबे लेकर अपने कसमसाते -फुफकारते लंड को प्यार से पुचकारते हुए घर वापस चल पडा |
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