कमला की चुदाई सेक्स कहानियां
#2
जब कमला अन्दर चली गई तो रेखा ने अमर से कहा. "डार्लिम्ग, जाओ, मजा करो. रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैम दरवाजा लगा दूम्गी. पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना. गांड मत मारना. उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी. इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी. मैम भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संहालने के लिये वहां रहना चाहती हूम. इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेम्गे."

अमर को आम्ख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गयी. पाम्च मिनिट बाद अमर ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार कमला को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी. उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर अमर बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखूम, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" कमला सकपका गयी और किताब छुपाने लगी. अमर ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. अमर ने कमला को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूम."

कमला रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. अमर एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के कमला की ओर बढ़ा. उसकी आम्खों में कामवासना की झलक देख कर कमला घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर अमर ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खीम्च कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर अमर का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर कमला के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लम्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे दर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए अमर ने जबरदस्ती उसके अम्तर्वस्त्र भी उतार दिये. कमला छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर अमर की शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुमा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुम्दरता के साथ अमर के सामने था. कमला को बाहों में भर कर अमरने अपनी ओर खीम्चा और अपने दोनो हाथों में कमला के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर उससे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".

अमर तो वासना से पागल था. कमला का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर कमला के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने कमला के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंअ रहे थे. उसका हर अम्ग उसने खूब टटोला.

मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. "बोल कमला रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर कमला घबरा गयी और बिलखते हुए उससे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मैम मर जाऊम्गी, मत चोदो मुझे प्ली ऽ ज़ . मैम आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"

अमर को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि कमला छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ अमर बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैम नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहन! चोदूम्गा भी और गांड भी मारूम्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूम मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मैम मरा जा



कमला की गोरी गोरी चिकनी जाम्घें अपने हाथों से अमर ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.



कमला की गोरी बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को अमर चाटने लगा. चाटने के साथ अमर उसकी चिकनी माम्सल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे कमला का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यम्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गयी. उसने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."



अमर ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब कमला के कड़े लाल मणि जैसे क्लिटोरिस पर से गुजरती तो कमला मस्ती से हुमक कर अपनी जाम्घें अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में कमला एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे अमर बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे कमला की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ाने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही कमला फ़िर से मस्त हो गयी.



कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. अमर अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में कमला दूसरी बार झड़ गयी. अमर उस अंऋत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाड एक तृप्ति की साम्स लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर अमर से अलग हो गयी क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर अमर की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.


अमर अब कमला को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोईसे मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और कमला को सीधा करते हुए बोला. "चल छोटी, चुदाने का समय आ गया." कमला घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देम्गे पर अमर को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मख्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी अमर ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ.ऐला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन कमला की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.अमर को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर कमला दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बम्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुम्वारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और कमला ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि अमर से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और कमला छटपटाने लगी.



अमर अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आम्सू भरी आम्खों में झाम्कता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. कमला के बम्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.



कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलनए लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और कमला दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गयी. अमर ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाज.उक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुम्वारी बुर में उतारकर एक गहरी साम्स लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. कमला के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.



अमर एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भीम्च कर पकड़ा हो. कमला के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ अमर धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से कमला होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आम्खें खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "अमर भैया, मैम मर जाऊम्गी, उई माम, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूम."



अमर ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड कमला की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिम्चा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. अमर ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने कमला के गालों पर बहते आम्सू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. कमला के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी कमला, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."



टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब कमला और जोर से रोने लगी तो अमर ने कमला के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो कमला को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इम्तजार करने लगी. पर अमर अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.



सम्हलने के बाद उसने कमला से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूम्गा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुम्वारी चूत में तो माम-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूम्गा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.



दस मिनिट बाद कमला की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. अमर जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.



जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गयी. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गयी. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' निकलने लगी.



रोना बन्द कर के कमला ने अपनी बाम्हें अमर के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर अमर के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह अमर को बेतहाशा चूंअने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. ःआय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैम इसी लायक हूम."


अमर हम्द पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता कमला, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" कमला ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.
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