कमला की चुदाई सेक्स कहानियां
#4
कमला की अधीरता देखकर रेखा बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गयी कि अपने दोनो हाथों से कमला की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना कमला को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गयी.

बात यह थी कि कमला को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री स्त्री सम्बम्धों के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. कमला भी ये किसी सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.

अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो कमला जैसे स्वर्ग में पहुम्च गयी. उसकी चूत का रस रेखा की जीभ पर चूने लगा और रेखा मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और अमर के वीर्य का मिलाजुला स्वाद रेखा को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.

अब रेखा भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जाम्घें रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. कमला ने हाथोम्म में रेखा भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा. "भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंहारी चूचियां और चूत देखनी है." रेखा उठ कर खड़ी हो गयी और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आम्खों से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.

रेखा ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर कमला की चूत में एक बिजली सी दौड़ गयी. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब रेखा के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जाम्घिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. "भाभी यह कम्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमेम." रेखा ने मुस्करा कर कहा "एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते हैम कि रात भर मुझे चोद लेते हैम."

"भाभी रुको, इन्हें मैम निकालूम्गी." कहकर कमला रेखा के पीछे आकर खड़ी हो गयी और उसकी माम्सल पीठ प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर कमला अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. "भाभी, कितनी मस्त चूचियां हैम तुंहारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते हैम." रेखा के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने कमला के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भीम्च कर सीने से लगा लिया. कमला आम्खें बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.

रेखा के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गयी. "हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मैम अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊम्गी."

कमला ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. "भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मैम ही पिया करूम्गी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना." और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. "जरूर पिलाऊम्गी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते हैम. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया." रेखा कमला के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.

अपने निपल में उठती मीठी चुभन से रेखा निहाल हो गई थी. अपनी पैम्टी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जाम्घों में कमला के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए रेखा अपनी बुर उस की कोमल जाम्घों पर रगड़ने लगी. रेखा के कड़े मदनमणि को अपनी जाम्घ पर रगड़ता महसूस करके कमला अधीर हो उठी. "भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़"



"तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी" कहकर रेखा अपनी माम्सल जाम्घें फैला कर पलंग पर लेट गयी. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.



वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गयी. रेखा की रसीली बुर ठीक उसकी आम्खों के सामने थी. घनी काली झाम्टों के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. "हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झाम्टें हैम तुंहारी, काटती नहीं कभी?" उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा.



"नहीं री, तेरे भैया मना करते हैम, उन्हें घनी झाम्टें बहुत अच्छी लगती हैम." रेखा मुस्कराती हुई बोली. "हां भाभी, बहुत प्यारी हैम, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैम भी नहीं काटूम्गी." कमला बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. रेखा वासना से कराह उठी और कमला का मुंह अपनी झाम्टों पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गयी थी कि तुरन्त झड़ गयी.



"हाय मर गयी रे कमला बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूम, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू" दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने कमला को बुर चूसने का सही अन्दाज. सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लिटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है.



थोड़ी ही देर में कमला को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. रेखा पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. "चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श."



काफ़ी झड़ने के बाद उसने कमला को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. कमला ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीम. रेखा ने अपनी जीभ कमला के मुंह में डाल दी और कमला उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.


रेखा अपनी जीभ से कमला के मुंह के अम्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा रेखा ने. शैतानी से उसने कमला के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अम्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खाम्स पड़ी. रेखा ने उसके खाम्सते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और कमला की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही.
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