उशा की कहानी सेक्स कहानियां
#2
थोरि देर तक जोर जोर धक्को से अपने बहु चूत चोदने के बद गोविनदजी ने अपना धक्कोन कि रफ़तेर धेमे कर दिया और उशा कि चुमचेओन को फिर से अपने हथोन मे पकर कर उशा से पुचा, “बहु कैसा लग रहा अपने ससुर का लुनद अपनि चूत मे पिलवा कर?” तब उशा अपनि कमर उथा उथा कर चूत मे लुनद कि चोत लेति हुइ बोलि, “ससुरजी अपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरि चूत दोनो का हल हि बेहल हो गया है। आप चूत चोदूनीई मे बहुत एक्सपेरत्तत्तत हैन्नन्नन बदाअ मजा आ रहा है मुझे ससुरजी ऊओह्हह्हह ससुरजी आप बहुत अच! छा चोदते हैन आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्हह्हह्ह। ऊऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ ससुरजी आप बहुत हि एक्सपेरत हैन और अपको औरतोन कि चूत चोद कर औरतोन को सुख देना बहुत अस्सह्हीए तरह से आत्ता हैन। मुझे बहुत अस्सह्हा लग रहा है ययून्न ही हान सौरजीई यून्न ही चोदो मुझे आप्पप्प बाहुत अच्चहे हो बास्स ययून हि चोदै करो मेरि ऊओह्हह्हह्हह खूब चोदो मुझे। गोविनदजी भि उशा कि बतोन को सुन कर बोले, “ले रनदि, चिनल ले अपने चूत मे अपसने सौर के लुनद का थोकर ले। आज देखतेन है कि तु कितनि बरि चिनल चुद्दकर है। आज मैं तेरि चूत को अपने हलवी लुनद से चोद चोद कर भोसरा बना दुनगा। ले मेरि चुदक्कर बहु ले मेरा लुनद अपनि चूत से खा।” गोविनदजे इतना कह कर फिर से उशा कि चूत मे पना लुनद जोर जोर से पेलने लगे और थोरि देर के अपना लुनद जर तक थनस कर अपनि बहु कि चूत के अनदर झर गये। उशा भि अपने सौर कि लुनद को चुतौथा उथा कर अपनि चूत से खती खती झर गयी। थोरि देर तक दोनो ससुर और बहु अपनि चुदै से थक कर सुसत परे रहे।

थोरि देर के बद उशा ने अपनि अनख खोलि और अपने ससुर और खुद को ननगी देख कर शरमा कर अपने हथोन से अपना चेहेरा धक लिया। तब गोविनदजी उथ कर पहले बथरूम मे जा कर अपना लुनद धो कर सफ़ करने के बद फिर से उशा के पस बैथ गये और उसकि शरेर से खेलने लगे। गोविनदजी ने अपने हथोन से उशा का हथ उसके चेहेरे से हथा कर अपने बहु से पुचा, “कयोन, चिनल चुद्दकर रनदी उशा मज़ा अया अपने ससुर के लुनद से अपनि चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लुनद और उसके धक्के?” उशा अपने हथोन से अपने ससुर को बनध कर उनको चुमते हुए बोलि, “बबुजी अपका लुनद बहुत शनदर है और इसको किसि भि औरत कि चूत को चोद कर मज़ा देने कि कला अति है। लेकिन, सुबसे अस्सह्हा मुझे अपका चिदते हुए गनदी बत करना लगा। सुच जब आप गनदी बत करते हैन और चोदते है तो बहुत अस्सह्हा लगता है।” गोविनदजी ने अपने हथोन से उशा कि चुनची को पकर कर मसलते हुए बोले, “अरे चिनल, जा हुम गनदा कम कर रहेन हैन तो गनदी बत करने मे कया फ़रक परता है और मिझको तो चुदै के समय गली बकने कि अदपत है। अस्सह्हा अब बोल तुझे मेरा चुदै कैसी लगी? मज़ा आय कि नही, चूत कि खुजली मेती कि नही?” उशा ने तब अपने हथोन से अपने ससुर का लुनद पकर कर सहलते हुए बोलि, “ससुरजी अपका लुनद बहुत हि शनदर है और मुझे अपसे अपनि चूत चुदवा कर बहुत मज़ा आया। लगता है कि अपके लुनद को भि मेरि चूत बहुत पसनद आया। देखेये ना अपका लुनद फिर से खरा हो रहा है। कया बत एक बर और मेरि चूत मे घुसना चहता है कया?” गोविमदजी ने तब अपने हथ उशा कि चूत पर फेरते हुए बोले, “सलि कुतिअ, एक बर अपने ससुर का लुनद खा कर तेरि चूत का मन नही भरा, फिर से मेरा लुनद खना चहती है? थीक है मैं तुझको अभि एक बर फिर से चोदता हुन।”

गोविनदजी कि बत सुन कर उशा झत से उथ कर बैथ गयी और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हथ और पैर के बल बैथ कर अपने ससुर से बोलि, “बबुजी, अब मेरि चूत मे पीचे से अपना लुनद दल कर चोदिअ। मुझे पीचे से चूत मे लुनद दलवने मे बहुत मज़ा आता है।” गोविनदजी ने तब अपने समने झुकि हुए उशा किए चुतर पर हथ फेरते हुए उशा से बोले, “सलि कुत्ती तुझको पीचे से लुनद दलवनव मे बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिअ चुदवती है, कया तु कुतिअ है?” उशा अपना सिर पीचे घुमा कर बोलि, “हन मेरे सोदु ससुरजी मय कुतिअ हुन और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरि चूत चोदेनगे। अब जलदी भि कतिये और शुरु हो जैअ जलदी से मेरि चूत मे अपना लुनद दलिये।” गोविनदजी अपने लुनद पर थुक लगते हुए बोले, “ले रेनि रनदी बहु ले, मैं अभि तेरि फुदकती चूत मे अपना लुनद दल कर उसकि खबर लेत हुन। सलि तु बहुत चुद्दकर है। पता नहीन मेरा बेता तुझको शनत कर पयेगा कि नही।” और इतना कहकर गोविनदजी अपने बहु के पीचे जकर उसकि चूत अपने उनगलिओन से फैला कर उसमे अपना लुनद दल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभि कभि गोविनदजी अपना उनगली उशा कि गनद मे घुसा रहेन थे और उशा अपनि कमर हिला हिला अपनि चूत मे ससुर के लुनद को अनदर भर करवा रही थी। थोरि देर के चोदने के बद दोनो बहु और सौर झर गये। तब उशा उथ कर बथरूम मे जकर अपना चूत और झनगे धोकर अपने बिसतर पर आकर लेत गयी और गोविनदजी भि अपने कमरे जकर सो गये।

अगले हफ़ते रमेश और उशा अपने होनेयमून मनने अपने एक दोसत, जो कि शिमला मे रहता है, चले गये। जैसे हि रमेश और उशा शिमला ऐरपोरत से बहर निकले तो देखा कि रमेश का दोसत, गौतम और उसकि बिबि सुमन दोनो बहर अपनि सर के सथ उनका इनतेज़र कर रहेन हैन। रमेश और गौतम अगे बरज कर एक दुसरे के गले लग गये। फिर दोन ओने अपनि अपनि बिबिओन से इनत्रोदुसे करवा दिया और फिर सर मे बैथ कर घर कि तरफ़ चल परे। घर पहुनच कर रमेश और गौतन दरविनग मे बैथ कर पुरनी बतो मे मशगूल हो गय और उशा और सुमन दुसरे कमरे मे बैथ कर बतेन करने लगे। थोरि देर के बद रमेश और गौतम अपने बिबिओन को बुअकर उनसे कह कि खना लग दो बहुत जोर कि भुक लगी है। सुमन ने फता फत खना लगा दिया और चरोन दिनिनग तबले पर बैथ कर खने लगे। खना खते वकी उशा देलह रही थी कि रमेश खमा खते वकत सुमन को घुर घुर कर देख रहा है और सुमन भि धिरे धिरे मुसकुरा रही है। उशा को दल मे कुच कला नज़र अया। लेकिन वो कुच नही बोलि।

अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नशता करने के बद अपने ओफ़्फ़िसे के लिये रवना हो गया। घर पर उशा, रमेश और सुमन पर बैथ कर नशता करने के बद गप लरा रहे थे। उशा आज सुबह भि धयन दी कि रमेश अभि भि सुमन को घुर रहा है और सुमन धिरे धिरे मुसकुरा रही है। थोरि देर के बद उशा नहने के लिये अपने कपरे ले कर बथरूम मे गयी। करीब अधे घनते के बद जब उशा बथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिअ लप्पेत कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ बलौसे और पेत्तिसोअत पहने तनगे फैला कर पनि कुरसी पर फैली अधे लेति और अधे बैथी हुए है और उसकि बलौसे के बुत्तोन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन कि एक चुनची अपने हथोन से पकर चुस रहा है और दुसरे हथ से सुमन कि दुसरी चुनची को दबा रहा है। उशा एह देख कर सन्न रह गयी और अपनि जगह पर खरि कि खरि रहा गयी। तभि सुमन कि नज़र उशा पर पर गयी तो उसने अपनि हथ हिला कर उशा को अपने पस बुला लिया और अपनि एक चुनची रमेश से चुरा कर उशा कि तरफ़ बरहा कर बोलि, “लो उशा तुम भि मेरि चुनची चुसो।” रमेश चुप चप सुमन कि चुनची चुसता रहा और उसने उशा कि तरफ़ देलहा तक नही। सुमन ने फिर से उशा से बोलि, “लो उशा तुम भि मेरि चुनची चुसो, मुझे चुनची चुसवने मे बहुत मज़ा मिलता है तभि मैने रमेश से अपनि चुनची चुसवा रही हुन।” उशा ना अब कुच नही बोलि और सुमन कि दुसरी चुनची अपने मुनह मे भर कर चुसने लगि।

थोरि देर के बद उशा ने देखा कि सुमन अपना हथ अगे कर के रमेश का लुनद उसके पैजमे के ऊपेर से पकर कर अपनि मुथि मे लेकर मरोर रही है और रमेश सुमन कि एक चुनची अपने मुनह मे भर कर चुस रहा है। अब तक उशा भि गरम हो गयी थी। तभि सुमन ने रमेश का पैजमे का नरा खीनच कर कजखोल दिया और रमेश का पैजमा सरक कर नीचे गिर गया। पैजमा को नीचे गिरते हि रमेश ननगा हो गया कयोनकी वो पैजमे के नीचे कुच नहि पहन रखा था। जैसे हि रमेश रमेश ननगा हो गया वैसे हि सुमन अगे बरह कर रमेश का खरा लुनद पकर लिया और उसका सुपरा को खोलने और बनद करने लगी और अपने होथोन पर जीव फेरने लगी। एह देख कर उशा ने अपने हथोन से पकर कर रमीश का लुनद सुमन के मुनह से लगा दिया और सुमन से बोलि, “लो सुमन, मेरे पति का लुनद चुसो। लुनद चुसने से तुमहे बहुत मज़ा मिलेगा। मैं भि अपनि चूत मरवने के पहले रमेश का लुनद चुसती हुन। फिर रमेश भि मेरि चूत को अपने जीव से चत्ता है।” जैसे हि उशा ने रमेश का लुनद सुमन के मुनह से लगया वैसे हि सुमन ने अपनि मुनह खोल कर के रमेश का लुनद अपने मुन मे भर लिया और उसको चुसने लगी। अब रमेश अपना कमर हिला हिला कर अपना लुनद सुमन के मुनह के अनदर बहर करने लगा और अपने हथोन से सुमन कि दोनो चुनची पकर कर मसलने लगा। तब उशा ने अगे बरह कर सुमन कि पेत्तिसोअत का नरा खोल दिया। पेत्तिसत का नरा खुलते हि सुमन ने अपनि चुतर कुरसी पर से थोरा सा उथा दिया और उशा अपने हथोन से सुमन कि परत्तिसोअत को खीनच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेत्तिसोअत के नीचे पनती नही पहनी थी और इसलिये पेतीसोअत खुलते हि सुमन भि रमेश कि तरह बिलकुल ननगी हो गयी।उशा ने सबसे पहले ननगी सुमन कि जनघोन को खोल दिया और उसकि चूत को देखने लगी। सुमन कि चूत पर झनते बहुत हि करीने से हतया गया था और इस समय सुमन कि चूत बिलकुल चमक रहि थी। सुमन कि चूत से चुदै के पहले निकलने वला रस रिस रिस कर निकल रहा था। उशा झुक कर सुमन के समने बैथ गयी और सुमन कि चूत से अपनि मुनह लगा दिया। उशा कि मुनह जैसे हि सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनि तनगे और फैला दिया और अपने हथोन से अपनि चूत को खोल दिया। अब उशा ने अगे बरह कर सुमन कि चूत को चतना शुरु कर दिया। उशा अपनि जीव को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपेर तक ला रही थी और सुमन मरे गरमि के उशा का सर अपने हथोन से पकर कर अपनि चूत पर दबा रही थी। उधर रमेश ने जैसे हि देखा कि उशा अपनि जीव से सुमन कि चूत को चत रही है तो उसने अपना लुनद सुमन के मुनह से कगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपनि मुनह खोल कर रमेश का लुनद अपने मुनह मे भर लिया। नीचे उशा अपनि जीव से सुमन कि चूत को चत रही थी और कभि कभि सुमन कि सलित को अपने दनतोन से पकर कर हलके हलके से दबा रही थी।


थोरि देर तक सुमन कि चूत को चतने और चुसने का बद उशा उथ खरी हो गयी और रमेश का लुनद पकर सुमन के मुनह से निकल दिया और सुमन से बोलि, “सुमन अब बहुत हो गया लुनद चुसना और चूत चतवना। चलो अब अपने पैर कुरसी के हती के ऊपर रखो और रमेश का लुनद अपने चूत मे पिलवओ। मुझे मलुम है कि अब तुमहे रमेश का लुनद अपने मुनह मे नही अपनि चूत के अनदर चहिये।” और उशा ने अपने हथोन से अपने पति का कहरा हुअ लुनद सुमन कि गिलि चूत कि ऊपर रख दिया। चूत पर लुनद के रखते हि सुमन ने पने हथोन से उसको अपनि चूत कि चेद से भिरा दिया और रमेश कि तरफ़ देख कर मुसकुरा कर बोलि, “लो अब तुमहरी बिबि हि तुमहरा लुअरे को मेरि चूत से भिरा दिया। अब देर किस बत का है। चलो चुदै शुरु कर दो।” इतना सुनते हि रमेश ने अपना कमर हिला कर अपना तना हुअ लुनद सुमन कि चूत के अनदर उतर दिया। चूत के अनदर लुनद घुसते हि सुमन ने अपने पैर को कुरसी के हथेलिओन पर रख कर औए फैला दिया और अपने हथोन से रमेश का कमर पकर कर उसको अपनि तरफ़ खीनच लिया। अब रमेश अपने दोनो हथोन से सुमन कि दोनो चुनचेओन को पकर कर अपना कमर हिला हिला कर सुमन को चोदना शुरु कर दिया। सुमन अपनि चूत मे रमेश का लुनद पिलवा कर बहुत कुश थी और वो मुर कर उशा से बोलि, “उशा तेरे पति का लुनद बहुत हि शनदर है, बहुत लुमबा और मोता है। रमेश का लुनद मेरे बस्सहेदनि पर थोकर मर रहा है। तेरि ज़िनदगी तो रमेश से चुदवा कर बहुत अरम से कत रही होगे?” उशा तब रमेश का एक हथ सुमन कि चुनची पर से हता कर सुमन कि चुनची को मसलते हुए बोलि, “हन, मेरे पति का लुनद बहुत हि शनदर है और मुझे रमेश से चुदवने मे बहुत मज़ा मिकता है। मैं तो हर रोज़ तीन – चर बर रमेश का लुनद अपनि चूत मे पिलवती हुन। कयोन, गौतम तेरि चूत नही चोदता? कैसा है गौतम का लुनद?”

सुमन बोलि, “गौतम का लुनद भि अस्सह्हा है और मैं हर रोज़ दो – तेन बर गौतम के लुनद से अपनि चूत चुदवती हुन। गौतम रोज़ रत को हुमको रगर कर चोदता है और रत कि चुदै के समय मैं कम से कम से चर-पनच बर चूत का पनि चिरती हुन। लेकिन रमेश के लुनद कि बत हि कुच और है। एह लुनद तो मेरे बस्सहेदनि पर थोकर मर रहा है। असल मे मुझे अपनि पति के अलवा दुसरे लुनद से चुदवने मे बहुत मज़ा अता है और जब से मैने रमेश को देखा है, तभि से मैं रमेश का लुनद खने के लिये ललैत थी। अब मेरि मन कि मुरद हो गयी है। अब शम को जैसे हि गौतम ओफ़्फ़िसे से घर अयेगा उसका लुनद मैं तेरि चूत मे पिलवैनगी। तब देखना कि गौतम कैसे तुमको चोदता है। मुझे मलुम है कि गौतम के लुनद अपनि चूत से खकर तुम बहुत खुश होगी।” उशा चुप चप सुमन कि बत सुनति रही और झुक कर रमेश का लुनद सुमन कि चूत के अनदर बहर होना देखती रही। थोरि देर के बद उशा झुक कर सुमन कि एक चुनची अपने मुनह मे भर लिया और जोर जोर से चुसने लगी। थोरि देर के बद उशा को एहसस हुअ कि कोइ उसके चुतर के ऊपेर से उसकि तौलिअ हता कर उसकि चूत मे अपना लुनद घुसेरने कि कोशिह कर रहा है। उशा चौनक कर पीचे मुर कर देखि तो तो पया कि उसकि चूत मे लुनद घुसेरने वला और कोइ नही बलकी गौतम है। हुअ एह कि गौतम के ओफ़्फ़िसे मे किसि का देहनत हो गया था और इसलिये ओफ़्फ़िसे बनद कर दिया गया था और इसकिये गौतम ओफ़्फ़िसे जकर हि वपस अ गया था।

गौतम अब तक उशा कि बदन से उसकि तौलिअ हता कर अपना तन्नया हुअ लुनद उशा कि चूत मे दल चुक्का था और उशि कि कमर को पकर के उशा कि चूत मे अपने लुनद कि थोकर मरना शुरु हो गया था। गौतम जोर जोर से उशा कि चूत अपने लुनद से चोद रहा था और अपने हथोन से उशा कि चुनची को मसल रहा था। रमेश इस समय सुमन को जोरदर धक्कोन के सथ चोद रहा था और उसने अपना सिर घुमा कर जब उशा कि चुदै गुअतम के सथ होते देखा तो मुसकुरा दिया और गौतम से बोला, “देख गौतम देख, मैं तेरे हि घर मे और तेरे हि समने तेरि बिवि को चोद रहा हुन। तुझे तेरि बिबि कि चुदै देख कर कैसा लग रहा है?” गौतम ने तब उशा को चुमते और उसकि चुनची को मलते हुए रमेश से बोला, “अबे रमेश, तु कया मेरि बिबि को चोद रहा है। अरे मेरि बिबि तो पुरनि हो गयी है उसकि चूत मैं पिचले दो सल से रत दिन चोद रहा हुन। सुमन कि चूत तो अब कफ़ी फैल चुक्का है। अबे तु देख मैं तेरे समने तेरि नयी बवही बिबि को कुतिअ कि तरह झुका कर उसकि तिघत चूत मे अपना लुनद दल कर चोद रहा हुन। अब बोल किसे जयदा मज़ा मिल रहा है। सफ़ी मे यर रमेश, तेरि बिबि कि चूत बहुत हि तिघत है मगर तेरि बिबि बहुत चुद्दकर है, देख देख कैसे तेरि बिबि कि चूत मेरा लुनद पकर रकह है।” फिर गौतम उशा कि चुनची को मसलते हुए उशा से बोला, “ओह! ओह! मेझे उशा कि चूत चोदने मे बहुत मज़ा मिल रहा है। अह! उशा रनि और जोर से अपनि गनद हिला कर मेरे लुनद अपर धक्का मर। मैं पीचे से तेरि चूत पर धक्का मर रहा हुन। उशा रनि बोल, बोल कैसा लग रहा मेरे लुनद से अपनि चूत चुदवना। बोल मज़ा मिल रहा कि नही?” तब उशा अपनि गनद को जोर जोर से हिला कर गौतम का लुनद अपनि चूत को खिलते हुए गौतम से बोलि, “चोदो मेरे रजा और जोर से चोदो। मुझे तुमहरि चुदै से बहुत मज़ा मिल रहा है। तुमहरा लुनद मेरे चूत कि अखरी चोर तक घुस रहा है। ऐसा लग रहा कि तुमहरा लुनद का धक्का मेरि चूत से होकर मेरि मुनह से निकल परेगा। और जोर से चोदो, और सुअमन और रमेश को दिखा दो चूत कि चुदै कैसे कि जती है।”

गौतम और उशा कि चुदै देखते हुए सुमन ने उशा से बोलि, “कयोन चिनर उशा, गौतम का लुनद पसनद अया कि नही? मैं ना बोल रही थी कि गौतम का लुनद बहुत हि शनदर है और गौतम बहुत अस्सह्हि तरह से चोदता है? अब जी भर लर चुदवा ले अपनि चूत गौतम के लुनद से। मैं भि अपनि चूत रमेश से चुदवा रही हुन।” रमेश जोरदर धक्कोन के सथ सुमन को चिदते हुए बोला, “यर गौतम, एह दोनो औरत बरि चुदसि है, चल आज दिन भर इनकि चूत चोद चोद कर इनकि चूतोन को भोसरा बनता हुन। तभि इनकि चूतोन कि खुजी मितेगी।” इतना कह कर रमेश सुमन कि चूत पर पिल परा दना दन चोदने लगा। गुअतम भि पीचे नही था, वो अपना हथोन से उशा कि दोनो चुनची पकर कर अपनि कमर के झतकोन से उशा कि चूत चोदना चलु रखा। थोरि दे रैसे हि चुदै चलती रही और दोनो जोरे अपने अपने सथिओन के जम कर चुदै चलु रखि और थोरि देर के बद दोनो जोरे जोरे हि झर गये। जैसे हि रमेश और गौतम सुमन और उशा कि चूत के अनदर झरने के बद अपना अपना लुनद बहर निकला तो दोनो का लुनद सफ़ेद सफ़े पनि से सना हुअ थाउर उधर सुमन और उशा कि चूतोन से भि सफ़ेद सफ़ेद गरहा पनि निकल रहा था। झत से सुमन और उशा उथ कर अपने अपने पतिओन का लुनद अपने मुनह मे भर कर चुस चुस कर सफ़ किया और फिर एक दुसरे कि चूत मे मुनह लगा कर अपने अपने पतिओन का बीरज़ चत चत कर सफ़ किया। थोरि देर के बद रमेश और गौतम का सनस नोरमल हुअ और उथ कर एक दुसरे के लगले लग गये और बोले। “यरे क दुसरे कि बिबिओन को चोदने का मज़ा हि कुच अलग है। अब जब तक हुमलोग एक सथ है बिबिओन को अदल बदल करके हे चोदेनगे।”

थोरि देर के बद सुमन और उशा अपनि कुरसि से उथ कर खरि हो गयी और तौलिअ से अपनि चूत और जनघे पोनच कर ननगी हि कितचेन कि तरफ़ चल परि। उनको ननगी जते देख कर रमेश और गौतम का लुनद खरा होना शुरु कर दिया। थोरि देर के बद सुमन और उशा ननगी हि कितचेन से चै और नशता ले कर कमरे अये और जुरसि पर बैथ गयी। रमेश और गौतम भि ननगे हि कुरसी पर बैथ गये। थोरि दे के बद सुमन झुक कर पयली मे चै पलतने लगी। सुमन के झुकने से उसकि चुनची दोनो हवा ने झुलने लगे। एह देख कर रमेश ने अगे बरह कर सुमन कि चुनचेओन को पकर लिया और उनहे दबने लगा। एह देख कर उशा अपनि कुरसी से उथ खरी हो गयी और गौतम के ननगे गोद पर जा कर बैथ गयी। जैसे हि उशा गोद मबैथी गुअतम ने पने हथोन से उशा को जकर लिया और उसकि चुनची को दबने लगा। उशा झुक कर गौतम के लुनद को पकर कर सहलने लगे और थोरि देर के गौतम के लुनद को अपने मुनह मे भर लिया। एह देख कर सुमन चै बनना चोर कर रमेश के पैरोन के पस बैथ गयी उसने भि रमेश का लुनद अपने मुनह मे भर लिया। होरि देर के रमेश अपने हथोन से सुमन को खरा किया और उसको तबले के सहरे झुका कर सुमन कि चूत मे पीचे से जकर अपना लुनद घुसेर दिया। सुमन एक हलकि से सिसकरि भर कर अपने चुतर हिला हिला अपनि चूत मे रमेश का लुनद पिलवती रही और वो खुद उशा और गौतम को देखने लगी। रमेश और सुमन को फिर से चुदै शुरु करते देलह गुतम भि अपने आप को रोक नही पया उर उसने उशा को अपनि गोद से उथा कर फिर से उसके दोनो पैर अपने दोनो तरफ़ करके बैथा लिया। इस तरिके से उशा कि चूत थीक गौतम के लुनद के समने था। उशा ने अपने हथोन से गौतम के लुनद को पकर कर अपनि चूत से भिरा कर गौतम के गोद पर झतके सथ बैथ गयी और गौतम का लुनद उशा कि चूत के अनदर चला गया। उशा अब गौतम के गोद पर बैथ कर अपनि चुतर उथा उथा कर गौतम के लुनद का धक्का अपनि चूत पर लेने लगी। कमरे सिरफ़ फस्सह, फस्सह का अवज गुनज रहा था और उसके सथ सथ सुमन और उशा कि सिसकिअन।
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RE: उशा की कहानी सेक्स कहानियां - by SexStories - 08-04-2016, 03:56 PM

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