उशा की कहानी सेक्स कहानियां
#3
रमेश थोरि देर तक सुमन कि चूत पीचे से लुनद दल कर चोदता रहा। थोरि देर के बद उसने अपनि एक उनगली मे थूक लग कर सुमन कि गनद मे उनगली करने लगा। अपनि गनद मे रमेश कि उनगली घुसते हि सुमन ओह! ओह! है! कर उथि। उसने रमेश से बोलि, “कया बत है, अब मेरि गनद पर भि तुमहरा नज़र पर गया है। अरे पहले मेरि चूत कि आग को शनत करो फिर मेरि गनद कि तरफ़ देखना।” लेकिन रमेश अपनि उनगली सुमन कि गनद के चेद पर रख कर धिरे धिरे घुमने लगा। थोरि देर के रमेश ने अपनि उनगली सुमन कि गनद मे घुसेर दिया और दजिरे धिर अनदर बहर करने लगा। सुमन भि अपना हथ नीचे ले जकर अपनि चूत कि घुनदी को सहलने लगी। जब अपनि थूक और उनगली से रमेश ने सुमन कि गनद कि चेद कफ़ि धिली कर ली तब रमेह ने अपने लुनद पर थूक लगकर सुमन कि गनद कि चेद पर रखा। अपनि गनद मे रमेह का लुनद चुते हि सुमन बोल परि, “अरे अरे कया कर रहे हो। मुझे अपनि गनद नही चुदवना है। मुझे मलुम है कि गनद मरवने से बहुत तकलीफ़ होति है। हतो, रमेश हतो अपना लुनद मेरि गनद से हता लो।” लेकिन तब तक रमेश ने अपना खरा हुअ लुनद सुमन कि गनद कि चेद पर रख कर दबने लगा था और थोरि से देर के बद रमेश का लुनद का सुपरा सुमन कि गनद कि चेद मे घुस गया। सुमन चिल्ला परि, “अर्रर्रीईए माआर्रर्र दलाआआ, ओह! ओह! रमेस्सस्सह्हह निकल्लल्लल्ल लूऊ अपनाआ म्मूस्सस्साअर्रर ज्जजाआईस्सस्साअ लुनद्दद्दद म्ममीर्ररीई गाआनद्दद सीई। मैईई मर्रर्र जौनगीईए।” लेकिन रमेश कहना सुमने वला था। वहो अपना कमर करा कर के और अपना लुनद को हथ से पकर के एक धक्का मरा तो उसका अधा लुनद सुमन कि गनद मे घुस गया। सुमन चतपतने लगी।

थोरि देर के बद रमेश थोरा रुक कर एक धक्का और मरा तो उसका पुरा का पुरा लुनद सुमन कि गनद मे घुस गया और वो झुक कर एक हथ से सुमन कि चुनची सहलने लगा और दुसरी हथ से सुमन कि चूत मे उनगली करने लगा। लेकिन सुमन मरे दरद के चतपता रही थी और बोल रही थे, “अबे सले भरुए गौतम, देखो तुमहरे समने तुमहरि बिबि कि गनद कैसे तुमहरा दोसत जबरदसती से मर रहा है। तुम कुच करते कयोन नही। अब मेरि गनद आज फत जयेगी। लग रहा है आज इस चोदु रमेश मेरि गनद मर मर कर मेरि गनद और बुर एक कर देगा। गिअतम पलेअसे तुम रमेश से मुझे बचओ।” तब रमेश अपने उनगलेओन से सुमन कि चूत मे उनगली करते हुए सुमन से बोला, “अरे सुमन रनि, बस थोरि देर तक सबर करो, फिर देखना आज गनद मरवने ने तुमहे कितनि मज़ा मिलता है। आज मैं तुमहरी गनद मर कर तुमहरी चूत कि पनि निकलुनगा। बस तुम ऐसे हि झुक कर खरि रहो।” रमेश कि बत सुन कर गौतन अपना लुनद से उशा कि चूत चोदता हुअ सुमन से बोला, “रनि, आज तुम रमेश का मोता लुनद अपनि गनद दलवा कर खूब मज़े उरओ, मैं भि अभि अपना लुनद रमेश कि नये बिवि कि गनद मे घुसेरता हुन अनद उशा कि गनद मरता हुन। मैं शा कि गनद मर कर तुमहरि गनद मरने का बदला निकलता हुन।” उशा जैसे हि गौतम कि बत सुनि तो बोल परि, “अरे वह कया हिसब है, रमेश आज मौका पा कर सुमन कि गनद मर रहा है और उसकि किमत मुझे अपनि गनद मरवा कर चुकनि परेगी। नहि मैं तो अपनि गनद मे लुनद नहि पिलवती। गौतम तुम मेरि गनद के बजय रमेश कि गनद मर कर अपना बदला निकलो।” गौतम तब उशा से बोला, “नहे मेरि चुद्दकर रनि, जिस तरह से रमेश ने मेरि बिवि कि गनद मे अपना लुनद घुसेर कर मेरि बिवि कि गनद मर रहा है, मैं भि उसि तरह से रमेश कि बिवि कि गनद मे अपना लुनद घुसेर कर रमेश कि बिवि कि गनद मरुनगा और तभि मेरा बदला पुरा होगा।” इतना कह कर गौतम ने अपना लुनद उशा कि चूत से निकल लिया और उसमे फिर से थोरा रहुक लगा कर उशा कि गनद से भिरा दिया। उशा अपनि कमर इधर उधर घुमने लगी लेकिन गौतम ने अपने हथोन से उशा का कमर पकर कर अपना लुनद का अधा सुपरा उशा कि गनद कि चेद मे दल दिया। उशा दरद के मरे चतपतने लगी।

उशा अपनि गनद से गौतम का लुनद को निकलने कि कोशिश कर रही थी और गुतम अपने लुनद को उशा कि गनद मे घुसरने कि कोशिस कर रहा था। इसि दौरन गौतम ने एकबर उशा कि कमर को कस कर पकर लिया और अपना कमर करके एक धक्का मरा तो उसका लौरे का सुपरा उशा कि गनद कि चेद मे घुस गया। फिर गौतम ने जलदी से एक और जोरदर धक्का मरा तो उसका पुरा का पुरा लुनद उशा कि गनद मे घुस गया और गौतम कि झनते उशा कि चुतर को चुने लगा। अपनि गनद ने गौतम का लुनद को घुसते हि उशा एक जोर से चिखी और चिल्ला कर बोलि, “सले बहनचोद, दुसरे कि बिवि कि गनद मुफ़त मे मिल गया तो कया उसको फरना जरूरि है? भोसरि के निअकल अपना मुसर जैसा लुनद मेरि गनद से और जा अपना लुनद अपनि मा कि गनद मे या उसकि बुर मे दल। अरे रमेश तुमहे दिख नही रहा है, तुमहरा दोसत मेरि गनद फर रहा है? अरे कुच करो भि, रोको गौतम को, नही तो गौतम मेरि गनद मर मर कर मुझे गनदु बना देगा फिर तुम भि मेरि चूत चोर कर के मेरि गनद हि मरना।” रमेश अपना लुनद सुमन कि गनद के अनदर बहर करते उशा से बोला, “अरे रनि, कयोन चिल्ला रही हो। गौतम तुमहे अभि चोर देगा और एक-दो गनद मरवने से कोइ गनदु नहि बन जता है। देखो ना मैं भि कैसे गौतम कि बिवि कि गनद ने अपना लुनद अनदर बहर कर रहा हुन। तुमको अभि थोरि देर के बद गनद मरवने मे भि बहुत मज़ा मिलेगा। बस चुपचप अपनि गनद मे गौतम का लुनद पिलवति जओ और मज़ा लुतो। इतना सुनते हि गौतम ने अपना हथ आगे बरहा कर उशा कि एक चुनची पकर कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लुनद उशा कि गनद के अनदर बहर करने लगा। थोरि देर के उशा को भि मज़ा अने लगा और वो अपनि कमर चला चला कर गौतम का लुनद अपनि गनद से खने लगी। थोरि देर के बद रमेश और गौतम दोनो हि सुमन और उशा कि गनद मे अपना लुनद के पिचकरी से भर दिया और सुसत हो कर सोफ़ा मे लेत गये।

इसतरह से रमेश और उशा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके रहे तब तक दोनो दोसत एक दुसरे कि बिविओन कि चूत चोद चोद कर मज़ा मरते रहे। कभि कभि तो दोनो दोसत उशा या सुमन को एक सथ चोदते थे। एक बिसतेर पर लेत कर नीचे से अपना लुनद चूत मे दलता था और दुसरा अपना लुनद ओपेर से गनद मे दलता था। उशा और सुमन भि हर समय अपनि चूत या गनद मरवने के लिये तयर रहती थी। जब सब लोग घर के अनदर रहते थे तो सभि ननगे हि रहते थे। उशा और सुमन भि ननगी हो कर हि चै या खना बनती थी और जब भि रमेश या गौतम उनके पस अता था तो वो झुक कर उनका लुनद अपने मुनह मे भर कर चुसती थी और जैसे हि लुनद खरा हो जता था तो खुद अपने हथोन से खरे लुनद को अपनि चूत से भिरा कर खुद धक्का मर कर अपनि चूत मे भर लेती थे। एक हफ़ता तक उशा और रमेश अपने दोसत के घर बने रहे और फिर वपस अपने घर के लिये चल परे।

जब पलनर मे रमेश और उशा अपने घर के लिये जा रहे थे तो रमेश ने उशा से पुचा, कयोन उशा रनि, एक बत सहि सहि बतओ, कयोन जयदा अछा चोदता है, मैं, गुअतम या पितजी?” रमेश का बत सुन कर उशा बिलकूल अचमभित हो गये, फिर उसने धिरे से पुची, “पितजी से चुदै कि बत तुमको कैसे मलुम? तुम तो अपनि सुहगरत पर दुती पर थे?” तब रमेश धिरे से उशा को चुमते हुए बोला, “हन, तुम थीक कह रही हो, मिझे उस दिन दुती पर जना परा। जब हुम अपनि दुती से करीब एक घनते के बद लौता तो देखा तुम पितजी का लुनद पकर चूस रहि हो और पितजी तुमहरी चूत मे अपनि उनगली पेल रहेन है। एह देख मैं चुप चप कमरे के बहर खरा हो कर तुमहे और पितजी का चुदै खतम होते वकत तक देखा और फिर लौत गया और सुबह हि घर पर अया।” “कया तुम मुझसे नरज़ हो” उशा धिरे से रमेश से पुची। “नही, मैं तुम से बिलकुल भि नरज़ नही हुन। तुमने पितजी को अपनि चूत दे कर एक बहुत बरा उपकर किया है” रमेश बोला। उशा एह सुन कर बोलि, “वो कैसे”। तब रमेश बोला, “अरे हुमरि मतजी अब बुधि हो गयी हैन और उनको तनग उथने मे तकलीफ़ होते है, लेकिन पितजी अभि भि जवन हैन। उनको अगर घर पर चूत नही मिलता तो वो जरूर से बहर जकर अपना मुनह मरते। उसमे हुम लोगो कि बदनमी होती। हो सकता कि पितजी को कोइ बिमरी हो जती। लेकिन अब एह सब नही होगा कयोनकी उनको घर पर हि तुमहरी चूत चोदने को मिल जया करेगा।” “तो कया मुझको पितजी से घर मे बरबर चुदवना परेगा?” उशा पलत कर रमेश से पुची। “नही बरबर नही, लेकिन जब उनकि मरज़ी हो तुम उनको अपनि चूत देने से मना मत करना।” “लेकिन अगर तुमहरी मतजी ने देख लिया तो?” उशा ने पुचि। “तब कि बत तब देखि जयेगी” रमेश ने कह।फिर उशा और रमेश अपने घर आ गये और उनहोने अपने अपने कम पर लग गये। रमेश अब पुरि तरह से दुती करता और रत तो उशा को ननगी करके खूब चोदता था। गोविनदजी भि कभि कभि उशा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुच दिनो के बद उशा और रमेश सथ सथ उशा के मैके पर गये। ससुरल मे रमेश का बहुत अब-भगत हुअ। उशा के जितनेय रिशतेदर थे उन सभि ने रमेश और उशा को खने पर बुलया। रमेश और उशा को मज़े हि मज़े थे। अपने ससुरल पर भि रमेश उशा को रत को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभि मौका मिल गया तो दिन को उशा को बिसतर पर लेता कर चुदै चलु कर देता था। एक दिन रमेश पस के किसि दुकन परा गया हुअ था। उशा कमरे मे बैथ कर पपेर परह रही थी। एकैक उशा को अपनि मा, रजनि जी जी, कि रोने कि अवज़ सुनै दिया। उशा भग कर अनदर गयि तो देखा कि रजनि जी भगवनजी के फोतो समने खरि खरि रो रही है और भगवनजी से बोल रही है, “भगवन तुमने ये कया किया। तुम मेरे पति इतनी जलदी कयोन उथा लियी और अगर उनको उथा लिये तो मेरी बदन मे इतना गरमी कयोन भर दिया। अब मैं जब जब अपनि लरकि और दमद कि चुदै देखता हुन तो मेरि शरेर मे आग लग जती है। अब कया करून? कोइ रशता तुमही दिखला दो, मैं अपनि गरम शरेर से बहुत परेशन हो गया हून।” उशा समझ गयी कि कया बत है। वो झत अपनि मा के पस जकर मा को अपने बहोन मे भर लिया और पीचे से चुमते हुए बोलि, “मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे कयोन नही बोलि?” रजनि जी अपने आपको उशा से चुरते हुए बोलि, “मैं अगर तुझसे बता तो तु कया कर लेति? तुब हि तो मेरि तरह से एक औरत हि है?” “अरे मुझसे से कुच नही होता तो कया तुमहरा दमद तो है? तुमहरा दमद हि तुमको शनत करत” उशा अपनि मा को फिर से पकर कर छुमते हुए बोलि। “कया बोलि तु, अपने दमद से मैं अपनि जिसम कि भुख शनत करवौनगी? तेरा दिमग तो थिक है?” रजनि जी ने अपनि बेति उशा से बोलि। तब उशा अपने हथोन से अपनि मा कि चुनचेओन को पकर कर दबते हुए बोलि, “इसमे कया हुअ? तुम जिसम कि भुख से मरि जा रहि हो, और तुमहरा दमद तुमहरि जिसम कि भुक को मिता सकता है, अगर तुमहरे जगह मैं होति तो मैं अपने दमद के समने खुद लेत जति और उस्से कहती आओ मेरे पयरे दमदजी मेरे पस आओ और मेरि जिसम कि बुझओ।” “चल हत बरि चुद्दकर बन रहि है, मुझे तो एह सोच कर हि शरम आ रही है, कि मैं अपनि दमद के समने ननगी लेत कर अपनि तनग उथौनगी और वो मेरि चूत मे अपना लुनद पेलेग” रजनि जी मुर कर अपनि बेति कि चुनचेओन को मसलते हे बोलि।


तभि रमेश, जो कि बहर गया हुअ था, कमरे मे घुसा और घुसते घुसते हुए उसने अपनि बिवि और सस कि बतोन को सुन लिया। रमेश ने अगे बरह कर अपने सस के समने घुतने के बलबैथ गया और अपनि सस के चुतरोन को अपने हथोन से घेर कर पकरते हुए सस से बोला, “मा आप कयोन चिनता कर रही हैन, मैं हुन ना? मेरे रहते हुए अपको अपनि जिसम कि भुख कि चिनता नही करनी चहिए। अरे वो दमद हि बेकर का है जिसके होते हुए उसकि सस अपनि जिसम कि भुख से पगल हो जये।” “नही, नही, चोरो मुझे। मुझे बहुत शरम लग रही है” रजनि जी ने अपने आप को रमेश से चुरते हुए बोलि। तभि उशा ने आगे बरह कर अपनि मा कि चुनची को पकर कर मसलते हुए उशा अपनि मा से बोलि, “कयोन बेकर का शरम कर रहि हो मा। मन भि जओ अपने दमद कि बत और चुप चप जो होरहा उसे होने दो।” तब थोरि देर चुप रहने के बद रजनि जी अपनि बेति कि तरफ़ देख कर बोलि, “तीख है, जैसे तुम लोगो कि मरज़ी। लेकिन एक बत तुम दोनो कन होल कर सुन लो। मैं अपने दमद के समने बिलकुल ननगी नही हो पौनगी। आगे जैसा तुम लोग चहो।” इतना सुन कर रमेश मुसकुरा कर अपने सस से कह, “अरे ससुमा आप को कुच नही करमा है। जो कुच करमा मैं हि करुनगा, बस आप हुमरा सथ देति जये।”

फिर रमेश उथ कर खरा हो गया और अपनि सस को अपने दोनो बहोन मे जकर कर चुमने लगा। रजनि जी चुप चप अपने आप को अपने दमद के बहोन मे चोर कर खरी रही। थोरि देर तक अपने सस को चुमने के बद रमेश ने अपने हथोन से अपने सस कि चुनची पकर कर दबने लगा। अपने चुनचेओन पर दमद का हथ परते हि रजनि जी अमरि सुच के बिलबिला उथि और बोलने लगी, “और जोर से दबओ मेरि चुनसेओन को बहुत दिन हो गये किसि ने इस पर हथ नही लगया है। मुज़हे अपने दमद से चुनची मसलवने मे बहुत मज़ा मिल रहा है। और दबओ। आ बेति तुब हि आ मेरे पस और मेरे इन चुनचेओन से खेल।” अब रमेश फिर से अपने सस के पैरोन के पस बैथ गया और उनकि सरी के ऊपेर से हि उनकि चूत को चुमने लगा। रजनि जी अपने चूत के ओपेर अपने दमद के मुनह लगते हि बिलबिला उथि और जोर जोर से सनस लेने लगी। रमेश भि उनकि सरी के ओपेर से हि उनकि चूत को चुमता रहा। थोरि देर के बद रजनि जी से सहा नही गया और खुद हि अपने दमद से बोलि, “अरे अब कितना तरपओगे। तुमहे चूत मे उनगली या जीबन घुसनि है तो थीक तरिके से घुसओ। सरी के ओपेर से कया कर रहे हो?” अपनि सस कि बत सुन कर रमेश बोला, “मैं कया करता, आपने हि कह था आप सरी नही उतरनगे। इसिलिये मैं अपकि सरी के ओपेर से हि अपकि चूत चुम रहा हून।” “वो तो थीक है, लेकिन तुम मेरि सरी उथा कर तो मेरि चूत कि चुम्मा ले सकते हो?” रजनि जी ने अपने दमद से बोलि। अपनि सस कि बत सुनते हि रमेश जलदि से अपनि सस कि सरी को पैरोन के पस से पकर कर ओपेर उथना शुरु कर दिया और जैसे हि सरी रजनि जी कि जनघो तक उथ गया तो रजनि जी मरे शरम के अपना चेहेरा अपने हथोन से दख लिया और अपने दमद से बोलि, “अब बस भि करो, और कितना सरी उथओगे। अब मुझे शरम आ रही है। अब तुम अपना सर उनदर दल कर मेरि चूत को चुम लो।” लेकिन रमेश अपनि सस कि बत को उनसुनि करते हुए रजनि जी कि सरी को उनके कमर तक उथा दिया और उनकि ननगी चूत पर अपना मुनह लगा कर चूत को चुम लिया। थोरि देर तक रजनि जी कि ननगी चूत को चुम कर रमेश अपनि सस कि चूत को गौर से देखने लगा और अपने उनगलेओन से उनकि चूत कि पत्तिओन और सलित से खेलने लगा। रमेश कि हरकतोन से रजनि जी गरमा गयी और उनकि सनस जोर जोर से अने लगि।

अपनि मा कि हलत देख कर उशा अगे बरह कर अपनि मा कि चुनसेओन से खेलने लगी और धिरे धिरे उनकि बलौसे के बुत्तोन खोलने लगी। रजन ने अपने हथोन से अपने बलौसे को पकरते हुए अपने बेति से पुचने लगी, “कया कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है। चोर दे बेति मुझको।“ उशा अपनि कम जरी रखते हुए अपनि मा से बोलि, “अरे मा, जब तुम अपने दमद का मुसत अपने चूत मे पिलवने जा रही हो तो फिर अब शरम कैसा? खोल दे अपने इन कपरोन को और पुरि तरफ़ से ननगी हो कर मेरे पति के लुनद का सुच अपने चूत से लो। चोरो मुझको तुमहरि कपरे खोलने दो।” इतना कह कर उशा ने अपनि कि बलौसे, बरा, सरी और फिर उनकि पेत्तिसोअत भि उतर दिया। अब रजनि जी अपने दमद के समने बिलकुल ननगी खरी थी। रमेश अपने ननगी सस को देखते हि उन पर तुत परा और एक हथ से उनकि चिनचेओन को मलता रहा और दुसरे हथ से उनकि चूत को मसलता रहा। रजनि जी भि गरम हो कर अपने दमद का कुरता और पैज़मा उतर दिया। फिर झुक कर अपने दमद का उनदेरवेअर भि उतर दिया। अबस अस और दमद दोनो एक दुसरे के समने ननगे खरे थे।

जिअसे हि रजनि जी ने रमेश का मोता मसत लुनद को देखी, रजनि जी अपने आप को रोक नही पैए और झुक कर उस मसत लुनद अपने मुनह मे भर कर चुसने लगि। उशा भि चुपचप खरि नही थी। वो अपनि मा के चुतर के तरफ़ बैथ कर उसकि चूत से अपना मुनह लगा दिया और अपनि मा कि चूत को चुसने लगि। रजनि जी अपने दमद का मोता लुनद अपने मुनह मे भर कर चुसने लगी और कभि कभि उसको अपने जीव से चतने लगी। लुनद को चत्ते चत्ते हुए रजनि जी ने अपने दमद से बोलि, “है! रमेश, तुमहरा लुनद तो बहुत मोता और लुमबा है। पता नही उशा पहली बर कैसे इसको अपनि चूत मे लिया होगा। चूत तो बिलकुल फत गयी होगी? मेअर तो मुनह दरद होने लगा इतना मोता लुनद चुसते चुसते। वैसे मुझे पता था कि तुमहरा लुनद इतना शनदर है” “कैसे?” रमेश ने अपने सस कि चुनचेओन को दबते हुए पुचा। तब रजनि जी बोलि, “कैसे कया? तुम जब मेरे घर मे अपने शदि के बद अये थे और रोज दोपहर और रत को उशा को ननगी करके चोदते थे तो मैं खिरकी से झनका करता था और तुमहरी चुदै देखा करता था। उनि दिनो से मैं जनता था कि तुमहरा लुनद कि सिज़े कया है और तुम कैसे चूत चते हो और चोदते हो।” तब रमेश ने अपने सस कि चुनचेओन को मसलते हुए पुचा, “कया माजी, अपके पति यने मेरे ससुरजी का लुनद इतना मोता और लुमबा नही था?” “नही, उशा के पपा का लुनद इतना मोता और लुमबा नही था, और उनमे सेक्स कि भवना बहुत हि कम था। इसलिया वो मुझको हफ़ते मे केबल एक-दो बर हि चोदते थे” रजनि जी ने बोलि।
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RE: उशा की कहानी सेक्स कहानियां - by SexStories - 08-04-2016, 03:56 PM

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