मेरी डायरी के कुछ पन्ने सेक्स कहानियाँ
#6
दीदी की बात सुनकर मै फिर गरम हो रहा था और मेरा लंड तनने लगा था जिसे बड़े प्यार से दीदी सहला रही थी | वो बोली – एक बात है तुम बड़े जबरदस्त चोदु निकलोगे , मै तो सपने में भी नहीं सोंच सकती थी कि एक किशोर से लड़के का इतना बड़ा हथियार भी हो सकता है , एक ही बार में तुने मेरी बुर का हर अनछुआ कोना –कोना रगड़ दिया |
मैं बोला - दीदी मैं भी हैरान हूँ कि आपकी चूत मेरा सारा लंड गटक कैसे गयी , क्या जीजाजी का भी इतना ही बड़ा है ?
दीदी - नहीं रे ! उनका तो तुमसे थोडा छोटा ही है लेकिन तेरा उनसे दूना मोटा है , देख मै तेरा तो अपनी पूरी मुठ्ठी में भी नहीं पकड़ पा रही हूँ और मेरे देवर का तो तेरे सामने पिद्दी सा है , वो लंड भी दो साल से नसीब नहीं हुआ , दो साल से मेरा देवर भी काम के सिलसिले में बाहर रहता है अपनी बीबी के साथ , साला अब मुझे याद भी नहीं करता है , पिछली दिवाली में घर आया था , मैंने अपनी बुर को चिकना करके रखा था कि रात में किसी न किसी समय आकर मेरी बुर जरूर चोदेगा ,मै साड़ी रात अपनी बुर सहलाती रही परन्तु वो साला , बहनचोद , बीबी का गुलाम नहीं आया फिर मैंने अपनी उँगलियों से रगड़ कर ही अपनी बुर कि खुजली शांत क़ी |
मैं - दीदी आश्चर्य है क़ी लगभग साल भर से आपकी बुर चूड़ी नहीं है फिर भी आपने इतनी आसानी से मेरा पूरा लौड़ा ले लिया
दीदी - हंसते हुए ..ये सब बैगन और मूलियों का कमाल है |
घर में जब कभी मोटा बैगन , मूली या खीरा दीखता है तो मै जरूर उसे अपनी चूत में ले लेती हूँ |
दीदी की बातें सुनकर मेरा लंड फुफकारने लगा और मै दीदी के ऊपर चढ़ गया , दीदी ने भी अपनी पैरों को फैलाकर अडजस्ट किया और मेरा लंड पकरकर अपने हांथो से बुर के छेद पर भिड़ा दिया और मुझे छोड़ने केलिए बोली | मैंने जोर से ठाप मारते हुए अपना लंड दीदी की बुर में चांपा | दीदी आ ..आ ..ह .ह .ह करते हुए कराही फिर मैंने उनकी एक चूंची को अपनी हथेली में भरकर मसलने लगा और दूसरी चूंची को मुंह में भरकर चुभलाने लगा और जब मैं उनके निप्पलस को चुभलाते हुए दांतों से हलके से काटता साथ ही नीचे से जोर का ठाप मरता तो वो सिसकते हुए प्यारी झिडकी देती – इ.इ इ.....श श श .....धी .रे ..ब..ह..न …चो ..द. धी ..रे .. अपनी ..बहन .. को इतनी ..बे ..द अ .र .दी से .. ना ..चो …द …में ..री…फ ..ट…जा ..आ ..इ ...गी … मैंने भी दीदी को गालियाँ निकालना शुरू किया ..साली …. बुरमरानी…अपनी बूर तो पहले ही बैगन से फा ..ड़..चुकी है और ..भाई का लंड लेते हुए नखड़ा करती है ..रंडी ..आज तो मै तेरी बूर का कचूमर निकालकर ही दम लूंगा आ .आ …गालियाँ सुनकर दीदी काफी उत्तेजित होगयी और मेरी पीठ को अपने बांहों के घेरे में कस लिया और नीचे से चुतर उठा उठा कर मेरे करारे धक्को के साथ समन्वय बिठाने लगी फिर उनका शरीर अकड़ने लगा और वो झड गयी लेकिन मै अभी झडा नहीं था , झड़ता भी कैसे अभी थोड़ी देर पहले तो मैंने अपना पूरा माल उनकी चूत में निकाला था
इसलिए उसी रफ़्तार में उन्हें चोदता रहा |दीदी के झड़ने के कारण उनकी बूर काफी गीली हो गयी थी इसलिए मेरा लंड बिना किसी अवरोध के बुर के आख़िरी हिस्से तक चला जा रहा था और तब सुपाडे पर जो दबाब बन रहा था वो आनंद की चरम सीमा थी | कुछ ही देर में दीदी फिर गरम होकर अपना चुतर उछालने लगी थी और थोड़े पलों में ही फिर उनका शरीर अकड़ने लगा , मुझे लगा जैसे वो फिर झड रही है | चूँकि मै भी झड़ने को बेताब था इसलिए मै लगातार धकाधक पेले जा रहा था और वो लगातार अस्फुट शब्दों में बडबडबडाये जा रही थी ,उनकी आंखे बंद थी और मै उनके होंटो और गालों को चुसे जा रहा था ,वो थोड़ी देर मेरा साथ देती और फिर शांत हो जाती | फिर मेरा शरीर भी तनने लगा और मै झड़ने लगा ,मैंने अनुमान लगाया की मेरे झाड़ते –झाड़ते दीदी कम से कम 6/7 बार आ चुकी थी | फिर मै उनके शरीर से उतारकर चित्त लेटकर गहरी साँसे लेने लगा और दीदी अपने सूखे होंटो पर जीभ फेर रही थी फिर वो बिस्तर से उठी तो मैंने पूछा क्या हुआ ? वो बोली – पानी पीने जा रही हूँ | वो पानी पीकर कब लौटी मुझे पता नहीं चला क्योंकि मैं सो चुका था |
मेरी नींद खुली तो मैंने अपने लंड पर दबाब महसूस किया | सुबह के 4:30 बज रहे थे और दीदी मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड पर उछल -उछलकर मुझे चोद रही थी | मैंने दोनों हाथ बढ़ाकर उनकी ऊपर नीचे होती गदराई चूंचियों को अपनी हथेली में भरकर मसलना शुरू कर दिया , बड़ा मजा आ रहा था , मुझे पहली बार महसूस हुआ की नीचे लेटने का आनंद क्या है | फिर दीदी थक कर , चोदना बंद करके आगे झुक कर अपनी चुचकों को बरी -बारी से मेरे मुंह में देने लगी जिसे मै चुभलाने लगा और अपने कार्यमुक्त हाथों को दीदी के चूतरों पर जमाकर उँगलियों से उनके गांड के छेद को कुरेदना शुरू कर दिया और नीचे से अपने कमर को उठा -उठा कर दीदी को चोदना चालु कर दिया | बीच -बीच में अपनी एक ऊँगली दीदी के गांड के छेद में पेल देता तो वो चिहुंक कर सिसक उठती … बड़ा मजा आ रहा था कि तभी बाहर से आवाज आयी - रागनी !! सुबह होने वाली है , खेतों में नही जाना है क्या , सारी रात भाई से चुदाते ही रहेगी क्या ??( औरतों का हुजूम खेतों में टट्टी के लिए उजाला फैलने से पहले जा रहा था ) मै घबराया कि इनलोगों को कैसे पता चला कि दीदी मेरे से चुद रही है , फिर ध्यान आया कि वो लोग भाभियाँ है और दीदी को मजाक में गालियाँ देने के लिए एसा बोल रही है | दीदी भी आवाज सुनते ही झट से कूदकर मेरे ऊपर से उतर गयी | मेरा लंड फ ..क .. कि आवाज के साथ दीदी के बुर से निकला और स्प्रिंग कि तरह उछलकर खडा होकर हवा में लहराने लगा | दीदी बिस्तर के बगल में खड़ी होकर अपना कपड़ा ठीक करने लगी और मुझे लंड ढकने का इशारा करने लगी | बड़ी मुश्किल से अपने खड़े लंड को दबाकर अपने पैंट में ठुंसा तब दीदी दरवाजा खोलकर उन औरतों के साथ बाहर चली गयी |
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