[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं एक शानदार शरीर का मालिक हूँ. बचपन से ही बॉडी बिल्डिंग और जुडो कराटे में रूचि होने के कारण हमेशा से ही बहुत सी लड़कियों की नज़रों में चढ़ा रहा हूँ. आज कल इंजीनियरिंग कोचिंग का मालिक होने के कारण तो मेरे आस पास बहार छाई रहती है. यदि आपको नहीं पता तो बता दूं कि ५२ इंजीनियरिंग कॉलेज होने के कारण भोपाल बहुत ही हॉट है. आप फैशन देख देख कर के पागल हो जायेंगे और इंजीनियरिंग हॉस्टल की लड़कियों का तो कहना ही क्या. जवानी, आजादी, पैसा और कांफिडेंस तो इनमें कूट कूट कर भरा है.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसे ही तीन लड़कियों का ग्रुप मेरी कोचिंग में आया, और इंजीनियरिंग कोर्सेस के बारे में जानकारी लेने लगा. अपने चैंबर से मैंने उन्हें देखा तो एक शक्ल कुछ जानी पहचानी लगी. अपनी रिसेप्शनिस्ट (वो भी बड़ी सेक्सी है, उसकी कहानी फिर कभी) को इंटरकॉम पर बोला तो उसने उन्हें मेरे पास भेज दिया.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक लड़की मुझे देखते ही चौंक गयी- अरे सर आप ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]३ दिन पहले ही मैंने उसे स्कूटी से गिर पड़ने के कारण अपनी कार से उसके हॉस्टल छोड़ा था, और उसकी स्कूटी मेरा ड्राईवर लेकर आया था. उस वक़्त उसने मेरा कार्ड ले लिया था.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उन्हें बैठने को कहा और उससे उसकी तबियत पूछी, उसने कहा कुछ नहीं हुआ, आपकी वजह से मैं उस दिन बच गयी नहीं तो मैं तो शायद बेहोश ही हो गयी थी,[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने अपना नाम बताया, नताशा और उसकी दोनों सहेलियां थी सिमरन, और पल्लवी.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तीनो इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी, और कोर्स करना चाहती थी.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]नए बैच में तीनो ने एडमिशन ले लिया. (डिटेल मैं जानबूझ कर छुपा रहा हूँ, और नाम भी दूसरे बता रहा हूँ, क्योंकि डिग्निटी भी कोई चीज़ है, और मैं अपने किसी दोस्त का नुकसान नहीं चाहता.)[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पढाते पढाते मैं कई दिनों तक देखता रहा कि नताशा एकटक मुझे देखती रहती है, अच्छे और अंग-प्रदर्शित कराने वाले कपडे पहनना, हंस कर बात करना, सट कर सवाल पूछना तो सभी लड़कियों की आदत है पर इसमें कुछ बात तो थी, मैं भी पुराना खिलाड़ी हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ दिन बाद जब वो अकेले कुछ पूछने मेरे चैंबर में आई तो मैंने कहा कि कुछ पढाई पर भी ध्यान देती हो या मेरी शकल ही देखती रहती हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने छूटते ही जवाब दिया सर आप की शकल ही।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने मुस्कुरा कर कहा- क्यों?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली- आप ऊपर से नीचे तक हो ही देखने लायक ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- तुम्हे कैसे पता?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो बोली- मुझे जिस दिन आपने मुझे गोद में उठा कर अपनी कार मैं बिठाया था, उसी दिन मैं आपके एक एक मस्सल को नाप चुकी हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसकी बेबाकी से मैं तो खिल उठा, मैंने कहा- दुबारा नापने के लिए फिर मत स्कूटी से गिर पड़ना ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो बोली- नहीं ! अब सीधे आप पर ही गिरूंगी ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मै कुछ कहता, इसके पहले ही बाकी स्टुडेंट आ गए और वो कुछ खुश कुछ प्यासी सी बाय कर के चली गयी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दो दिन तक आँखों ही आँखों में नैन-मटक्का और कुछ शिकायत, कुछ प्यार वो छलकाती रही, और शुक्रवार को अचानक वो बोली- सर पचमढ़ी का कुछ आईडिया है आपको?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने पूछा- क्यों?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली हम तीनों शनिवार, रविवार को पचमढ़ी घूमना चाहते हैं, सुना है बहुत सुंदर जगह है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- है तो, पहले नहीं घूमा क्या?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली नहीं- हम तो सब यहाँ के है ही नहीं! मैं पुणे की हूँ, सिमरन अमृतसर की और पल्लवी लखनऊ की, आप बताइए कैसी जगह है?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा है- तो अच्छी लेकिन हनीमून के लिए ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो बोली- तो फिर आप भी चलिए![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरी तो निकल पड़ी, मैंने कहा- चलूँगा तो लेकिन फिर हनीमून मनाना पड़ेगा सोच लो ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली- आप चलिए तो सही ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]प्रोग्राम तय हुआ, मैं और मेरा पार्टनर सनी दोनों और वो तीनों मेरी कार से निकल पड़े शनिवार की सुबह।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]सनी को तो मैंने कार चलने पर लगा दिया और पल्लवी भी आगे बैठ गयी वो सबसे शर्मीली लड़की थी। मैं नताशा और सिमरन पीछे बैठ गए, नताशा ने जिद करके मुझे बीच में बिठा दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दोनों ही मस्त ५ फीट ५ इंच के ऊपर लम्बाई की थी और तीनों के बूब्स बिलकुल तने हुए थे, ऊपर से स्किन टाइट जींस पहन रखी थी। नताशा और पल्लवी ने। जबकि सिमरन स्कर्ट पहने थी पिंक रंग का।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]सिमरन और कैटरिना कैफ में शायद १८-२० का फर्क होगा और सिमरन कैटरिना से दो कदम आगे ही थी, फिगर रंग और बूब्स में। घुटनों तक लम्बे बाल और चिकनी चमकती स्किन, प्राकृतिक गुलाबी होंठ और गाल।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]नताशा जो कि एक आर्मी ऑफिसर की बेटी थी, सांवली लम्बी और बिलकुल तराशे हुए बदन की मालकिन, लेकिन उसके बूब्स और रोम रोम बिलकुल अलग से खिले हुए थे साथ ही उसकी बेबाक बातचीत किसी तो भी गरमाने के लिए काफी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जबकि पल्लवी एक बिलकुल मासूम सी शक्ल की कश्मीरी टाइप की लड़की थी, लम्बाई करीब पांच फ़ीट ३ इन्च, जबकि शरीर भरा हुआ लेकिन कमर तो शायद थी ही नहीं, उसके गाल इतने गुलाबी थे जैसे शरमाने पर गोरी लड़कियों के हो जाते हैं, लेकिन उसकी आँखें बताती थी कि उसने दुनिया में कुछ देखा ही नहीं है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जबकि नताशा की आँखें और बातें साफ़ बता देती थी की उसने दुनिया का पूरा मजा लूटा है और आगे भी लूटना चाहती है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं दोनों के बीच मैं बैठा उनसे बातें शुरू कर चुका था, दोनों की जांघें मेरी जाँघों से सटी हुई थी और सिमरन और नताशा दोनों के बाल उड़ उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे, धीरे धीरे मैंने नताशा की जाँघों पर अपनी जांघें रगड़ना शुरू किया और वो भी मुस्कुराने लगी। माहौल तो मैं समझ ही चुका था, तीन जवान लड़कियां २ दिन एक रात वो भी दो जवान अंजान लड़कों के साथ बिना किसी जान पहचान के, नताशा का खेल तो पक्का था, अब मेरा ध्यान सिमरन और पल्लवी पर भी था, साथ ही मुझे अपने दोस्त सनी को भी ऐश करवानी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसलिए मैं संभल कर खेलना चाहता था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसे ही तीन लड़कियों का ग्रुप मेरी कोचिंग में आया, और इंजीनियरिंग कोर्सेस के बारे में जानकारी लेने लगा. अपने चैंबर से मैंने उन्हें देखा तो एक शक्ल कुछ जानी पहचानी लगी. अपनी रिसेप्शनिस्ट (वो भी बड़ी सेक्सी है, उसकी कहानी फिर कभी) को इंटरकॉम पर बोला तो उसने उन्हें मेरे पास भेज दिया.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक लड़की मुझे देखते ही चौंक गयी- अरे सर आप ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]३ दिन पहले ही मैंने उसे स्कूटी से गिर पड़ने के कारण अपनी कार से उसके हॉस्टल छोड़ा था, और उसकी स्कूटी मेरा ड्राईवर लेकर आया था. उस वक़्त उसने मेरा कार्ड ले लिया था.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उन्हें बैठने को कहा और उससे उसकी तबियत पूछी, उसने कहा कुछ नहीं हुआ, आपकी वजह से मैं उस दिन बच गयी नहीं तो मैं तो शायद बेहोश ही हो गयी थी,[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने अपना नाम बताया, नताशा और उसकी दोनों सहेलियां थी सिमरन, और पल्लवी.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तीनो इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी, और कोर्स करना चाहती थी.[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]नए बैच में तीनो ने एडमिशन ले लिया. (डिटेल मैं जानबूझ कर छुपा रहा हूँ, और नाम भी दूसरे बता रहा हूँ, क्योंकि डिग्निटी भी कोई चीज़ है, और मैं अपने किसी दोस्त का नुकसान नहीं चाहता.)[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पढाते पढाते मैं कई दिनों तक देखता रहा कि नताशा एकटक मुझे देखती रहती है, अच्छे और अंग-प्रदर्शित कराने वाले कपडे पहनना, हंस कर बात करना, सट कर सवाल पूछना तो सभी लड़कियों की आदत है पर इसमें कुछ बात तो थी, मैं भी पुराना खिलाड़ी हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ दिन बाद जब वो अकेले कुछ पूछने मेरे चैंबर में आई तो मैंने कहा कि कुछ पढाई पर भी ध्यान देती हो या मेरी शकल ही देखती रहती हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने छूटते ही जवाब दिया सर आप की शकल ही।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने मुस्कुरा कर कहा- क्यों?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली- आप ऊपर से नीचे तक हो ही देखने लायक ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- तुम्हे कैसे पता?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो बोली- मुझे जिस दिन आपने मुझे गोद में उठा कर अपनी कार मैं बिठाया था, उसी दिन मैं आपके एक एक मस्सल को नाप चुकी हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसकी बेबाकी से मैं तो खिल उठा, मैंने कहा- दुबारा नापने के लिए फिर मत स्कूटी से गिर पड़ना ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो बोली- नहीं ! अब सीधे आप पर ही गिरूंगी ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मै कुछ कहता, इसके पहले ही बाकी स्टुडेंट आ गए और वो कुछ खुश कुछ प्यासी सी बाय कर के चली गयी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दो दिन तक आँखों ही आँखों में नैन-मटक्का और कुछ शिकायत, कुछ प्यार वो छलकाती रही, और शुक्रवार को अचानक वो बोली- सर पचमढ़ी का कुछ आईडिया है आपको?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने पूछा- क्यों?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली हम तीनों शनिवार, रविवार को पचमढ़ी घूमना चाहते हैं, सुना है बहुत सुंदर जगह है ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- है तो, पहले नहीं घूमा क्या?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली नहीं- हम तो सब यहाँ के है ही नहीं! मैं पुणे की हूँ, सिमरन अमृतसर की और पल्लवी लखनऊ की, आप बताइए कैसी जगह है?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा है- तो अच्छी लेकिन हनीमून के लिए ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो बोली- तो फिर आप भी चलिए![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरी तो निकल पड़ी, मैंने कहा- चलूँगा तो लेकिन फिर हनीमून मनाना पड़ेगा सोच लो ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बोली- आप चलिए तो सही ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]प्रोग्राम तय हुआ, मैं और मेरा पार्टनर सनी दोनों और वो तीनों मेरी कार से निकल पड़े शनिवार की सुबह।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]सनी को तो मैंने कार चलने पर लगा दिया और पल्लवी भी आगे बैठ गयी वो सबसे शर्मीली लड़की थी। मैं नताशा और सिमरन पीछे बैठ गए, नताशा ने जिद करके मुझे बीच में बिठा दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दोनों ही मस्त ५ फीट ५ इंच के ऊपर लम्बाई की थी और तीनों के बूब्स बिलकुल तने हुए थे, ऊपर से स्किन टाइट जींस पहन रखी थी। नताशा और पल्लवी ने। जबकि सिमरन स्कर्ट पहने थी पिंक रंग का।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]सिमरन और कैटरिना कैफ में शायद १८-२० का फर्क होगा और सिमरन कैटरिना से दो कदम आगे ही थी, फिगर रंग और बूब्स में। घुटनों तक लम्बे बाल और चिकनी चमकती स्किन, प्राकृतिक गुलाबी होंठ और गाल।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]नताशा जो कि एक आर्मी ऑफिसर की बेटी थी, सांवली लम्बी और बिलकुल तराशे हुए बदन की मालकिन, लेकिन उसके बूब्स और रोम रोम बिलकुल अलग से खिले हुए थे साथ ही उसकी बेबाक बातचीत किसी तो भी गरमाने के लिए काफी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जबकि पल्लवी एक बिलकुल मासूम सी शक्ल की कश्मीरी टाइप की लड़की थी, लम्बाई करीब पांच फ़ीट ३ इन्च, जबकि शरीर भरा हुआ लेकिन कमर तो शायद थी ही नहीं, उसके गाल इतने गुलाबी थे जैसे शरमाने पर गोरी लड़कियों के हो जाते हैं, लेकिन उसकी आँखें बताती थी कि उसने दुनिया में कुछ देखा ही नहीं है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जबकि नताशा की आँखें और बातें साफ़ बता देती थी की उसने दुनिया का पूरा मजा लूटा है और आगे भी लूटना चाहती है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं दोनों के बीच मैं बैठा उनसे बातें शुरू कर चुका था, दोनों की जांघें मेरी जाँघों से सटी हुई थी और सिमरन और नताशा दोनों के बाल उड़ उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे, धीरे धीरे मैंने नताशा की जाँघों पर अपनी जांघें रगड़ना शुरू किया और वो भी मुस्कुराने लगी। माहौल तो मैं समझ ही चुका था, तीन जवान लड़कियां २ दिन एक रात वो भी दो जवान अंजान लड़कों के साथ बिना किसी जान पहचान के, नताशा का खेल तो पक्का था, अब मेरा ध्यान सिमरन और पल्लवी पर भी था, साथ ही मुझे अपने दोस्त सनी को भी ऐश करवानी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसलिए मैं संभल कर खेलना चाहता था।[/font]