[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरी यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी का आधार एक औरत पर है जिससे मैंने एक चैट-साइट पर कई बार बात की। उसके साथ कई बार चैट-रुम में चुदाई भी की। मैं उसको माँ बुलाता हूँ और वह मुझको बेटा।। हम दोनों अलग अलग शहर में रहते है और कभी भी मिले नहीं हैं। मेरा नाम दीपक है और मैं 26 साल का हूँ । मेरे लन्ड का आकार 8 इंच है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसका नाम रीमा है। उसने जो मुझको बताया उसके अनुसार वह एक तलाकशुदा औरत है। उसकी उमर 48 साल की है और उसकी फ़िगर 38 डी 30 42 है और वह दिल्ली में रहती है। रीमा को कम उमर के लड़कों से चुदाने में बड़ा मजा आता है। उसकी एक नौकरानी भी है जो 20 साल की है। वह सेक्स में उसका साथ देती है। उसको जवान लौन्डों की कोई कमी नहीं है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह जिस ऑफ़िस में काम करती है उसके बॉस के साथ उसके संबन्ध हैं। उसका बॉस शादीशुदा है और कोई 26 साल की उमर का है। वह अपने बॉस के साथ बहुत टूर पर जाती रहती और टूर पर वह अपने बॉस और कलाईन्ट के साथ चुदाई के मजे लेती है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]चैट-साईट पर हम लोगों में चुदाई की बातें होने लगी। मैंने उसको बताया कि मुझे बड़ी उमर की औरतें बहुत पसन्द हैं। उसने मेरे से पूछा कि मैं किस बड़ी उमर की औरत के बारे में सोच कर हस्तमैथुन करता हूँ ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैने कहा- अपनी माँ के बारे में ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने पूछा कि मेरी माँ का नाम क्या है और वह कैसी दिखती है तो मैंने बताया कि मेरी माँ का नाम निर्मला है और उसका रंग गोरा है, उसके नयन-नक्श बहुत ही तीखे हैं, उसकी फिगर 36 सी 30 40 है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर हमने इस बारे में बहुत सारी बातें की जो आपको आगे पता चलेंगी। वो मुझसे चैट करके बहुत मजा लेती थी। मुझे भी उसके साथ बड़ा मजा आता था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक दिन उसने मुझसे कहा कि वह सचमुच में मुझसे चुदाना चाहती है। पर मैं मुम्बई में रहता हूँ और उसका बॉस का मुम्बई में कोई टूर नहीं होता, जिसकी वजह से हम लोग कभी भी मिल नहीं पाये थे। पर हम दोनों ने अपने फोन नम्बर और घर का पता एक दूसरे को बता दिया था और एक दूसरे को कार्ड भी भेजते थे और हम चैट-रुम में ही चुदाई का मजा लेते थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर एक दिन जब हम चैट कर रहे थे तो वह बोली कि उसका बॉस मुम्बई में एक नई शाखा खोलने की सोच रहा है और इसके लिये वे टूर पर मुम्बई आ रहे हैं। और उसने अपने बॉस से बात की कि वह टूर समाप्त होने के बाद चार दिन के लिये मुम्बई में अकेले रुकना चाहती है होटल में, कम्पनी के खर्चे पर। उसका बॉस इस बात के लिये राजी हो गया है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं तो यह खबर सुन कर बहुत खुश हुआ क्योंकि अब हम वह सब कर सकते थे जो कि हमने करने की चैट-रूम में बात की थी। उसने कहा कि वह ताज होटल में रुकने वाली है और उसका कमरा नम्बर वह बाद में मुझको फोन पर बतायेगी। उसने कहा कि वह 4 फरवरी को मुम्बई आ रही है और 8 फरवरी को मुझको फोन करेगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पर 4 तारीख को उसका फोन आया कि वह मुम्बई पहुँच गई है और बाद में मुझ को फोन करेगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसको कहा- मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करूँगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पर 8 तारीख को उसका फोन नहीं आया। मैंने सोचा कि शायद काम पूरा नहीं हुआ होगा। लेकिन फिर 9 और 10 तारीख को भी उसका फोन नहीं आया अब तो मैं बहुत ही उतावला हो रहा था । सोचने लगा कि कहीं वह मजाक तो नहीं कर रही थी। पर मैं कर भी क्या सकता था उसके फोन के इंतजार के अलावा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर अगले दिन बुधवार था दोपहर को करीब एक बजे रीमा का फोन आया उसकी अवाज सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने पूछा- तुमने फोन क्यों नहीं किया ? मैं तो सोच रहा था कि तुम फोन ही नहीं करोगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा कि ब्रान्च खोलने के बात पक्की हो गई है इसलिये वह, उसका बॉस और यहाँ का मैनेजर मिल कर दो दिन से मौज कर रहे थे। दोनों ने मिल कर उसको दो दिन तक बहुत जम कर चोदा था। इसलिये दो दिन वह फोन नहीं कर पाई आज सुबह ही उसका बॉस वापस दिल्ली गया है और वह सुबह से आराम कर रही थी जिससे कि मेरे साथ पूरी तरह से मजा ले सके। लेकिन उसको पहले से ही पता था कि वह मुझको 11 तारीख से पहले फोन नहीं कर पायेगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैने पूछा- फिर तुमने बताया क्यों नहीं?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा बोली- मैं तुमको कुछ देर तड़पाना चाहती थी। मुझको जवान लड़कों को तड़पाने में बड़ा मजा आता है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने पूछा- अब तो बताओ कि तुम्हारा रूम नम्बर क्या है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा बोली- मुझ से मिलने के लिये तड़प रहे हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ठीक है, बता देती हूँ तुमको ! तुम भी क्या याद करोगे। मेरा रूम नंम्बर 514 है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है, मैं अभी वहाँ पहुँच रहा हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा कि वह भी बड़ी बेसबरी से मेरा इंतजार कर रही है और जैसे हो, वैसे ही चले आओ क्योंकि वैसे भी इन चार दिनों में मैं तुमको कोई कपड़े तो पहनने दूंगी नहीं। बस अब चले आओ दौड़ कर अपनी माँ के पास।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है माँ, आता हूँ अभी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा बोली- मैंने अपने कमरे के बाहर "डू नॉट डिस्टर्ब" का साईन लगा दिया है जिससे कि जब घंटी बजेगी तो मैं समझ जाऊँगी कि तुम हो।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मैंने फोन रख दिया और अपने बॉस के पास गया। मैंने छुट्टी के लिये पहले से ही बोल रखा था इसलिये कोई परेशानी नहीं हुई। नहीं तो जिस तरह की मेरी बॉस थी छुट्टी मिलना बिल्कुल ही नामुमकिन था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर जल्दी से मैं टैक्सी पकड़ कर होटल पहुँच गया। मेरा दिल धक धक कर रहा था। मैं आज तक कुवाँरा था आज मेरे इस कुंवारे लंड को चुदाई-चुसाई का मजा मिलने वाला था। फिर मैं लिफ़्ट से पाँचवे माले पर गया जहाँ पर रीमा का कमरा था। जैसे ही मैं गलियारे से निकल कर रीमा के कमरे की तरफ़ जा रहा था तो दीवार पर लगे साईन को देख कर मैं समझ गया कि उसका कमर होटल के आलीशान रूम में से एक था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]थोड़ी देर में मैं कमरे तक पहुँच गया, मैंने धड़कते हुये दिल से घण्टी बजाई।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अन्दर से रीमा की आवाज आई- आ रही हूँ दीपक बेटा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ पल बाद कमरे का दरवाजा खुला। और मेरे सामने रीमा खड़ी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं अभी उसे ठीक से देख भी नहीं पाया था कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया। और एक झटके के साथ दरवाजा बन्द कर दिया। मैं उसकी इस हरकत से एक दम सकपका गया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा- अगर मैं तुमको इस तरह से अन्दर नहीं खींचती तो तुम बाहर खड़े खड़े ही मुझ देखते रहते जो कि मैं नहीं चाहती थी। तुमको मुझको देखना हे तो लो मैं तुम्हारे सामने खड़ी हो जाती हूँ, जी भर के देख लो।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसा कह कर वह मेरे सामने अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ी हो गई। खड़ी होने से पहले उसने अपनी साड़ी का पल्लू उतार कर अपनी कमर से नीचे गिरा दिया। यह सब इतनी ज्लदी में हुआ था कि मुझे उसको देखने का मौका भी नहीं मिला था। अब वह मेरे सामने थी और मैं जी भर कर उसको देख सकता था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मैंने अपनी नजर उस पर गड़ा दी। उसका रंग गोरा था। उसने अपनी उमर मुझको 48 साल बताई थी पर वो अपनी उमर से करीब दस साल छोटी दिखती थी। उसकी आँखे बड़ी-बड़ी थी जिनमें वासना भरी हुई थी। उसके होंठ बड़े-बड़े थे। जैसे कि अभिनेत्री सुमन रंगनाथन के हैं। मुझे इस तरह के होंठ बहुत ही पसन्द हैं। उस पर उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। जो उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रही थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसके चेहरे पर एक आमत्रंण का भाव था, जैसे कह रही हो- आओ और चूम लो मेरे होठों को।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मेरी नजर उसके बदन पर गई, बड़ा ही भरपूर बदन था उसका। उसका गदराया बदन देख कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही उछलने लगा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसका ब्लाऊज़ स्लीवलेस था। और उसमें काफ़ी गहरा कट था जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े मम्मे आधे से ज्यादा ब्लाउज़ से बाहर झाँक रहे थे। रीमा ने शायद बहुत ही टाईट ब्लाउज़ पहन रखा था क्योंकि उसके मम्मों की दोनों बड़ी बड़ी गोलाईयाँ आपस में चिपक गई थी। और एक गहरा कट बना रही थी। जो कि बड़ा ही सेक्सी लग रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इस नजारे को देख कर मैं उत्तेजना से पागल हो रहा था। मेरे लंड का उभार मेरी पैन्ट से साफ़ दिखाई दे रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मेरी नजर उसके पेट पर गई। उसने साड़ी अपनी नाभि के काफ़ी नीचे पहनी थी। जिससे उसकी गहरी नाभि साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी नाभि की गहराई देख कर मेरा मन उसको चूम लेने का हुआ। फिर मैं थोड़ी देर तक उसको ऐसे ही निहारता रहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ देर बाद रीमा ने कहा- क्या हुआ बेटे? कैसी लगी तुमको अपनी माँ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- बहुत ही अच्छी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा- वो तो तुम्हारे पैन्ट में उभरते तुम्हारे लंड को देख कर पता चल रहा है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं उसको देख कर इतना गर्म हो गया था कि मेरा गला सूखने लगा और मुझ को प्यास लगने लगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा मेरे को देख कर शायद समझ गई कि मेरे को प्यास लगी है, बोली- पानी चाहिये बेटा?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]" ठीक है अभी लाती हूँ " कह कर उसने अपनी साड़ी का आँचल उठा कर पेटीकोट में ठूंस लिया और पलट कर पानी लेने चल दी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जैसे ही वह पलटी, सबसे पहले मेरी नजर उसके भारी भरकम चूतड़ों पर गई। औरत के चूतड़ मेरा सबसे पसन्दीदा अंग है। और रीमा के चूतड़ तो बहुत ही बड़े थे। उसने ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन रखी थी, जिसकी वजह से जब वह चल रही थी तो उसके चूतड़ बहुत ही मस्ताने ठंग से मटक रहे थे जैसे किसी फैशन शो में मॉडल अपने चूतड़ों को मटका के चलती है वैसे ही।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक तो उसको आगे से देख कर ही मेरा बुरा हाल था, अब तो मैंने उसको पीछे से भी देख लिया था, मेरा लंड तो बिल्कुल ही आपे से बाहर हो गया। वो भी शायद जानती थी कि उसके चूतड़ों का मुझ पर क्या असर होगा क्योंकि मैं उसको बता चुका था कि भारी चूतड़ मुझ को कितने पसन्द हैं। इसलिये मेज तक जाने में, जहाँ पर पानी का जग रखा था, उसने बहुत देर लगाई जिससे मैं जी भर कर उसके चूतड़ और उनका मटकना देख सकूं।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर उसने जग उठाया और मेरी तरफ़ देखते हुये उसने गिलास में पानी भरना शुरू किया। वह मुझ को देख कर मस्ती भरी नजरों से मुस्कुरा रही थी। पानी भरकर वह मेरी तरफ़ चल दी। उसके मस्त बदन ने मेरे उपर ऐसा असर किया था कि मैं अभी तक दरवाजे पर ही खड़ा था। उसने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे थे और जिस तरह से वह चूतड़ मटका के चल रही थी उसकी वजह से उसके बड़े बड़े मम्मे उसके कसे ब्लाउज़ में फंसे हुए जोर जोर से उछल रहे थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने पूरी तरह से मुझको अपने अधेड़ उम्र के हुस्न के जाल में फंसा लिया था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]लो ! पानी पी लो ! कह कर उसने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया। मैं पानी पीने लगा और पानी पी कर मैंने गिलास उसको दे दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"जो देखा पसन्द आया?"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं मुस्कुरा कर बोला- हाँ ! बहुत पसन्द आया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"फिर यहाँ क्यों खड़े हो ? चलो अन्दर बैठते हैं।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मैं उसके साथ चल दिया, अन्दर आकर मैं सोफ़े पर बैठ गया। अन्दर आने से पहले मैंने अपने जूते बाहर ही उतार दिये। रीमा भी मेरे पास आ कर बैठ गई।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला- माँ ! तुम बहुत सुन्दर हो। जैसा तुमने बताया था तो मैने सोचा था कि तुम सेक्सी हो पर तुम तो महा-सेक्सी हो माँ। मेरा लंड तो तुमको देखते ही खड़ा हो गया था माँ और अभी तक पूरी तरह टनटनाया हुआ है, देखो ! कैसे पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को तैयार है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]" फिर तुमने इसको पैन्ट के अन्दर रखा ही क्यों है पैन्ट उतार कर अपने प्यारे लंड को मुझको दिखाओ। लाओ मैं तुम्हारे कपड़े उतरने में तुम्हारी मदद करती हूँ।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- नहीं माँ ! मैं खुद ही उतार देता हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो वह बोली- हर माँ बचपन में अपने बेटे के कपड़े उतारती और पहनाती है। माँ ही होती है जो बेटे को कपड़े पहनना और उतारना सिखाती है। मुझे तो वो मौका आज ही मिला है तुम इस तरह से मुझसे यह मौका नहीं छीन सकते।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा की बात सुन कर मैं बोला- ठीक है माँ, तुम ठीक कह रही हो ! मैं इस तरह से तुम्हारा हक नहीं छीन सकता। मैं तैयार हूँ उतार दो मेरे कपड़े। आज से जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ और जब भी हम मिलेंगे, मेरे कपड़े तुम ही उतारोगी और तुम ही पहनओगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह सुन कर वह बहुत खुश हो गई और मेरे माथे पर चूम लिया जैसे एक माँ अपने बेटे को करती है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर वह मेरी कमीज के बटन खोलने लगी। उसके भरी पूरी गोरी बाँहे मुझको बहुत अच्छी लग रही थी। फिर उसने सारे बटन खोल दिये और बोली- बेटा खड़े हो जाओ जिससे मैं तुम्हारी कमीज उतार सकूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं खड़ा हो गया, रीमा भी मेरे साथ खड़ी हो गई और पीछे कर के मेरी कमीज उतार दी। मैंने नीचे बनियान पहन रखी थी। मेरी कमीज उतार कर रीमा मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी और बोली- तुम्हारी छाती कितनी चौड़ी है। तुम भी कोई कम हैडसम नहीं हो। तुम इतने सालों अपनी माँ से दूर रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी ये माँ तुमको कुछ प्यार भी नहीं कर पाई। चिन्ता मत करो अब तुम मेरे पास आ गये हो, अब मैं तुमको अपना सारा प्यार दूंगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसा कहते वक्त उसके आँखो में वासना भरी थी। ऐसा कह कर उसने मेरी बनियान भी उतार दी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बनियान उतरते वक्त उसने अपने हाथ ऊपर किये। उसने स्लीवलैस ब्लाउस पहन रखा था जिसकी वजह से उसकी काँख मुझको दिखाई दी। उसकी काँख के बाल काले और घने थे। मुझे काँख के बाल बहुत पसन्द हैं। उसकी काँख देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गई। बनियान उतार कर उसने कमरे के एक कोने मै फेंक दी। अब मेरी छाती पूरी नंगी हो गई और वो अपने गोरे गोरे हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे फिराने लगी। जिसकी वजह से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मेरे चुचूक कड़े हो गये।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर रीमा ने अपनी एक उँगली को अपने थूक से गीला करके मेरे बायें चुचूक पर फिरने लगी और उसका दूसरा हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे चल रहा था। वो अच्छी तरह से जानती थी कि किस तरह मर्द को मस्त किया जाता है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]थोड़ी देर इसी तरह से मेरी छाती पर हाथ फेरने के बाद उसने अपना मुँह मेरे चुचूक पर रख दिया और उसे अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। उसके ऐसा करने से मेरे मुँह से एकदम से एक आह निकल गई। इसका सीधा असर मेरे लंड पर हुआ, वो मस्ती में एक दम कड़ा हो गया। अब उसका मेरी पैन्ट में रहना बड़ा ही मुश्किल था ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसका नाम रीमा है। उसने जो मुझको बताया उसके अनुसार वह एक तलाकशुदा औरत है। उसकी उमर 48 साल की है और उसकी फ़िगर 38 डी 30 42 है और वह दिल्ली में रहती है। रीमा को कम उमर के लड़कों से चुदाने में बड़ा मजा आता है। उसकी एक नौकरानी भी है जो 20 साल की है। वह सेक्स में उसका साथ देती है। उसको जवान लौन्डों की कोई कमी नहीं है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह जिस ऑफ़िस में काम करती है उसके बॉस के साथ उसके संबन्ध हैं। उसका बॉस शादीशुदा है और कोई 26 साल की उमर का है। वह अपने बॉस के साथ बहुत टूर पर जाती रहती और टूर पर वह अपने बॉस और कलाईन्ट के साथ चुदाई के मजे लेती है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]चैट-साईट पर हम लोगों में चुदाई की बातें होने लगी। मैंने उसको बताया कि मुझे बड़ी उमर की औरतें बहुत पसन्द हैं। उसने मेरे से पूछा कि मैं किस बड़ी उमर की औरत के बारे में सोच कर हस्तमैथुन करता हूँ ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैने कहा- अपनी माँ के बारे में ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने पूछा कि मेरी माँ का नाम क्या है और वह कैसी दिखती है तो मैंने बताया कि मेरी माँ का नाम निर्मला है और उसका रंग गोरा है, उसके नयन-नक्श बहुत ही तीखे हैं, उसकी फिगर 36 सी 30 40 है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर हमने इस बारे में बहुत सारी बातें की जो आपको आगे पता चलेंगी। वो मुझसे चैट करके बहुत मजा लेती थी। मुझे भी उसके साथ बड़ा मजा आता था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक दिन उसने मुझसे कहा कि वह सचमुच में मुझसे चुदाना चाहती है। पर मैं मुम्बई में रहता हूँ और उसका बॉस का मुम्बई में कोई टूर नहीं होता, जिसकी वजह से हम लोग कभी भी मिल नहीं पाये थे। पर हम दोनों ने अपने फोन नम्बर और घर का पता एक दूसरे को बता दिया था और एक दूसरे को कार्ड भी भेजते थे और हम चैट-रुम में ही चुदाई का मजा लेते थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर एक दिन जब हम चैट कर रहे थे तो वह बोली कि उसका बॉस मुम्बई में एक नई शाखा खोलने की सोच रहा है और इसके लिये वे टूर पर मुम्बई आ रहे हैं। और उसने अपने बॉस से बात की कि वह टूर समाप्त होने के बाद चार दिन के लिये मुम्बई में अकेले रुकना चाहती है होटल में, कम्पनी के खर्चे पर। उसका बॉस इस बात के लिये राजी हो गया है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं तो यह खबर सुन कर बहुत खुश हुआ क्योंकि अब हम वह सब कर सकते थे जो कि हमने करने की चैट-रूम में बात की थी। उसने कहा कि वह ताज होटल में रुकने वाली है और उसका कमरा नम्बर वह बाद में मुझको फोन पर बतायेगी। उसने कहा कि वह 4 फरवरी को मुम्बई आ रही है और 8 फरवरी को मुझको फोन करेगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पर 4 तारीख को उसका फोन आया कि वह मुम्बई पहुँच गई है और बाद में मुझ को फोन करेगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसको कहा- मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करूँगा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पर 8 तारीख को उसका फोन नहीं आया। मैंने सोचा कि शायद काम पूरा नहीं हुआ होगा। लेकिन फिर 9 और 10 तारीख को भी उसका फोन नहीं आया अब तो मैं बहुत ही उतावला हो रहा था । सोचने लगा कि कहीं वह मजाक तो नहीं कर रही थी। पर मैं कर भी क्या सकता था उसके फोन के इंतजार के अलावा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर अगले दिन बुधवार था दोपहर को करीब एक बजे रीमा का फोन आया उसकी अवाज सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने पूछा- तुमने फोन क्यों नहीं किया ? मैं तो सोच रहा था कि तुम फोन ही नहीं करोगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा कि ब्रान्च खोलने के बात पक्की हो गई है इसलिये वह, उसका बॉस और यहाँ का मैनेजर मिल कर दो दिन से मौज कर रहे थे। दोनों ने मिल कर उसको दो दिन तक बहुत जम कर चोदा था। इसलिये दो दिन वह फोन नहीं कर पाई आज सुबह ही उसका बॉस वापस दिल्ली गया है और वह सुबह से आराम कर रही थी जिससे कि मेरे साथ पूरी तरह से मजा ले सके। लेकिन उसको पहले से ही पता था कि वह मुझको 11 तारीख से पहले फोन नहीं कर पायेगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैने पूछा- फिर तुमने बताया क्यों नहीं?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा बोली- मैं तुमको कुछ देर तड़पाना चाहती थी। मुझको जवान लड़कों को तड़पाने में बड़ा मजा आता है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने पूछा- अब तो बताओ कि तुम्हारा रूम नम्बर क्या है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा बोली- मुझ से मिलने के लिये तड़प रहे हो?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ ![/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ठीक है, बता देती हूँ तुमको ! तुम भी क्या याद करोगे। मेरा रूम नंम्बर 514 है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है, मैं अभी वहाँ पहुँच रहा हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा कि वह भी बड़ी बेसबरी से मेरा इंतजार कर रही है और जैसे हो, वैसे ही चले आओ क्योंकि वैसे भी इन चार दिनों में मैं तुमको कोई कपड़े तो पहनने दूंगी नहीं। बस अब चले आओ दौड़ कर अपनी माँ के पास।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है माँ, आता हूँ अभी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा बोली- मैंने अपने कमरे के बाहर "डू नॉट डिस्टर्ब" का साईन लगा दिया है जिससे कि जब घंटी बजेगी तो मैं समझ जाऊँगी कि तुम हो।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मैंने फोन रख दिया और अपने बॉस के पास गया। मैंने छुट्टी के लिये पहले से ही बोल रखा था इसलिये कोई परेशानी नहीं हुई। नहीं तो जिस तरह की मेरी बॉस थी छुट्टी मिलना बिल्कुल ही नामुमकिन था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर जल्दी से मैं टैक्सी पकड़ कर होटल पहुँच गया। मेरा दिल धक धक कर रहा था। मैं आज तक कुवाँरा था आज मेरे इस कुंवारे लंड को चुदाई-चुसाई का मजा मिलने वाला था। फिर मैं लिफ़्ट से पाँचवे माले पर गया जहाँ पर रीमा का कमरा था। जैसे ही मैं गलियारे से निकल कर रीमा के कमरे की तरफ़ जा रहा था तो दीवार पर लगे साईन को देख कर मैं समझ गया कि उसका कमर होटल के आलीशान रूम में से एक था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]थोड़ी देर में मैं कमरे तक पहुँच गया, मैंने धड़कते हुये दिल से घण्टी बजाई।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अन्दर से रीमा की आवाज आई- आ रही हूँ दीपक बेटा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ पल बाद कमरे का दरवाजा खुला। और मेरे सामने रीमा खड़ी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं अभी उसे ठीक से देख भी नहीं पाया था कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया। और एक झटके के साथ दरवाजा बन्द कर दिया। मैं उसकी इस हरकत से एक दम सकपका गया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा- अगर मैं तुमको इस तरह से अन्दर नहीं खींचती तो तुम बाहर खड़े खड़े ही मुझ देखते रहते जो कि मैं नहीं चाहती थी। तुमको मुझको देखना हे तो लो मैं तुम्हारे सामने खड़ी हो जाती हूँ, जी भर के देख लो।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसा कह कर वह मेरे सामने अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ी हो गई। खड़ी होने से पहले उसने अपनी साड़ी का पल्लू उतार कर अपनी कमर से नीचे गिरा दिया। यह सब इतनी ज्लदी में हुआ था कि मुझे उसको देखने का मौका भी नहीं मिला था। अब वह मेरे सामने थी और मैं जी भर कर उसको देख सकता था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मैंने अपनी नजर उस पर गड़ा दी। उसका रंग गोरा था। उसने अपनी उमर मुझको 48 साल बताई थी पर वो अपनी उमर से करीब दस साल छोटी दिखती थी। उसकी आँखे बड़ी-बड़ी थी जिनमें वासना भरी हुई थी। उसके होंठ बड़े-बड़े थे। जैसे कि अभिनेत्री सुमन रंगनाथन के हैं। मुझे इस तरह के होंठ बहुत ही पसन्द हैं। उस पर उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। जो उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रही थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसके चेहरे पर एक आमत्रंण का भाव था, जैसे कह रही हो- आओ और चूम लो मेरे होठों को।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मेरी नजर उसके बदन पर गई, बड़ा ही भरपूर बदन था उसका। उसका गदराया बदन देख कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही उछलने लगा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसका ब्लाऊज़ स्लीवलेस था। और उसमें काफ़ी गहरा कट था जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े मम्मे आधे से ज्यादा ब्लाउज़ से बाहर झाँक रहे थे। रीमा ने शायद बहुत ही टाईट ब्लाउज़ पहन रखा था क्योंकि उसके मम्मों की दोनों बड़ी बड़ी गोलाईयाँ आपस में चिपक गई थी। और एक गहरा कट बना रही थी। जो कि बड़ा ही सेक्सी लग रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इस नजारे को देख कर मैं उत्तेजना से पागल हो रहा था। मेरे लंड का उभार मेरी पैन्ट से साफ़ दिखाई दे रहा था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मेरी नजर उसके पेट पर गई। उसने साड़ी अपनी नाभि के काफ़ी नीचे पहनी थी। जिससे उसकी गहरी नाभि साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी नाभि की गहराई देख कर मेरा मन उसको चूम लेने का हुआ। फिर मैं थोड़ी देर तक उसको ऐसे ही निहारता रहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कुछ देर बाद रीमा ने कहा- क्या हुआ बेटे? कैसी लगी तुमको अपनी माँ?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- बहुत ही अच्छी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा ने कहा- वो तो तुम्हारे पैन्ट में उभरते तुम्हारे लंड को देख कर पता चल रहा है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं उसको देख कर इतना गर्म हो गया था कि मेरा गला सूखने लगा और मुझ को प्यास लगने लगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा मेरे को देख कर शायद समझ गई कि मेरे को प्यास लगी है, बोली- पानी चाहिये बेटा?[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]" ठीक है अभी लाती हूँ " कह कर उसने अपनी साड़ी का आँचल उठा कर पेटीकोट में ठूंस लिया और पलट कर पानी लेने चल दी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जैसे ही वह पलटी, सबसे पहले मेरी नजर उसके भारी भरकम चूतड़ों पर गई। औरत के चूतड़ मेरा सबसे पसन्दीदा अंग है। और रीमा के चूतड़ तो बहुत ही बड़े थे। उसने ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन रखी थी, जिसकी वजह से जब वह चल रही थी तो उसके चूतड़ बहुत ही मस्ताने ठंग से मटक रहे थे जैसे किसी फैशन शो में मॉडल अपने चूतड़ों को मटका के चलती है वैसे ही।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक तो उसको आगे से देख कर ही मेरा बुरा हाल था, अब तो मैंने उसको पीछे से भी देख लिया था, मेरा लंड तो बिल्कुल ही आपे से बाहर हो गया। वो भी शायद जानती थी कि उसके चूतड़ों का मुझ पर क्या असर होगा क्योंकि मैं उसको बता चुका था कि भारी चूतड़ मुझ को कितने पसन्द हैं। इसलिये मेज तक जाने में, जहाँ पर पानी का जग रखा था, उसने बहुत देर लगाई जिससे मैं जी भर कर उसके चूतड़ और उनका मटकना देख सकूं।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर उसने जग उठाया और मेरी तरफ़ देखते हुये उसने गिलास में पानी भरना शुरू किया। वह मुझ को देख कर मस्ती भरी नजरों से मुस्कुरा रही थी। पानी भरकर वह मेरी तरफ़ चल दी। उसके मस्त बदन ने मेरे उपर ऐसा असर किया था कि मैं अभी तक दरवाजे पर ही खड़ा था। उसने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे थे और जिस तरह से वह चूतड़ मटका के चल रही थी उसकी वजह से उसके बड़े बड़े मम्मे उसके कसे ब्लाउज़ में फंसे हुए जोर जोर से उछल रहे थे।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने पूरी तरह से मुझको अपने अधेड़ उम्र के हुस्न के जाल में फंसा लिया था।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]लो ! पानी पी लो ! कह कर उसने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया। मैं पानी पीने लगा और पानी पी कर मैंने गिलास उसको दे दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"जो देखा पसन्द आया?"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं मुस्कुरा कर बोला- हाँ ! बहुत पसन्द आया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"फिर यहाँ क्यों खड़े हो ? चलो अन्दर बैठते हैं।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर मैं उसके साथ चल दिया, अन्दर आकर मैं सोफ़े पर बैठ गया। अन्दर आने से पहले मैंने अपने जूते बाहर ही उतार दिये। रीमा भी मेरे पास आ कर बैठ गई।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला- माँ ! तुम बहुत सुन्दर हो। जैसा तुमने बताया था तो मैने सोचा था कि तुम सेक्सी हो पर तुम तो महा-सेक्सी हो माँ। मेरा लंड तो तुमको देखते ही खड़ा हो गया था माँ और अभी तक पूरी तरह टनटनाया हुआ है, देखो ! कैसे पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को तैयार है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]" फिर तुमने इसको पैन्ट के अन्दर रखा ही क्यों है पैन्ट उतार कर अपने प्यारे लंड को मुझको दिखाओ। लाओ मैं तुम्हारे कपड़े उतरने में तुम्हारी मदद करती हूँ।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- नहीं माँ ! मैं खुद ही उतार देता हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो वह बोली- हर माँ बचपन में अपने बेटे के कपड़े उतारती और पहनाती है। माँ ही होती है जो बेटे को कपड़े पहनना और उतारना सिखाती है। मुझे तो वो मौका आज ही मिला है तुम इस तरह से मुझसे यह मौका नहीं छीन सकते।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]रीमा की बात सुन कर मैं बोला- ठीक है माँ, तुम ठीक कह रही हो ! मैं इस तरह से तुम्हारा हक नहीं छीन सकता। मैं तैयार हूँ उतार दो मेरे कपड़े। आज से जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ और जब भी हम मिलेंगे, मेरे कपड़े तुम ही उतारोगी और तुम ही पहनओगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह सुन कर वह बहुत खुश हो गई और मेरे माथे पर चूम लिया जैसे एक माँ अपने बेटे को करती है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर वह मेरी कमीज के बटन खोलने लगी। उसके भरी पूरी गोरी बाँहे मुझको बहुत अच्छी लग रही थी। फिर उसने सारे बटन खोल दिये और बोली- बेटा खड़े हो जाओ जिससे मैं तुम्हारी कमीज उतार सकूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं खड़ा हो गया, रीमा भी मेरे साथ खड़ी हो गई और पीछे कर के मेरी कमीज उतार दी। मैंने नीचे बनियान पहन रखी थी। मेरी कमीज उतार कर रीमा मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी और बोली- तुम्हारी छाती कितनी चौड़ी है। तुम भी कोई कम हैडसम नहीं हो। तुम इतने सालों अपनी माँ से दूर रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी ये माँ तुमको कुछ प्यार भी नहीं कर पाई। चिन्ता मत करो अब तुम मेरे पास आ गये हो, अब मैं तुमको अपना सारा प्यार दूंगी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसा कहते वक्त उसके आँखो में वासना भरी थी। ऐसा कह कर उसने मेरी बनियान भी उतार दी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बनियान उतरते वक्त उसने अपने हाथ ऊपर किये। उसने स्लीवलैस ब्लाउस पहन रखा था जिसकी वजह से उसकी काँख मुझको दिखाई दी। उसकी काँख के बाल काले और घने थे। मुझे काँख के बाल बहुत पसन्द हैं। उसकी काँख देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गई। बनियान उतार कर उसने कमरे के एक कोने मै फेंक दी। अब मेरी छाती पूरी नंगी हो गई और वो अपने गोरे गोरे हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे फिराने लगी। जिसकी वजह से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मेरे चुचूक कड़े हो गये।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर रीमा ने अपनी एक उँगली को अपने थूक से गीला करके मेरे बायें चुचूक पर फिरने लगी और उसका दूसरा हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे चल रहा था। वो अच्छी तरह से जानती थी कि किस तरह मर्द को मस्त किया जाता है।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]थोड़ी देर इसी तरह से मेरी छाती पर हाथ फेरने के बाद उसने अपना मुँह मेरे चुचूक पर रख दिया और उसे अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। उसके ऐसा करने से मेरे मुँह से एकदम से एक आह निकल गई। इसका सीधा असर मेरे लंड पर हुआ, वो मस्ती में एक दम कड़ा हो गया। अब उसका मेरी पैन्ट में रहना बड़ा ही मुश्किल था ![/font]